Good Character and Money Hindi Kahani, चरित्र की दौलत Hindi Story
इन्सान सिर्फ पैसे(Money) से अमीर नही बन सकता । चरित्र(Character) की दौलत भी जरूरी है। दोस्तों मैं प्रीति अग्रवाल आपको एक कहानी सुनाना चाहती हूँ, जो यह समझाती है, कि चरित्र ही सबसे बड़ी दौलत है। इस दुनिया में हर कोई अमीर बनना चाहता है और उसमें कुछ गलत भी नही है, पर उसके लिए गलत रास्ता चुनना बहुत गलत है।
एक दुकानदार था। वो ग्राहकों को ठगकर उनसे सामान के जरूरत से ज्यादा पैसे लिया करता था, उस पर सामान में मिलावट भी खूब किया करता था। वो मसालों से लेकर दाल, चावल, आटे तक में मिलावट करता। उसके मिलावटी सामान की वजह से कई बार ग्राहकों की सेहत भी खराब हुई, पर वो बहुत होशियारी से बात पलट देता।
उसकी पत्नी एक नेकदिल महिला थी। उसको अपने पति की यह हरकतें बिल्कुल भी पसंद नही थी। वो उसे कई बार समझाती। पर, वो दुकानदार अपनी पत्नी की बात सुनकर भी अनसुना कर देता। उसे सिर्फ पैसों से मतलब था। उसे बस इतना पता था, कि उसे बहुत अमीर बनना है।
एक दिन, उनके शहर के पास जंगल में एक साधुबाबा आए। सभी लोग उस साधु बाबा की बहुत तारीफ कर रहे थे। हर कोई उनके प्रवचन की तारीफ कर रहा था। दुकानदार की पत्नी ने सोचा, मैं भी साधु बाबा से आशीर्वाद ले आती हूँ।
वो भी बाबा का प्रवचन सुनने गयी। बाबा का प्रवचन उसे भी बहुत पसंद आया। प्रवचन खत्म होने के बाद सभी लोग चले गये। तब दुकानदार की पत्नी साधु बाबा के पास गई। उसने बाबा के आगे हाथ जोड़कर कहा, बाबा, मेरे पति व्यापार में धोखाधड़ी करते है। मैंने उन्हें बहुत समझाया पर, उन्हें पैसों के आगे कुछ नही दिखता। बाबा, आप ही बताए, मैं उन्हें कैसे सही रास्ते पर कैसे लाऊ।
बाबा ने दुकानदार की पत्नी से कहा, बेटी, तुम उन्हें मेरे पास भेजना।
दुकानदार की पत्नी वापिस घर लौट आई। वो जानती थी, अपने पति को साधु बाबा के पास जाने के लिए तैयार करना आसान नही था। उसने बहुत सोचा और आखिरकार उसे एक रास्ता सूझा।
जब शाम को दुकानदार वापिस घर आया। उसकी पत्नी ने कहा, शहर के पास जंगल में एक साधु बाबा आए है। हर कोई कह रहा है, वो बड़े चमत्कारी है। पड़ोसन कह रही थी, उसका पति बाबा से आशीर्वाद लेकर आया। तो बाबा के आशीर्वाद से आज उनका एक पुराना झगड़ा सुलझ गया और उन्हें खूब धन मिला।
तुम भी उनसे आशीर्वाद लेने जाओ, अगर वो आशीर्वाद देंगे, तो हमें खूब धून मिलेगा।
अपनी पत्नी की बात सुनकर लालची दुकानदार ने सोचा, वाकई, अगर बाबा के आशीर्वाद से पड़ोसी को धन मिला है, तो शायद मुझे भी धन मिल जाए। और फिर बाबा से आशीर्वाद लेने के कौन से पैसे लग रहे है। आखिरकार, दुकानदार साधु के पास जाने के लिए राजी हो गया। अगले दिन, वो साधु से मिलने जंगल की तरफ चल पड़ा। वो जंगल में पत्नी के बताए रास्ते से होता हुआ बाबा के पास गया।
उसने देखा, एक पेड़ के पास भगवा कपड़े पहने हुए एक आदमी बैठा था। उसके हाथ में माला थी और वो माला जपते हुए भगवान का नाम ले रहा था। दुकानदार को यकीन हो गया, यहीं वो साधु बाबा है, जिसके बारे में पत्नी ने बताया था।
वो बाबा के पास हाथ जोड़कर बैठ गया। उसने साधु के आगे हाथ जोड़े। साधु ने दुकानदार को देखा, लेकिन उसने दोबारा आखे बंद कर ली और बिना कुछ कहे चुपचाप माला जपता रहा। दुकानदार को कुछ अजीब लगा। कुछ देर बाद भी, जब बाबा ने आखे नही खोली तब दुकानदार ने सोचा, लगता है, साधु को कुछ चढ़ावा चाहिए। तभी वो आशीर्वाद देगा।
उसने सोचा, अगर थोड़े से चढ़ावे से बाबा खूब धन मिलने का आशीर्वाद देता है, तो थोड़ा सा चढ़ावा भी चढ़ा देता हूँ।
अब, साधु बाबा तो पहले से दुकानदार की सारी सच्चाई जानते थे, कि वो दुकानदार ग्राहको को ठगता है। गलत काम करता है। दुकानदार की पत्नी सारी सच्चाई खुद बता चुकी थी।
दुकानदार ने अपनी पोटली से थोड़ा सा धन निकाला और साधु के पैरो में रख दिया। और कहा, बाबा यह मेरी तरफ से छोटी सी भेंट है। इसे स्वीकार करे और मुझे आशीर्वाद दे। साधु ने आखे खोली।
फिर उसने मुस्कराते हुए कहा, बेटा, यह धन अपने पास वापिस रख लो। मैं भिखारियों से धन नही लेता। तुम तो खुद एक भिखारी हो, तुम्हारा चढ़ावा मुझे मंजूर नही है। साधु की बात सुनकर, दुकानदार चौक गया।
उसे थोड़ा गुस्सा भी आया। उसने गर्व भरी आवाज में कहा, बाबा आपको कोई गलतफहमी हुई है। मैं कोई भिखारी नही हू। बल्कि अपने शहर का जानामाना व्यापारी हॅ़ू। मेरे पास बहुत पैसा है। मेरे पास अपार धन है।
दुकानदार की बात सुनकर साधु हॅसने लगा। फिर साधु ने मुस्कुराकर कहा तेरे पास बहुत पैसा होगा। सोना- होगा। पर, मूर्ख, तेरे पास चरित्र की दौलत नही है। बेईमानी करके तुने अपना चरित्र खो दिया है। बेईमानी से तुझे चार दिन लाभ मिलेगा।
लेकिन, अगर सच्चाई का रास्ता अपनाएगा तो सारी जिंदगी लाभ कमायेगा। तू जिंदगी के व्यापर का इतना छोटा सा हिसाब नही जानता। फिर कैसा व्यापारी मेरी नजर में तो तू भिखारी है। एक ऐसा व्यापारी, जिसे खुद अपनी गरीबी के बारे में नही पता।
साधु बाबा की बात सुनकर, दुकानदार की आँखों में आंसू आ गये। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने बाबा के आगे हाथ जोड़कर कहा, बाबा आपने मेरी आखे खोल दी। आज, मुझे पता चला कि मैं गलत रास्ते पर चल रहा था।
मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया। मैं प्रण लेता हू, आज से मैं पूरी ईमानदारी से अपना व्यापार करूगा। मुझे आशीर्वाद दे, मैं हमेशा सच्चाई के रास्ते पर चलू। दुकानदार की बात सुनकर साधुबाबा ने मुस्कराते हुए व्यापारी को आशीर्वाद दिया। दुकानदार वापिस अपने घर की तरफ चल पड़ा। आज उसका मन बहुत शांत था।
दुकानदार ने अपनी पत्नी को अपने प्रण के बारे में बताया। दुकानदार की बात सुनकर उसकी पत्नी खुशी से झूम उठी। उसने मन नही मन बाबा को धन्यवाद कहा।
दोस्तों, आप अपने पैसे के साथ चरित्र का भी ध्यान रखते है ना, क्योकि यह सबसे बड़ी दौलत हैं।
आपको यह कहानी कैसी लगी, Comments में जरूर बताए।