Romantic Hindi Poem, Love Poetry, Poem By Rajkumar Yadav
दोस्तों, कैसे हो आप सब? आपकी खिदमद में दो कविता पेश कर रहा हूँ, आशा हैं आपको यह पसंद आएगी, अच्छी ख़राब आपको जैसी भी लगे परन्तु अपना feedback जरुर दे, जिससे मैं वह लिख पाऊ जिसमें की आपका Interest हो
मगर ऐसा कोई हो तो सही
जग कर रातों में
मुझे भी बात करनी है
मगर ऐसा कोई हो तो सही
छुपके सारे जग से
उससे मुलाकात करनी है
मगर ऐसा कोई हो तो सही
कुछ भावनाएं जगी है मन में
कोई चाहिए अपने जीवन में
प्यार हमें उस कोई के साथ करनी है
मगर ऐसा कोई हो तो सही
मैं जिधर देखता हूं मुझे उधर
कोई वह आता नहीं है नजर
नज़रों से एक बार
नादानी सा कुराफात करनी है
मगर ऐसा कोई हो तो सही
आओ आओ मेरे दिल के चैन
रहता हूं मैं आजकल बेचैन
मिलेगा वो जब कभी
उससे कुछ सवालात करनी है
मगर ऐसा कोई हो तो सही
– “राज” कुमार यादव
आजकल क्यूं
जुनून जमते जा रहे है
उकून सिमटते रहे है
आज कल क्यूं
ना मैं जानूं,ना तू
उम्मीद मिटते जा रहे है
नींद छंटते जा रहे है
आजकल क्यूं
ना मैं जानूं,ना तू
तो ये में समझ लूं
ये पागलपन ही मेरा है
तो ये मैं समझ लूं
ये आवारापन ही मेरा है
अब झूठ भी सच लगे
तो सच का वजूद कहां है
मैं निकला सच की खोज में
और जाने तू खुद कहां है
मिल जाओ इक बार तो
कुछ हश्र भी बदल देते
अपना पराया का भी
यह अंतर बदल देते
उम्मीद मिटते जा रहे है
नींद छंटते जा रहे है
आजकल क्यूं
ना मैं जानूं,ना तू
तो ये में समझ लूं
ये पागलपन ही मेरा है
तो ये मैं समझ लूं
ये आवारापन ही मेरा है
दूर से जो हसीन लगी
पास से कितनी बदसूरत है
वो मेरा सपना ही तो था
जो अब मेरी किस्मत है
मैं भगा था जिसके पीछे
जलते सड़क पे पानी जैसा था
इक भ्रम था मैं होशियार
मेरा सायानेपन नादानी जैसा था
उम्मीद मिटते जा रहे है
नींद छंटते जा रहे है
आजकल क्यूं
ना मैं जानूं,ना तू
तो ये में समझ लूं
ये पागलपन ही मेरा है
तो ये मैं समझ लूं
ये आवारापन ही मेरा है
– “राज” कुमार यादव
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