Hindi Poems, Hindi Poetry, Hindi Kavita, Poem By Rajkumar Yadav
शायद! अब वह चली गई है
अब वो चबूतरा सूना सूना है
जिस पे बैठती थी, तो रौनकें बिखर जाती थी
मैं अकसर उसे दूर से देखता था, वो पास से गुजर जाती थी
जब वो दिखाई नहीं देती तो
लगता था,आज सूरज फीका पड़ गया
पंछी सारे गम वाले गीत गाा रहे है
कोई बिरहन पियाजी को आवाज दे रही है
वैसे मै जादू – वादू नहीम मानता हूं
लेकिन उसमें जरूर कोई जादू था
बिन चाहे भी उसकी ओर खींचा जाता था
बेवजह मैं गाने लगता, नाचने लगता
शायद!अब वो चली गई है
वो कुर्सी खाली खाली है
जिस पर बैठ कर घंटों राह तकती थी
मैं जिससे प्यार करता था,वह वही लड़की थी
जो चली गई है, किसी और की हो चली है
– राजकुमार यादव (Raj Kumar Yadav)
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4 Comments
राज कुमार यादव जी बहुत ही शानदार कविता आपने लिखी हैं.
wow
waaah bahut achha likhte ho..
nice poetry