एक तुम्हारा होता था,एक मेरा होता था
कभी एक फ्रेम में दो मुस्कुराते चेहरे होते थे
एक तुम्हारा होता था,एक मेरा होता था
तुमको भी याद होगा
वो नुक्कड़ वाली पुचके की दुकान
और सन्डे-सन्डे एक साथ घूमने जाना
उस खामोश फिजां में जो आवाजें होती थी
एक तुम्हारी होती थी,एक मेरी होती थी।
जब तुम मेरी पसंद ओढ़
लिया करती थी
जैसे मेरे पसंद का नेल पॉलिश
मेरी पसंद वाली शर्ट
मेरे पसंद की जींस
मेरे पसंद के कान में का
तुम्हारे बालों में दो रंग के क्लिफ होते थे
एक तुम्हारे पसंद के,एक मेरे पसंद के होते थे
मैं तुम्हारी पसंद में खुश था
फिर भी तुम मुझसे मेरी पसंद पुछती
तो मुझे अच्छा लगता
यह भी सच था कि
मैं तुझे कभी इनकार नहीं करता
लेकिन तुम भी तो
मेरी हर बात मान लेती थी
दो अलग-अलग पसंद एक हो गए थे
तुम्हारी पसंद मेरी हो गई थी,मेरी पसंद तुम्हारे हो गए थे
तबियत मेरी बिगड़ती थी
और खाना खाना तुम छोड़ देती थी
कहती थी तुम्हारा दर्द
मुझे महसूस होता है
फिर तुम दूर क्यों गई
वापस आ जाओ ना
फिर एक डेस्क पे दो कप होंगे
एक तुम्हारा होगा,एक मेरा होगा
फिर एक कागज पे दो नाम होंगे
एक तुम्हारा होगा,एक मेरा होगा
फिर एक फ्रेम में दो चेहरे होंगे
एक तुम्हारा होगा,एक मेरा होगा
~ राजकुमार यादव
कायल था
कायल था
उसके बात करने के स्टाइल का
एक हल्की लंबी स्माइल का
मैं कायल था
वो ऐसे बोलती थी
जैसे मेडिटेशन करा रही हो
एक पल में जीने का सारा
गुर सिखा जाती थी
हां,उसके साथ रहने से मुझमें समझ आई थी
मैं नहीं जानता कि
उससे मिलने का बाद मैं देवदास बना या कालिदास
लेकिन इतना जरूर था
मैं उसके यादों का दास बन बैठा
उसकी यादें ही तो थी
वो जो चाहे करा लेती थी
कभी उसकी याद में
सिगरेट जला लेता था
कभी खुद ही के साथ
लॉन्ग ड्राइव पे चला जाता
कभी नींद नहीं आती
तो चांद का माथा चूम लेता
~ राजकुमार यादव
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