Ramzaan Poem in Hindi, इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना रमजान Ramzaan है, इस्लाम में खुदा की इबादत के लिए रमज़ान के पाक महीने को महत्व दिया जाता है। रमज़ान या रमदान एक ऐसा विशेष महीना है जिसमें इस्लाम में आस्था रखने वाले लोग नियमित रूप से नमाज़ अता करने के साथ-साथ रोज़े यानि कठोर उपवास (उपवास के दिन सूर्योदय से पहले कुछ खा लेते हैं जिसे सहरी कहते हैं। दिन भर न कुछ खाते हैं न पीते हैं। शाम को सूर्यास्त के बाद रोज़ा खोल कर खाते हैं जिसे इफ़्तारी कहते हैं) रखे जाते हैं।
इस मास को नेकियों और इबादतों का महीना यानी “पुण्य और उपासना” का मास माना जाता है।
खुदा का पसंदीदा है रमजान का महिना
बडे पाकीज़ा है रमजान का महिना,
खुदा का पसंदीदा है रमजान का महिना।
इसा माह में कुरान नाजिल हुआ,
इस कुरान का है रमजान का महिना।
फज्र और मगरिब के नमाज़ों में,
खुब गूंजता है रमजान का महिना।
अब तू सुधर जाओ मोमिन!
आखिरी मौका है रमजान का महिना।
महरूम और जरुरतमंदो के लिए,
बरकत लाता है रमजान का महिना।
सादगी से भरा जिंदगी जीना,
तुमको सिखाता है रमजान का महिना।
फरिश्ते उतरते है इस माह में “राज़”,
खुद एक फरिश्ता है रमजान का महिना।
– राज यादव ( Raj Yadav )
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हो सके तो इस गुजरते हुए लम्हे को पकड़ लो,
गुजरे वक्त आइन्दा आया नहीं करते
आकर दर-ए-रसूल पे मुलाहिजा नहीं करते,
बैगर मांगे देने वाले से माँगा नहीं करते।
एक मर्तबा ही सच्चे दिल से सजदा करके देखो,
कभी ईमान को बाज़ार में बेचा नहीं करते।
गमो के आने फकत से ही बेजार न होना,
गम के दिन ज्यादा देर ठहरा नहीं करते।
कहीं चुपके से आफताब भी गुमनाम हो जाता हैं,
घर के दिए भी उजाला नहीं करते।
किस काम के हैं तुम्हारे ये रेत के महल,
जबकि सैलाब में मकान भी टिका नहीं करते।
हो सके तो इस गुजरते हुए लम्हे को पकड़ लो,
गुजरे वक्त आइन्दा आया नहीं करते।
पैसो के लिए अपनी सेहत न गवाओ “राज”,
आखिर पैसे किसी के संग जाया नहीं करते।
– राज यादव ( Raj Yadav )
Friends,आशा करता हूँ, कि आपने मेरी कविताओ को एन्जॉय किया होगा।
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Kya khub gazal