सामान्य रूप से हम देखते हैं कि हम इंसानों में कई प्रकार की प्रवृत्ति पाई जाती हैं जिसके अंतर्गत हम अपना व्यवहार करते हैं। ऐसे में कुछ व्यक्ति हमें ऐसे मिल जाते हैं जो अपने जीवन से परेशान होते हैं और बार-बार एक बात को ही सोचते हैं।
ऐसी स्थिति में हम देखते हैं कि लोग हमें ज्यादा सोचने से मना करते हैं क्योंकि इससे कभी हमारी मानसिक स्थिति सही नहीं होती लेकिन आज हम आपको ज्यादा सोचने के फायदों के बारे में बताने वाले हैं जिनके बारे में निश्चित रूप से ही लोगों का ध्यान नहीं जाता हैं।
ज्यादा सोचने का कारण
कई बार कुछ ऐसी स्थिति हमारे सामने आ जाती हैं जिनकी वजह से हम ज्यादा सोचने पर मजबूर हो जाते हैं और हमें पता भी नहीं चलता कि हम ओवरथिंकिंग के शिकार हो रहे हैं। ऐसे में आज हम आपको ज्यादा सोचने के कुछ मुख्य कारणों के बारे में बताने जा रहे हैं ताकि आप भी उन पर गहनता से विचार कर सके।
1) अपनी मानसिक समस्या – कई बार हम या हमारे परिवार का कोई सदस्य किसी मानसिक समस्या से ग्रसित होते हैं जिसके बारे में हमें सही जानकारी नहीं होती और हमें इस बात की भी जानकारी नहीं होती कि हम इस समस्या को दूर करने के लिए क्या कर सकते हैं?
ऐसे में हम उस मानसिक समस्या से पीड़ित व्यक्ति को लेकर गहन विचार में डूब जाते हैं और हम भविष्य को लेकर भी सही तरीके से आश्वासत नहीं होते हैं।
2) बच्चों का पढ़ाई में मन ना लगना – कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जिन्हें पढ़ाई करना अच्छा लगता हैं लेकिन कुछ ऐसे भी बच्चे होते हैं जो पढ़ाई में सही तरीके से मन नहीं लगा पाते हैं यहीं से माता-पिता के सोचने का चरण शुरू हो जाता हैं जो कहीं ना कहीं ओवरथिंकिंग तक पहुंच जाता हैं।
3) अपने घर का निर्माण – आज के समय में सबसे आवश्यक जरूरत अपना स्वयं का घर हैं। इस बढ़ती महंगाई में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके पास खुद का घर नहीं होता और वे नित्य प्रति सोचते हुए अपनी दिनचर्या गुजारते हैं।
4) घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं होना – जब घर में ज्यादा सदस्य हैं और आर्थिक स्थिति सही नहीं हो तो यह बेशक ज्यादा सोचने का कारण बनता हैं क्योंकि इससे कहीं ना कहीं हमारा मानसिक स्वास्थ्य भी खराब होता हैं और हमें सही दिशा नहीं मिल पाती हैं।
5) महिलाओं की शारीरिक समस्या – ऐसा देखा जाता हैं कि जैसे जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती हैं वैसे-वैसे शारीरिक समस्याएं घर करने लगती हैं। इन समस्याओं की वजह से महिलाएं हमेशा ज्यादा सोचने लगती हैं और दुविधा में फंस जाती हैं।
ज्यादा सोचने के मुख्य लक्षण
हमारे आसपास या हमारे घर में ही कुछ लोग ऐसे मिल जाते हैं जो ज्यादा सोचने के लक्षण से प्रभावित होते हैं ऐसे में हम उनके इन लक्षणों को शुरुआत में नहीं समझ पाते क्योंकि हमें यह सामान्य नजर आता हैं।
लेकिन हां अगर अपने घर के सदस्य के बारे में गहनता से विचार करते हैं तो हमें पता चलता हैं कि यह तो ज्यादा सोचने के लक्षण हैं जो कहीं ना कहीं कभी घातक भी साबित हो सकते हैं।
ऐसे में आज हम आपको ज्यादा सोचने के मुख्य लक्षणों के बारे में बताने वाले हैं
1) खाना पीना सही तरीके से नहीं लेना – अगर आपके घर या आसपास कोई ऐसा व्यक्ति हैं जो लगातार ज्यादा सोचने से ग्रसित हैं ऐसे में आपने गौर किया होगा कि वह खाना पीना सही तरीके से नहीं ग्रहण करते हैं। ऐसे में हमेशा उनके दिमाग में वही पुरानी बातें घूमती रहती हैं जिस वजह से वे सोचते रहते हैं।
2) आलसी हो जाना – ऐसे व्यक्ति जो लगातार एक ही बात को सोचते रहते हैं वे आलसी हो जाते हैं। उनका मन किसी भी काम में नहीं लगता और किसी के कहने पर भी वह अपने कार्य को पूरा नहीं करते हैं।
3) बातों पर ध्यान ना देना – यह सबसे महत्वपूर्ण पॉइंट हैं जहां पर ज्यादा सोचने वाले व्यक्ति कभी भी दूसरों की बातों पर ध्यान नहीं देते।
ऐसा इसलिए होता हैं क्योंकि उनके अंदर अपनी समस्याओं का द्वंद्व चलता रहता हैं और कहीं ना कहीं वह खुद से लड़ते रहते हैं। इस स्थिति में वे कभी भी दूसरों की बातों पर ध्यान नहीं दे पाते और दूसरे लोगों को उनकी यह बात अच्छी नहीं लगती हैं।
4) चिड़चिड़ा स्वभाव हो जाना – हर व्यक्ति के जीवन में समस्या आती हैं लेकिन कई बार हम इंसान उस समस्या से बाहर नहीं आ पाते हैं। ऐसे में कई बार ज्यादा सोचते रहने की वजह से ही हमारा स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता हैं।
ऐसी स्थिति में यदि कोई भी हमसे कुछ पूछ ले या बात कर ले तो ही हमारा दिमाग खराब हो जाता हैं और हम उसे सही से जवाब नहीं देते हैं।
ज्यादा सोचने के फायदे
आपने गौर किया होगा कि सामान्य तौर से हम ज्यादा सोचना अच्छा नहीं मानते लेकिन फिर भी ज्यादा सोचने के भी कुछ खास फायदे होते हैं जो हमारे व्यक्तित्व में और भी निखार ला सकते हैं।
हमें बस उन फायदो के बारे में गहनता से विचार करना होता हैं। ऐसे में आज हम आपको ज्यादा सोचने के फायदे के बारे में बताने वाले हैं
1) खुद का आत्ममंथन करना- हम इंसानों की एक आदत यह होती हैं कि हम दूसरों पर हमेशा दोषारोपण करते हैं और कभी भी खुद पर ध्यान नहीं देते। ऐसे में हम आपको खुद का आत्ममंथन करने की सलाह देंगे क्योंकि खुद का आत्ममंथन हम ज्यादा सोचने के माध्यम से कर पाते हैं जो कहीं ना कहीं हमारे अंदर के विकारों को दूर करने में सहायक होते हैं।
2) अपनी गलती समझ पाना- अगर आप किसी बात को ज्यादा सोचने लगते हैं, ऐसी स्थिति में आप अपनी गलती को समझ पाते हैं।
छोटी छोटी गलती जो हमें पहले समझ में नहीं आ रही थी लेकिन जब बात को गहनता से सोचा गया ऐसी स्थिति में हम अपनी गलती को समझ पाते हैं और फिर उस गलती को सुधारने का मौका हमें मिल पाता हैं जो एक अच्छा कारक होता हैं।
3) आत्मविश्वास बढ़ जाना- जब भी हम किसी बात को लेकर ज्यादा सोचने लगते हैं ऐसी स्थिति में हमारा आत्मविश्वास बढ़ जाता हैं क्योंकि हम समझ जाते हैं कि ज्यादा सोचने से स्थिति स्थिर हो सकती हैं और उसके बाद हमारा आत्मविश्वास बढ़ता नजर आता हैं।
4) अपने कार्य में रुकावट ना आना- आपने एक बात आपने गौर की होगी कि अगर हम बार-बार किसी भी चीज या बात को सोचते हैं तो हमारे कार्य में रुकावट नहीं आती।
ऐसा इसलिए होता हैं क्योंकि हम बार बार सोचते रहने की वजह से रुकावट को दूर कर पाते हैं और सही तरीके से अपना रास्ता बना पाते हैं। ऐसे में हर बार ज्यादा सोचना हमारे लिए गलत नहीं होता और हम सही मायने में आगे बढ़ पाते हैं। जैसे ज्यादा मंथन करने से घी की प्राप्ति होती हैं,वैसे ही ज्यादा सोच विचार करने से जो परिणाम की प्राप्ति होती हैं,वह काफी अनमोल होता हैं.
5) नए कार्यों की शुरुआत करना- कभी-कभी ऐसा भी होता हैं कि जब हम ज्यादा सोचने लगते हैं ऐसी स्थिति में नए कार्यों की शुरुआत कर पाने में सक्षम होते हैं। ज्यादा सोचने की वजह से हमारे दिमाग में नए-नए आइडिया आते हैं, जो हार्मोन के बदलाव की वजह से भी होते हैं।
ऐसा भी होता हैं कि जब हम किसी बात को गहनता से विचार नहीं करते तो ऊपरी सतह से उस बात को नकार दिया जाता हैं लेकिन जब उसमें हम अपना ज्यादा दिमाग लगाते हुए सोचते हैं तब हमें उस के माध्यम से कार्यों के गहराई के बारे में जानकारी प्राप्त हो पाती हैं।
वैज्ञानिक शोधकर्ताओं के लिए उनका दिमाग ही प्रयोगशाला हैं,और उनकी सोच ही उनकी उपज होती हैं, उस सोच के बदौलत ही वह नए नए तरह के अज्ञात तथ्यों के बारे में पता कर पाते हैं। एक बार जर्मन साइंसेटिस्ट आइंस्टीन से किसी ने पूछा कि जितना ज्यादा थ्योरी , सूत्र का इजाद करते हैं, आखिर आप प्रयोग कहां करते हैं? तो उन्होंने ने हंसते हुए अपने दिमाग की ओर इशारा कर दिया।
6) दिमागी कसरत होना- आज के समय में दिमागी कसरत होना बहुत जरूरी हैं जिसके माध्यम से हमारा दिमाग मजबूत हो पाता हैं। अगर आप ज्यादा सोचने की प्रवृत्ति रखते हैं तो ऐसे में भी दिमागी कसरत हो पाती हैं जो कहीं ना कहीं आपके लिए फायदेमंद होती हैं और इसके माध्यम से अपना विकास कर पाते हैं।
चेस खेलते समय ज्यादा सोचने की जरूरत पड़ती हैं, उस समय ज्यादा सोचने से ही सही निर्णय लेने की सूझ बूझ निकलती हैं. और हम एक सही निर्णय ले सकते है। सोच समझ के चली गई चाल सही गेम को एक नई दिशा प्रदान करती हैं.
ऐसे में आज हमने आपको ज्यादा सोचने के बारे में विस्तृत जानकारी दी हैं जिसके बारे में हमने कभी विचार नहीं किया हैं। आज के समय में कुछ ऐसे विषय भी हैं जिनके माध्यम से हम खुद को बेहतरी की ओर ले जा सकते हैं लेकिन उन पर कभी भी अध्ययन नहीं किया गया है।
ऐसे में हमने आपका ध्यान इस ओर खींचने की कोशिश की है जिसकी वजह से आपके अंदर भी एक सकारात्मक बदलाव आ सकें।
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