एक कहानी ऐसी भी,
सपना एक बहुत ही टैलेंटेड लड़की है, जिसने अपना सब कुछ छोड़ कर अपनी मर्जी से नवीन के साथ शादी की। नवीन की लव मैरिज थी, इस वजह से सपना की सास ने कभी भी उसे पसंद नहीं किया और हर वक्त उसे नीचा दिखाने का काम किया।
यह बात सपना को बुरी लगती थी और कभी-कभी वह इसकी शिकायत अपने पति नवीन से किया करती थी लेकिन नवीन कभी भी सपना की बातों पर ध्यान नहीं देता और हमेशा अपने ही कामों में लगा रहता है।
सास- आज मुझे मटर पनीर खाने का मन हो रहा है, तुम मेरे लिए आज वही बनाना।
सपना- लेकिन मां जी मटर पनीर तो नवीन को पसंद नहीं है, ऐसे में मैं कुछ और बना देती हूं ताकि सभी मिलकर खाना खा सकें।
सास- अगर नवीन को पसंद नहीं है, तो ऐसे में तुम उसके लिए कुछ और भी तो बना सकती हो? क्या तुम्हारी मां ने कुछ और बनाना नहीं सिखाया?
सास की इस बात से सपना को गुस्सा आ जाता है क्योंकि बात मां की आ गई है और वह बिना कुछ बोले किचन की तरफ चली जाती है और नवीन के लिए कोई दूसरी सब्जी बनाने के बारे में सोचने लगती है लेकिन उसका बुझा हुआ चेहरा नवीन को नजर आता है और वह उससे कारण जानना चाहता है लेकिन सपना ने उसे कुछ भी बताने से मना कर दिया।
जैसे जैसे समय आगे बढ़ता है, वैसे वैसे सपना और भी दुखी होने लगती है क्योंकि अब सास का रवैया प्रतिदिन बदलता जा रहा था और चाह कर भी सपना कुछ कर नहीं पा रही थी। एक दिन सपना के घर उसकी मौसी मिलने आती है जिन्हें देखकर सपना फूले नहीं समाती और दौड़कर मौसी के गले लग जाती है।
बड़े ही प्यार से अपनी मौसी को बैठाती है और अंदर पानी लेने जाती है उसी समय वह आकर देखती है कि सास मौसी के पास आकर बैठी हुई हैं और उनसे बातें कर रही है। यह देखकर तो सपना एक पल खुश हो जाती है लेकिन सपना को आते हुए देखकर सास बोलने लगती हैं- वैसे भी सपना को कुछ खास बनाना नहीं आता हमेशा एक ही प्रकार की सब्जी बना देती है और उसके हाथ में बिल्कुल स्वाद भी नहीं है।
मौसी- यह आप क्या कह रही हैं बहन जी? शादी के पहले तो वह तरह तरह के पकवान बनाकर हमारे घर भेजा करती थी और सपना के मौसा जी को उसके बनाए हुए पकवान बहुत ही अच्छे लगते थे।
सास- [ मुंह बनाते हुए] न जाने आप कौन से समय की बात कर रही हैं? अब तो सपना को जो कुछ भी आता है उसे हम ने ही सिखाया है और वह भी सही तरीके से नहीं बना पाती है।
उसी समय नवीन वहां पर पहुंच जाता है और सब के साथ बैठ जाता है।
सास— यह देखिए आप नवीन से ही पूछ लीजिए कि आखिर सपना ने खाना अच्छा बनाया है या नहीं?
नवीन चुपचाप अपनी मां को देखता रहता है लेकिन वह समझ चुका है कि अब उसकी मां का रवैया दिनों दिन बदलता जा रहा है। मौसी तो वहां से चली जाती हैं लेकिन सपना की आंखों में आंसू देख कर नवीन को अच्छा नहीं लगता और जैसे ही वह कमरे में जाता है, तो उसे वहां पर सपना रोती हुई दिखाई देती है।
नवीन को यह सब अच्छा नहीं लगता और वह बाहर की ओर चला जाता है।
सास- क्या हुआ महारानी को? फालतू में ही रोना-धोना कर रही होगी अरे मैं तेरी शादी एक मेरी सहेली की बेटी से करवाने वाली थी जो विदेश से पढ़ाई करके आई थी लेकिन तुझे अपनी मां की थोड़ी ना फिकर है तुझे अपने मन की चलानी थी तो तूने चला लिया।
महारानी ने खाना तक नहीं बनाया है अब मुझे जाकर कुछ बनाना होगा। [ चिल्लाते हुए]
सपना ने जैसे तैसे खुद को संभाला और चुपचाप किचन की और चली गई। सास ने जब देखा कि सपना किचन में आ गई है, तब उन्होंने भी किचन से जाना ही बेहतर समझा और सपना अपने कामों में लग गई।
आज रात को सपना सो नहीं पाई क्योंकि उसे मौसी के सामने हुई बेज्जती बार-बार याद आ रही थी और वह चाहकर भी कुछ कर नहीं पा रही थी क्योंकि आज वो खुद को बहुत ही अकेला महसूस कर रही थी।
इस बात को कुछ दिन बीत जाते हैं, सपना अब धीरे-धीरे उन बातों को भूलने लगी थी और तभी पड़ोस में रहने वाली रीमा आंटी की बहू शालू वहां आ जाती है जो सपना की सहेली है और वह सपना को अपने साथ शहर में लगे हुए प्रदर्शनी में जाने के लिए कहती है लेकिन सपना की सास उसे जाने से मना कर देती हैं और घर में मेहमान आने का बहाना बना देती है।
हालांकि शालू सब कुछ समझ जाती है और वह चुपचाप वहां से चली जाती है क्योंकि उसे अब बीच में बोलना सही नहीं लगता।
सपना —[ मन ही मन] क्या शादी होने के बाद लड़कियों की इच्छाएं कोई मायने नहीं रखती? क्या हम अपने पसंद से कहीं घूमने भी नहीं जा सकते?
सपना इन ख्यालों में डूबी हुई रहती है कि अचानक उसके सामने सास तैयार होकर आ जाती है और कहती है कि- तुम अपने लिए खाना बना लेना।
मैं अपनी सहेली के साथ शॉपिंग के लिए जा रही हूं क्योंकि उसे कुछ साड़ियां अपनी बहू के लिए खरीदनी है। उसने कहा था कि हम खाना बाहर ही खाएंगे और हां मेरी बुराई तुम मेरे बेटे से मत करना।
सपना- यह आप क्या कह रही है मा जी? मैं भला ऐसा क्यों करूंगी? आपको जहां भी जाना हो आप जा सकते हैं मुझे कोई दिक्कत नहीं है।
सास- अच्छा तो तुम अब मुझे परमिशन दोगी। तुमसे तो मैं आकर ही बात करूंगी और इतना कहकर वह वहां से चली जाती है।
सपना तो कुछ समझ ही नहीं पाती है कि आखिर वह अपने सास के लिए क्या करें कि वह हमसे खुश रहे साथ ही साथ उसे अपने पति से भी शिकायत थी कि जब भी उसे पति की जरूरत होती है वह कभी भी उसका साथ नहीं देते और हमेशा चुप रह जाते हैं।
इसी प्रकार सपना अपने कामों में डूबी रहती। एक दिन जब सपना घर में झाड़ू, पोछा लगा रही होती है कि अचानक उसका पैर फिसल जाता है और वही धड़ाम से गिर पड़ती है।
उसके पैरों में सूजन आ जाती है जिससे लगता है कि शायद उसे फैक्चर हो चुका है लेकिन सास इस बात को मानने के लिए तैयार ही नहीं और वहीं पर वह सपना से कहती हैं— अब देखो महारानी का नया नाटक शुरू हो गया?
नवीन किसी काम से बाहर गया होता है और जैसे ही वह घर आता है, तो सपना को कराहते देख कर उसे बहुत बुरा लगता है और वह देखता है कि मां बार-बार उसे कुछ ना कुछ ताने मारे जा रही है।
इस बात से इस बार नवीन चुप नहीं रहता और वह दौड़ कर आता है सपना को उठाता है और अपनी मां से कहता है— मां आप यह बिल्कुल अच्छा नहीं कर रही हैं? माना आप सपना को पसंद नहीं करती इसका मतलब यह तो नहीं कि आप उसके दुख में, दर्द में उसका साथ नहीं देंगे।
लव मैरिज उसने ही नहीं की थी बल्कि मैंने भी की है अगर आप उसका साथ नहीं देगी तो और कौन देगा? आपने आज तक उसे इतने ताने मारे हैं लेकिन उसने कभी भी आप को पलट कर जवाब नहीं दिया और हमेशा उसने मुझसे कहा है कि वह हमेशा आपका ख्याल रखेगी लेकिन आप कभी उसका ख्याल नहीं रख पाती।
सास- तो तू क्यों जोरू का गुलाम बना जा रहा है?
नवीन- अगर अपनी पत्नी की देखभाल करना, उस का साथ देना जोरू का गुलाम होना है तो हां मैं जोरू का गुलाम हूं और मैं समझ गया हूं कि अगर मैं अपनी पत्नी का साथ नहीं दे सकता तो फिर मैं कभी भी एक अच्छा पति नहीं बन सकता।
सुबह से शाम तक सपना आपका ख्याल रखती है और हमेशा इस बात की फिक्र में लगी रहती है कि आपको कोई कमी ना हो। लेकिन कभी भी आपके दिल में उसके लिए प्यार, दया जैसी भावना आई ही नहीं है आप हमेशा उसे जलील करती रहती हैं और हां एक बात और 1 साल पहले जब आप तेज बुखार में तड़प रही थी उस समय रात भर जग कर सपना ने आपकी देखभाल की थी, मैंने नहीं और उसने ही डॉक्टर को बुलाया था।
लेकिन आपको हमेशा ऐसा लगा कि उसने नहीं बल्कि मैंने आपकी सेवा की है। दरअसल मुझे सपना ने बताने से मना किया था।
इस बात से सास को बहुत आश्चर्य हुआ।
सास- तुम्हारी बातें अब मुझे समझ में आ रही है और मैंने जो कुछ भी किया उसके लिए मुझे बहुत दुख है। सपना ने आज तक मेरी सेवा की लेकिन मैंने कभी भी उसके समर्पण भाव को नहीं समझा।
जब हम एक ही घर में होते हैं, तो हमेशा एक दूसरे का साथ बन कर आगे बढ़ना चाहिए ना कि एक दूसरे की टांग खींचते हुए, तुमने समझा दिया बेटा।
अब सास सपना के पास जाकर उसे संभालने लगती हैं जिससे सपना को खुशी मिलती है और अब वह खुशी से अपने पति नवीन की ओर देखती हैं और नवीन के द्वारा उठाए गए कदम को वह सही मानती है।
दोस्तों, कई बार हम देखते हैं कि घर में बहुओं का लगातार अपमान किया जाता है और उनसे हमेशा हम अच्छे की उम्मीद करते हैं। एक बात याद रखना चाहिए कि जब तक हम अपनी बहू को सम्मान, इज्जत, प्यार नहीं देंगे तब तक वह भी हमसे वह प्यार और इज्जत नहीं कर पाएगी।
सच्चा इंसान वही होता है जो सही को सही और गलत को गलत बोल सकें और बिना किसी डर के आगे बढ़ सके।
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