Factfullness Author: Hans Rosling
अगर मैं इस किताब के बारे में 1 लाइन में कहूं तो यह किताब आपको दुनिया के बारे में दस अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाने के लिए कहती है। साथ ही ये किताब हमें दुनिया को वैसे देखने से रोकती है जैसी वह असल में नहीं है।
Hans Rosling कहते हैं कि हर कैटेगरी के लोग दुनिया के बारे में इतना बढ़ा-चढ़ाकर सोचते हैं जितना वह असल में भी नहीं है जैसे लोग सोचते हैं दुनिया बहुत भयानक है, ज्यादा हिंसक है और बहुत ही निराशाजनक है।
Hans Rosling यह भी बताते हैं कि कदम-दर-कदम, साल-दर-साल, दुनिया में सुधार हो रहा है। दुनिया दिन पर दिन बेहतर होती जा रही है। साल दर साल हो रहे बदलाव का कारण Control से ज्यादा Rules हैं, यह बात भी अलग है कि दुनिया बहुत बड़ी समस्या से लड़ रही है।
लेकिन Rosling यह भी कहते हैं कि हमारे दिमाग में चल रहे ड्रामा की वजह से हम चीजों को उस तरह से नहीं देख पाते हैं जो वह असल में हैं मतलब कि हमारे दिमाग में दुनिया के बारे में जो छवि है उसके बारे में सोचते हुए हम इतना ज्यादा डूब जाते हैं कि हमें असल दुनिया का पता ही नहीं चलता है।
इस किताब में आपको Author ने कुछ ऐसे तरीके बताए हैं जिसके जरिए आप दुनिया को वैसे देख सकते हैं जो असल में है और आप अपने दिमाग से दुनिया के बारे में अजीब अजीब खयालो को हटा सकते हैं।
हमारी सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि हम दुनिया को अपनी नजर से कम और जैसा लोग उसके बारे में बताते हैं वैसा ज्यादा देखते हैं इसलिए हम कभी इस दुनिया में खुद को एडजस्ट नहीं कर पाते हैं।
यही Reason हैं कि हमें समझना चाहिए कि दुनिया किस तरह से काम करती हैं! इस बुक समरी को पढ़ने के बाद आपको दुनिया के बारे में कुछ ऐसी बातें जानने को मिलेगी जो शायद आपको पहले पता ना हो। इसलिए इस Book Summary में दी गई जानकारियों को ध्यान से समझिए।
Chapter 1. The Gap Instinct
The gap instinct का मतलब है कि हमारे दिमाग में यह बहुत बड़ी गलतफहमी है कि हमारी दुनिया दो भागों में बटी हुई है – पहला डेवलपिंग कंट्रीज और दूसरा डेवलप्ड कंट्रीज।
डेवलपिंग कंट्री का मतलब वह कंट्री जो आर्थिक दृष्टि से कमजोर है या यूं कहें कि गरीब देश। जबकि डेवलप्ड कंट्री का मतलब है वह देश जो आर्थिक दृष्टि से मजबूत है और जिसमें हर तरह की सुख सुविधाएं उपलब्ध है।
दुनिया के पश्चिमी देश विकसित देशों की श्रेणी में गिने जाते हैं जबकि Eastern countries डेवलपिंग कंट्री के अंदर आते हैं।
85% लोग पहले से ही उस बॉक्स में है जो डेवलप्ड कंट्री कहलाता है और 15 % वाले डेवलपिंग बॉक्स में दुनिया की आबादी का 6 परसेंट रखने वाले 13 देश शामिल है।
पश्चिम और बाकी के बीच, विकसित और विकासशील के बीच, अमीर और गरीब के बीच कोई अंतर नहीं है। “दुनिया की केवल 9 प्रतिशत आबादी कम आय वाले देशों में निवास करती है।”
Low इनकम वाले देशों के बारे में लोग जितना सोचते हैं असल में यह देश उससे कई गुना ज्यादा विकसित होते हैं। समाज में बहुत से लोगों की यह धारणा है कि दुनिया में जो गरीब देश हैं उनकी आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से वहां कुछ भी नहीं है लेकिन यह सिर्फ एक बहुत बड़ा भ्रम है क्योंकि असल में इन देशों की हालत इतनी खराब नहीं है जैसा हम अपनी किताबों में पढ़ते हैं जैसे हमें सुनने को मिलता है।
इसलिए जरूरी है कि हम लोगों की बातों को सुनने से ज्यादा Facts पर यकीन करें।
Chapter 2. The Negativity Instinct
दुनिया में ज्यादातर लोग अच्छी चीजों से ज्यादा बुरी चीजों को देखते हैं मतलब अगर किसी के साथ कुछ हुआ है तो वह उस चीज के बुरे पहलू पर ज्यादा फोकस करता है ना कि उसके अच्छे पहलू पर।
आपने सुना होगा कि लोग अक्सर बुरी चीजों के बारे में बातें करते हैं न्यूज़ में आ रही गलत गलत बातों को बार-बार कह कर पूरे माहौल को नेगेटिव बना देते हैं लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि कोई अच्छी चीज के बारे में बात कर रहा है नहीं! क्योंकि लोग ऐसी बातों पर ध्यान ही नहीं देते हैं।
इसलिए जब भी आपको कुछ बुरा सुनने को मिले तब आप बुरी चीज पर बात करने से पहले यह सोचें क्या आपको इस तरह से कभी कुछ अच्छी न्यूज़ मिली है? इसके बारे में सभी बात कर रहे हो।
साथ ही आपको खुद में यह बदलाव लाना चाहिए कि आप दुनिया की बुरे चीजों से ज्यादा अच्छी चीजों पर ध्यान दें। क्योंकि आप दूसरों को नहीं बदल सकते लेकिन आप खुद के नजरिए को जरूर बदल सकते हैं।
Chapter 3. The straight line instinct
The straight line instinct(स्वाभाविक) दर्शाती है कि हमारा दिमाग ऐसी लाइन की कल्पना करता है जिसका पूरा होना लगभग नामुमकिन है क्योंकि इस दुनिया में कोई भी चीज Straight line नहीं है चाहे पॉपुलेशन हो या फिर ग्रोथ सभी चीजें ऊपर बढ़ती है या फिर नीचे घटती है।
दुनिया में हर चीज ऊपर नीचे होती रहती है यहां तक कि हमारी बॉडी की हार्टबीट भी ऊपर नीचे होती रहती है और जब हार्टबीट्स Straight हो जाती है तब हम मर जाते हैं। ठीक वैसे ही हमें इस गलत विचारधारा को अपने दिमाग से निकालना चाहिए और यह समझना चाहिए कि Curves तरह तरह के होते हैं और इसमें सिर्फ Straight line के पीछे भागना बेवकूफी है।
Chapter 4. The Fear Instinct
यह हमारी आदत है कि हम उन चीजों पर बहुत ज्यादा ध्यान देते हैं जिससे हमें डर लगता है।
चीजों को क्रिटिकली सोचना थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन क्रिटिकली सोचना लोगों के लिए तब नामुमकिन हो जाता है जब वो डरे हुए होते हैं। हम एक ही वक्त पर डर और Facts के बारे में नहीं सोच सकते हैं।
डर हमारे दिमाग में इस कदर हावी हो जाता है कि हम चाह कर भी Facts के ऊपर ध्यान नहीं दे पाते हैं और Facts के ऊपर ध्यान न देने की वजह हम और भी ज्यादा गड़बड़ कर देते हैं उससे डरावनी चीजें और बड़ी हो जाती हैं।
डर को अगर नियंत्रण में करना है तो सबसे पहले यह समझना होगा कि दरअसल डर होता नहीं है बल्कि डर हमारे दिमाग में होता है जबकि रियालिटी तो इससे बहुत अलग होती है।
Chapter 5. The Size Instinct
Author बताते हैं कि हम अपनी दुनिया को जिस गलत नजरिए से देखते हैं वह है The Size Instinct इसका मतलब यह है कि हम अपनी दुनिया को साइज के हिसाब से देखते हैं।
जैसे अगर किसी के पास बहुत ही बड़ा घर है तो वह अमीर और अगर किसी के पास थोड़ा छोटा घर है तो वह गरीब कहलाता है। ठीक वैसे ही अगर किसी के पास बहुत ही लंबी गाड़ी है तो वह बहुत ही ज्यादा अमीर कहलाता है जिसके पास एक छोटी सी गाड़ी है एक मामूली सा आदमी कह लाता है।
दुनिया छोटी और बड़ी की नजर से नहीं चलती हैं हम चीजों को सिर्फ इस नजर से देखने लगते हैं तब चीजें और भी ज्यादा नेगेटिव हो जाती हैं इसीलिए हमें इन सारी चीजों से ऊपर उठकर सोचना चाहिए।
अगर किसी के पास बहुत बड़ा घर है लेकिन उसके अंदर इंसानियत नहीं है तो उस इंसान का बड़े घर में रहने का कोई मतलब नहीं है। वहीं अगर कोई छोटे से घर में रहता है लेकिन उसका मन बहुत उदार हैं तो उस आदमी से ज्यादा अमीर होगा।
इसीलिए आपको कोशिश करनी चाहिए कि आप दुनिया को अपनी Size Instinct से नहीं बल्कि अपने मन से देखें।
Chapter 6. The Generalization Instinct
The Generalization Instinct हमें गलती से चीजों या लोगों या देशों को एक साथ Generalize कर सकती है जो रियलिटी में बहुत अलग हैं। इस तरह की सोच हमें यह मानने पर मजबूर कर सकती है कि एक श्रेणी में हर कोई समान है।
और शायद सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि यह हमें कुछ या यहां तक कि सिर्फ एक असामान्य उदाहरण के आधार पर पूरी श्रेणी के बारे में निष्कर्ष दे सकती है।
जब भी इस तरह की सोच आप पर हावी होने लगे कि सारे लोग समान है तब आपको समूहों के भीतर मतभेदों की तलाश करना चाहिए। विशेष रूप से जब समूह बड़े होते हैं। तो उन्हें छोटी व अधिक सटीक Categories में विभाजित करने के तरीकों की तलाश करने चाहिए।
समूहों में समानता की तलाश करें। यदि आप विभिन्न समूहों के बीच नजर आने वाली समानताएं पाते हैं तो विचार करें कि क्या आपकी कैटिगरी रिलेवेंट हैं।
समूहों में मतभेदों की तलाश करें। यह न मानें कि जो एक समूह के लिए लागू होता है वह दूसरे समूह में भी लागू होगा क्योंकि लोग एक दूसरे से अलग होते हैं और लोग अलग-अलग बातों का अनुसरण करते हैं इसलिए जनरलाइजेशन की गलत सोच को हटाने के लिए समूह में मतभेद देख सकते हैं।
Chapter 7. The Destiny Instinct
The Destiny Instinct एक बहुत ही छोटी तरह की सोच है क्योंकि यह दर्शाती है कि चीजें जैसे अभी हैं हमेशा वैसे ही रहेगी कभी भी उम्र में किसी भी तरह का बदलाव नहीं होगा।
लेकिन इस तरह की सोच रखना ही गलत है क्योंकि प्रकृति का नियम है बदलाव है और बदलाव के बिना दुनिया चल ही नहीं सकती हैं।
लोग इंसान की मेहनत से ज्यादा उसकी किस्मत पर यकीन करते हैं और कहते हैं कि वाह इसने क्या किस्मत पाई है ? या फिर ये लोग ऐसे कहते हैं कि इन लोगों की किस्मत बहुत अच्छी है जिन्हें बिन मांगे ही बहुत कुछ मिल गया।
अमीर बच्चों के बारे में लोगों की यही धारणा होती है कि वे बहुत खुशनसीब है जो इन्हें इतने अच्छे परिवार में जन्म मिला। लेकिन असल में ऐसा कुछ नहीं होता है क्योंकि दुनिया में कोई भी चीज हमेशा एक जैसी नहीं रहती अगर कोई बहुत अमीर आदमी है और उसका बच्चा उसकी संपत्ति को नहीं संभाल पा रहा है तो वह आदमी गरीब बन जाएगा।
वही गरीब परिवार में जन्मा लड़का अपनी मेहनत और काबिलियत पर भरोसा रखता है तो वह भी अमीर बन सकता है। इस तरह की छोटी सोच से हमेशा दूर रहने की कोशिश करना चाहिए।
Chapter 8. The Single Perspective Instinct
बहुत से लोगों की ऐसी फितरत होती है कि वह किसी एक चीज के साइड हो जाते हैं या फिर किसी चीज के Against हो जाते हैं। लेकिन दुनिया में कोई भी चीज ऐसे काम नहीं करती हैं।
मतलब आप जिस चीज का साइड ले रहे हैं वह सही है या आप जिस चीज का साइड नहीं ले रहे हैं वह गलत है यह सोचना एक बहुत ही गलत धारणा है क्योंकि हम अपनी धारणा से लोगों की बातों को सुनकर बना लेते हैं।
लोगों की बातें हमेशा सही हो, ऐसा जरूरी नहीं है इसलिए हमें इस तरह की सोच से भी दूर रखना चाहिए और हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम सिक्के के दोनों पहलू को ध्यान से देखें और फिर यह सोचे कि कौन सही है और कौन गलत।
दुनिया को गलत बोलने से पहले यह भी देख लेना जरूरी है कि आखिर दुनिया गलत क्यों है या फिर अगर आप दुनिया को अच्छा बोल रहे हैं तो आपको यह देखना जरूरी है दुनिया में क्या गलत हो रहा है हर चीज के दो साइड होते हैं और आपको हमेशा दोनों नजरिए से देखना चाहिए।
Chapter 9. The Blame Instinct
क्या आपने कभी ऐसे इंसान को देखा है जो अपनी गलतियों के लिए खुद ही जिम्मेदार रहता है शायद ही देखा होगा? क्योंकि दुनिया में ऐसे बहुत ही कम लोग होते हैं जो अपनी गलतियों की जिम्मेदारी खुद लेते हैं।
क्योंकि दुनिया में अधिकतर लोग कोई भी बुरा चीज होने के पीछे या तो सरकार को, या तो किस्मत को या फिर अपने परिवार को ही बुरा बोलते हैं।
लोग दूसरे के ऊपर Blame करने में इतना ज्यादा बिजी होते हैं कि वह कभी इस बात पर ध्यान नहीं देते कि गलती उन्होंने खुद की है इसलिए हमेशा दूसरों को ब्लेम करने की जगह देखें, आखिर गलती किसकी है और ये हुआ क्यों है?
Chapter 10. The Urgency Instinct
जब भी हमारे सामने कोई मुसीबत आती है तब हम उस मुसीबत को टालने के लिए तैयारी करने लगते हैं। लेकिन ऐसा हो सकता है कि वह मुसीबत आएगी नहीं, जैसे कोई बीमारी या भूकम्प आने का अंदाजा!
इसलिए हमेशा Urgency Instinct का यूज नहीं करना चाहिए और कभी-कभी चीजों को शांत होकर देखना चाहिए।
निष्कर्ष
उम्मीद करते हैं कि इस Book Summary को पढ़ने के बाद आप समझ गए होंगे कि हमने दुनिया के बारे में कितनी गलत राय बना कर रखी है? और हमें इस चीज को ठीक करना होगा।
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