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जाने बवासीर(Piles) के कारण, लक्षण, बचाव और उपचार

बवासीर(Piles) क्या है, कारण, लक्षण एवम उपचार?
बवासीर एवं अर्श रोग को अन्य भाषा में piles या Hemorrhoids भी कहा जाता है।

बवासीर एक ऐसी समस्या है, जिसे अक्सर लोग गंभीरता से नहीं लेते या फिर यह समस्या होने पर किसी से कहने में भी हिचकिचाते हैं। सही समय पर उपचार न होने से समस्या काफी बढ़ जाती है। एक स्टडी के अनुसार, 50 की उम्र पार करने के बाद 50 फीसदी लोगों को ये शिकायत हो जाती है।

बवासीर गुदा (Anus) एवं मलाशय (Rectum) में होने वाली सूजन एवं तनाव होता है, अक्सर यह गुदा एवं मलाशय में मौजूद नसों का Varicose Veins रोग होता है। जो कि बवासीर मलाशय के अंदर के हिस्से एवं गुदा के बाहर के हिस्से में हो जाता है।

कैसे होता है बवासीर (how does piles happen)?

बवासीर होने के बहुत से कारण हो सकते हैं परंतु अभी तक भी इसका मुख्य कारण का पता नहीं चल पाया है। यह मल करते समय ज्यादा जोर लगाने के कारण भी हो जाता है, एवं गर्भावस्था के दौरान गुदो की नसों में जो दबाव पड़ता है उसके कारण भी बवासीर हो जाता है।

बवासीर के लक्षण कई प्रकार के होते हैं (Piles or Hemorrhoids Symptoms)

जिसमे कि थोड़ी खुजली एवं तकलीफ को लेकर गुदा में खून आना या गुदा का हिस्सा बाहर की तरफ निकल जाना आदि हो सकता है। बवासीर के मुख्यतः लक्षण इसकी होने की गंभीरता पर करते हैं।

वैसे तो यह बहुत ज्यादा गंभीर नहीं होता है परंतु यदि तकलीफ ज्यादा बढ़ रही है, तभी इसकी इलाज करवाने की आवश्यकता पड़ती है। अक्सर देखा जाता है, कि गर्भावस्था में होने वाला बवासीर आमतौर पर अपने आप ही ठीक हो जाता है। एवं कब्ज के कारण होने वाले बवासीर का इलाज करने के लिए मुख्य रूप से आहार एवं अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कुछ बदलाव करना जरूरी होता है। इन सबके बावजूद अगर आपको आराम नहीं आता है तो इसके अलावा आप ऑपरेशन करवा सकते हैं।

बवासीर के लक्षण(Symptom)

हर किसी बीमारी की कोई ना कोई मुख्य लक्षण अवश्य होते हैं। आइए जानते हैं कि बवासीर के कौन से लक्षण होते हैं।

बवासीर के कारण(Causes)

बवासीर के वैसे तो बहुत से कारण होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह वात, पित्त एवं कफ तीनों दोषों के दूषित होने से होता है। नसों में दबाव एवं उस में खिंचाव आ जाना जिससे उनमें सूजन आ जाती है, और पर उभर जाती है। तो आइए जानते हैं कि बवासीर के कौन से कारण एवं स्थितियां होती हैं।

बवासीर के प्रकार (Piles (Hemorrhoids) Types)

Piles Types In Hindi
Image Source: pristyncare.com

खूनी बवासीर
खूनी बवासीर में किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होती है केवल मलत्याग करते समय खून आता है। इसमें गुदा के अन्दर मस्से हो जाते हैं फिर बाद में बाहर आने लगता है। मल त्यागने के बाद मस्से अपने से ही अन्दर चले जाते हैं। गंभीर अवस्था में (आखिरी स्टेज में) यह हाथ से दबाने पर भी अन्दर नहीं जाते।

बादी बवासीर
बादी बवासीर में पेट की समस्या, कब्ज एवं गैस की समस्या बनी ही रहती है। इसके मस्सों में रक्तस्राव नहीं होता। यह मस्से बाहर आसानी से देखे जा सकते हैं। इनमें बार-बार खुजली एवं जलन, दर्द, होता है। शुरुआती अवस्था में यह तकलीफ नहीं देते, लेकिन लगातार अस्वस्थ खान-पान और कब्ज रहने से यह फूल जाते हैं। इनमें खून जमा हो जाता है, और सूजन हो जाती है।
इसमें भी असहनीय पीड़ा होती है, और रोगी दर्द से छटपटाने लगता है। बवासीर बहुत पुराना होने पर भगन्दर हो जाता है। जिसे अँग्रेजी में फिस्टुला कहते हें। फिस्टुला प्रकार का होता है। भगन्दर में मलद्वार के पास से एक छेद हो जाता है जो मलद्वार की नली में चला जाता है। और फोड़े की शक्ल में फटता, बहता और सूखता रहता है। कुछ दिन बाद इसी रास्ते से मल भी आने लगता है। बवासीर, भगन्दर की आखिरी स्टेज होने पर यह केंसर का रूप ले लेता है। जिसको रिक्टम कैंसर कहते हें। जो कि जानलेवा साबित होता है।

बवासीर से बचाव एवं उपचार(Piles treatment in Hindi)

बीमारी चाहे कोई भी हो उसका कोई ना कोई इलाज करके बचाव किया जा सकता है एवं बीमारी को खत्म किया जा सकता है। बवासीर एक लाइलाज बीमारी नहीं है बशर्ते इसका इलाज अच्छे से और सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए जिससे की बवासीर का रोगी पूर्णतः सही हो सके और एक सामान्य जीवन व्यतीत कर सके। बवासीर से बचाव करने के लिए भी हम आपको इसके उपाय बताने जा रहे हैं जो कि निम्नलिखित हैं।

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में गंभीर स्थिति में सर्जरी ही इसका एकमात्र समाधान है और सर्जरी के बाद भी यह रोग दोबारा हो सकता है। इसलिए घरेलू उपचार और बेहतर जीवनशैली अपनाना ही सबसे बेहतर उपाय हैं और इससे बवासीर के दोबारा होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।

याद रहे, समय पर किए गए उपचार एवं बेहतर जीवनशैली से इस रोग को बिना सर्जरी भी ठीक (Bavasir ka upchar) किया जा सकता है।

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