हम इंसानों के जीवन में रोज कोई न कोई ऐसी समस्या आती है जिसकी वजह से हम बहुत ज्यादा परेशान होते हैं और दिन-रात पर उसी समस्या के बारे में सोचने लगते हैं।
आपने भी महसूस किया होगा कि जब भी हम किसी एक समस्या से पीछे हटते हैं तो फिर कोई नई समस्या आ कर खड़ी हो जाती है और इसका सीधा असर हमारे मानसिक स्थिति पर होता है।
कभी-कभी कुछ समस्याएं ऐसी होती हैं जिनकी वजह से हम ज्यादा सोचने पर मजबूर हो जाते हैं। ऐसे में हम एक बात भूल जाते हैं कि ज्यादा सोचने से भी हमें कई प्रकार के नुकसान हो सकते हैं। जी हां, आपने बिल्कुल सही समझा आज हम आपको ज्यादा सोचने से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी देने वाले हैं।
ज्यादा सोचने के कारण
हमारे जीवन के नित समस्याओं से हम कभी कभी किसी बात को लेकर ज्यादा सोचने के लिए तत्पर रहते हैं। ऐसे में आज हम उन मुख्य कारणों के बारे में जानकारी हासिल करेंगे जिनकी वजह से हमारे जीवन में परेशानी हुई है।
1) पारिवारिक समस्या
हमारे जीवन में कोई ना कोई ऐसी समस्या उत्पन्न होती है जिसकी वजह से हम ज्यादा सोचने लगते हैं। मुख्य रूप से पारिवारिक समस्या का कारण नौकरी, शादी, गृहस्थ जीवन, करियर होती है।
2) काम का दबाव
लगातार हमारे काम में होने वाली गड़बड़ की वजह से हम खुद के ऊपर दबाव महसूस करने लगते हैं और इस वजह से हम लगातार इस बारे में सोचते चले जाते हैं।
कई बार ऐसी भी स्थिति उत्पन्न होती है कि काम का दबाव इस हद तक बढ़ जाता है कि हम अपने काम को सही तरीके से कर ही नहीं पाते और लगातार परेशान होते हैं।
3) पर्सनल लाइफ की परेशानी
हम इंसानों की पर्सनल लाइफ में भी हमेशा परेशानी बनी होती है जिसका सीधा असर हमारी शारीरिक और मानसिक स्थिति पर होता है। पर्सनल लाइफ एक मुख्य कारण हैं, जो हमें ज्यादा सोचने पर मजबूर करती है क्योंकि किसी की पर्सनल लाइफ पूर्ण और संतुष्ट नहीं होती है।
4) बीमारी की परेशानी
आज के समय में ऐसा कोई भी इंसान नहीं है जो पूर्ण रूप से स्वस्थ हो। ऐसे में हमें नित नई नई बीमारियों के बारे में जानकारी मिलती है जहां हम में से कई लोग इन बीमारियों से ग्रसित होते हैं। यही वे बीमारियां होती हैं, जो मुख्य रूप से ज्यादा सोचने के लिए जिम्मेदार होती हैं और बाद में भी यही बीमारियां हमें अवसाद से ग्रसित करती हैं।
5) बच्चों की परेशानी
सामान्य रूप से देखा जाता है कि माता पिता के ज्यादा सोचने का कारण उनके बच्चे होते हैं। बच्चे जो किशोरावस्था से युवावस्था की ओर जा रहे होते हैं उनके स्वभाव में बदलाव आसानी से महसूस किया जा सकता है और साथ ही साथ उन में होने वाले हार्मोनल परिवर्तन की वजह से उनका व्यवहार बिल्कुल बदल जाता है।
ऐसे में कई बार माता-पिता अपने बच्चों के इस बदले हुए व्यवहार की वजह से ज्यादा सोचने पर विवश हो जाते हैं और खुद के स्वास्थ्य के साथ गलत कर बैठते हैं।
क्या होते हैं ज्यादा सोचने के नुकसान
1) लगातार डिप्रेशन के शिकार होना
अगर आप लगातार किसी भी बात को लेकर परेशान और उनके बारे में सोचते रहते हैं ऐसी स्थिति में आप डिप्रेशन के शिकार हो सकते हैं। कई बार ऐसा होता है कि ज्यादा सोचने की वजह से हमारा दिमाग काम करना बंद कर देता है और इस वजह से हम अवसाद से घिर जाते हैं।
एक ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है जब लगातार सोचते रहने की वजह से हमारे अंदर नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश कर जाती है और हम ना चाहते हुए भी आसानी के साथ डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं।
2) मानसिक विकास सही नहीं होना
एक बात हम सभी को याद रखनी चाहिए कि हम अपने मानसिक विकास को तभी सही तरीके से रख सकते हैं, जब हम खुद स्वस्थ रहें। कई बार ऐसी स्थिति आती है कि हम ज्यादा सोचने की वजह से अपने मानसिक विकास को कहीं ना कहीं बाधित करते हैं जिस वजह से हम परेशान होते हैं।
3) अपने काम में गलतियां होना
हममें से बहुत सारे लोग ऐसे होते हैं, जो नियमित रूप से अपने काम को करते हुए भी ज्यादा सोचने की आदत से परेशान रहते हैं। ऐसे लोगों के दिमाग में दिन में होने वाली गतिविधियों के माध्यम से वे अक्सर ज्यादा सोचने लगते हैं ऐसी स्थिति में उनके काम में हमेशा गलतियां निकाली जाती हैं जिसका सीधा असर उनके भविष्य पर पड़ता है।
4) लोगों से बातें करने में कतराना
आपने एक बात गौर की होगी अगर आप लगातार किसी बात को सोचने लगते हैं ऐसी स्थिति में आप उन लोगों से बात करने में कतराने लगेंगे जो आपको अलग नजरिए से बातों को समझाने की क्षमता रखते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि उन लोगों को देखकर रास्ता बदल दिया जाता है, जो आप के इस व्यवहार के बारे में सही व्याख्या ना करते हो।
5) अपने काम में मन ना लगना
जब भी आप किसी भी बात को सोचने लगते हैं, ऐसी स्थिति में आपका मन किसी दूसरे काम में नहीं लगता। कई बार तो ऐसे भी स्थिति उत्पन्न होती है कि जरूरी काम होने पर भी आप उस काम को टालते जाते हैं और वह काम काफी पीछे हो जाता है। बार-बार आपके दिमाग में वही बात घूमने लगती है जिस वजह से आप परेशान हैं और अच्छा महसूस नहीं कर रहे हैं।
6) लगातार बीमारियों से घिरे रहना
अगर आप ज्यादा सोचना नहीं छोड़ पाते हैं ऐसी स्थिति में यह संभव है कि आप लगातार कई प्रकार की बीमारियों से घिरे रहे जिसमें मुख्य रुप से हाई ब्लड प्रेशर, शुगर, थायराइड, हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज जैसी बीमारियां हो सकती हैं जिससे आपके भविष्य को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है।
कैसे बनाएं ज्यादा सोचने से दूरी
हम यह नहीं कहते कि सोचना अच्छी बात नहीं है क्योंकि सोचने से ही हम आत्ममंथन कर पाते हैं लेकिन किसी भी बात के लिए हद से ज्यादा सोचना यह बिल्कुल भी सही नहीं होता है और इसकी वजह से कई प्रकार का नुकसान होता है। ऐसी स्थिति में भलाई इसी में है कि ज्यादा सोचने से खुद को बचाया जाए और स्वस्थ रहा जाए।
1) अगर आप ज्यादा सोचने की लत से परेशान है ऐसी स्थिति में आपको खुद को व्यस्त रखना होगा। व्यस्त रखने के लिए आप खुद को ऐसे काम मे लीन कर सकते हैं जिसे करना आपको अच्छा लगता हो।
खुद को व्यस्त रखना खुद के विचारों से एक दूरी बना देता है,जिसकी वजह से आप अपने विचारों में उलझे रहने के बजाय अपने काम में उलझे रहते है. सही बात है कि अपने काम से प्यार करने वाला इंसान कभी भी डिप्रेशन या ओवर थिंकिंग का शिकार नही हो सकता है. बी
2) अगर आप लगातार ज्यादा सोचने से परेशान हैं तो ऐसी स्थिति में आप अच्छी किताबों का सहारा ले सकते हैं ताकि उन किताबों के माध्यम से आप खुद को तरोताजा महसूस कर सके और आगे सफलता हासिल कर सके।
एक बहुत बड़े महान इंसान ने कहा था कि किताबें जहां रहेगी वहां स्वर्ग खुद ब खूब बन जायेगा। किताबों से दोस्ती सबसे पहले तो सोचने का एक अलग तरीका और नजरिया देती है और हमारे विचारों को आकार देती है। जिससे हम खुद को समझ पाते है।
खुद समझने से ही हम खुद को सुलझा हुआ इंसान के रूप में रख सकते है।और एक सुलझा हुआ इंसान कभी भी ओवरथिंकिंग का शिकार नहीं हो सकता है।
3) ऐसे समय में आपको अपने दोस्तों को नहीं भूलना चाहिए क्योंकि दोस्त ही होते हैं जो आपको ऐसे किसी भी समस्या से बाहर निकालने में कामयाब होते हैं। कभी कभी जीवन का अकेला पन जीवन पर भारी पड़ जाता है।
कहने को जीवन में बहुत सारे दोस्त होते है,पर असल में कठिन समय में कोई भी साथ नजर नही आता है,जिससे अकेला पन बढ़ता है,और और वहां से भी Over thinking शुरू हो जाती है। तो यह काफी हद तक जरूरी है कि जीवन अच्छे और सच्चे दोस्त बना कर रखें। उनसे अपने मन की बातें share करते रहें।
4) अगर आप ज्यादा सोचने की समस्या से ग्रसित हैं ऐसी स्थिति में आपको हो सके तो दो-चार दिनों के लिए ऐसी जगह पर जाना चाहिए जहां आप जाकर एक नया अनुभव प्राप्त कर सकें।
प्रकृति से जुड़े रहना खुद की वास्तविक प्रकृति से रु ब रू कराता है। पहाड़ों में जाना काफी रोमांचक के साथ साथ सेल्फ हीलिंग के लिए बहुत जरूरी होता है। और एक आस पास का वातावरण बदलने से भी मूड में भी बदलाव आता है।
इसलिए पहाड़ों में समय बिताना,नदियों से बातें करना..उनसे जुड़े रहना,जीवन की सार्थकता सिद्ध करते है। और एक नए प्रकार की अनुभूति भी मिलती है।
5) अगर आप समझ चुके हैं कि आप ऐसे किसी समस्या से घिर चुके हैं, तो आप योगा और मेडिटेशन के माध्यम से भी खुद के अंदर बदलाव ला सकते हैं।
आज के समय में योग का बहुत महत्व है। सरकार भी योग के प्रति लोगों में जागरूकता फैला रही है।
आधुनिक विज्ञान भी योग के फायदों के बारे में बात कर रहा है। तो योग जीवन के लिए बहुत जरूरी है। योग से शारीरिक विकार के साथ साथ मानसिक विकार भी दूर होता है। एक योगी और एक साध्विक स्वभाव का व्यक्ति कभी भी ज्यादा सोचने की परेशानी से जूझ नहीं सकता है। वह हमेशा सुलझा रहेगा।
जीवन के किसी भी मोड़ पर जब भी आपको ज्यादा सोचने की समस्या आए ,या ना आए आप योग को हमेशा अपने जीवन का एक हिस्सा बनाए रखें। इसके साथ साथ ध्यान का भी बहुत महत्व है।
ऐसे में हमने जाना कि ऐसी कोई भी समस्या जो हमारे अवसाद का कारण बनती है उसे हम खुद ही दूर कर पाने में सक्षम होते हैं। कभी-कभी हम इन बातों को समझ नहीं पाते लेकिन अगर समय रहते इन बातों को समझ लिया जाए तो निश्चित रूप से ही हम ऐसे समस्याओं को खुद ही दूर कर सकते हैं और सही आकलन करते हुए भविष्य को भी सुरक्षित रखा जा सकता है।
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