बड़ी अजीब है ना ये छोटी सी जिंदगी, अगर ख्वाब देखो तो कभी पूरे नहीं होते, दृष्य देखो तो कभी पूरा नहीं दिखता, कुछ करो तो कभी पूरा नहीं होता।
फिर भी व्यक्ति इसी उम्मीद के साथ आगे बढ़ता है कि एक न एक दिन दुख निपट ही जाएगा। यह सब सोचते सोचते करोड़ों लोगों की सारी उम्र गुजर जाती है।
मनुष्य को हमेशा यही लगता है कि इस संसार के सारे दुख भगवान ने मेरे नाम ही कर दिए। वह जब भी शांत बैठना चाहता है तो उसके मन में कुछ न कुछ ऐसे ख्याल उठते हैं जो उसे परेशान कर देते हैं ।
वह मजबूर हो जाता है वहां से उठने के लिए लेकिन जब वह वहां से उठकर कुछ कार्य करने लगता है तो यही उम्मीद के साथ कार्य करता है कि मैं इस कार्य को कुछ समय पश्चात पूरा कर दूंगा।
उस कार्य को समाप्त कर नहीं सकता लेकिन दूसरे कार्यों के विचार उसके मन में फिर से उठते हैं ऐसे ही कई लोग थक के मारे बैठ जाते हैं।
जो लोग अपने जीवन में संतुष्ट होते हैं वे प्रत्येक समय मेहनत करते हैं। उन्हें कभी भी दुखों का एहसास नहीं होता, हां दुख ऐसी चीज है जो प्रत्येक व्यक्ति के किस्मत में होता हैं, परंतु यह महसूस सिर्फ उसी को हो पाता है जो इसके साथ बारीकी से दोस्ती कर बैठता है
दुखों से दोस्ती वही करता है जो लगातार खाली बैठा रहता हो, जो इंसान कुछ भी कार्य नहीं करता दुख अक्सर उसे ही अपना दोस्त बना लिया करते हैं।
अगर इन सारे दुखों से दूर रहना है, तो हमें हमेशा अपने कार्यों पर व्यस्त रहने की जरूरत है जब कभी भी हम अकेले रह जाते हैं या अपने आप को अकेले महसूस करते हैं।
तो हमें अपना वक्त सिर्फ उन लोगों के साथ बिताना चाहिए जो हमेशा से हमारी भावनाओं को समझ पाते हैं और हमें खुश रखना चाहते हैं ।
अक्सर ऐसा सिर्फ हमारे अच्छे मित्र और हमारे परिवार वाले ही चाहते हैं या चाहते होंगे क्योंकि एक परिवार ऐसा होता है जिस में रहने वाले सभी सदस्यों को एक दूसरे की परवाह होती हैं ।
वे लोग हमेशा ही अपने से बढ़कर अपने परिवार के सदस्यों की खुशी चाहते हैं,जैसे एक पिता कभी भी अपने लिए पैसे कमाने के लिए नौकरी नहीं करता वह हमेशा ही अपने परिवार की खुशी चाहता है और उनके लिए ही पैसे कमाता है।
इसीलिए हमारे मन में जब भी अकेले होने की भावना आती है, तो अपना वक्त अपने घर वालों के साथ बिताना चाहिए और अपनी सारी बातें, जिनसे हमें परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अपने परिवार के सदस्यों को बतानी चाहिए।
दुखों से बनानी है दूरी, तो ये करना है जरूरी
बहुत सारे लोगों का दुखों से दूर रहने का कारण अपने मनपसंद के कार्य करना होता है क्योंकि जब भी कोई अपने मनपसंद के कार्य करता है तो वह उन कार्यों में इतना व्यस्त रहता है कि उसे बेकार के अन्य विचार सोचने का वक्त ही नहीं मिल पाता।
वह सोचता भी है तो हमेशा ही उसे अपने उन कार्यों से खुशी होती है जिन्हें वह कर रहा होता है और वह अपनी परेशानियों को मात देकर अपने कार्यों में दिलचस्पी जताता है।
हमें भी अक्सर यही करना चाहिए जिस कार्य में हमारा मन लगता है या हमें जो कार्य करना अच्छा लगता है हमें हमेशा ही उन्हीं कार्यों को अपनाना चाहिए ।
ताकि हम अपने छोटे से जीवन को बड़े ही आसानी के साथ यापन कर सकें।
यह तो साधारण ही बात है कि अच्छे कार्यों से हर किसी को खुशी नसीब होती है और जहां खुशी होती है वहां दुख का कोई सवाल ही नहीं उठता ।
अगर हमें दुखों से दूर रहना है तो हमें खुश रहने की आवश्यकता है, हम खुश तब रह सकेंगे जब हम अपनी आत्मा के बल पर कुछ कार्य करके अपनी आत्मा को संतुष्ट कर सकते हैं ।
हमें जब भी खाली वक्त मिलता है तो इस समय हमें उन लोगों की सहायता करनी चाहिए जिन्हें हमारी जरूरत है या हम जिनके कार्यों को कर सकते हैं ।
दूसरों की सहायता करने से हर कोई इंसान खुश ही रहता है इसीलिए हमें भी ज्यादा से ज्यादा लोगों की सहायता करके जीवन में आगे बढ़ना चाहिए
ताकि हम अपने जीवन में ज्यादा से ज्यादा खुशी हासिल कर सकें और गमों से दूरी बना सकें।
हालांकि यह उचित नहीं की हम अपने कार्यों को छोड़कर दूसरों की सहायता करने निकल जाएं, हमें सबसे पहले अपने कार्यों को पूरा करना चाहिए क्योंकि सबसे बड़ी खुशी हम तब होती है जब हम अपना कार्य पूरा कर चुके होते हैं।
हमें खुश रहने के लिए सबसे पहले सभी उन कार्यों को करने चाहिए जो हमारे लिए आवश्यक हो तभी हम दुखों से दूर रह सकते हैं। जिससे हमें दुखों के साथ बहस करने का मौका भी नहीं मिल सकता I
जो लोग अपने जीवन में अत्यधिक खुश रहते हैं उन्हें कभी मौका ही नहीं मिलता अपने दुखों को ढूंढने का,वे लोग हमेशा ही अपने अच्छे कार्यों में,जिनसे उन्हें तथा उनके परिवार वालों को लाभ मिलता है,ऐसे कार्य में व्यस्त रहते हैं ।
जब भी उन्हें खाली वक्त मिलता है वह कुछ अच्छी किताबें पढ़ लेते हैं जिनसे उनका मन हल्का हो जाता है और किताबें पढ़ने के साथ-साथ वे लोग अत्यधिक दानी भी होते हैं जो अपने वक्त का दान दूसरों के लिए करते हैं ।
जीवन में सबसे महत्वपूर्ण वक्त ही होता है और जो लोग अपना वक्त दूसरों के लिए दान करते हैं उन से ज्यादा खुशी किसी अन्य इंसान को मिल ही नहीं सकती ।
इसलिए हमें भी हमेशा ही अपने कार्यों के साथ-साथ अन्य लोगों की सहायता भी करनी चाहिए और जब भी वक्त मिले अच्छी किताबों के साथ उसे बिताना चाहिए ।क्योंकि किताबें ही एक ऐसी मित्र होती हैं जो हमारी सभी समस्याओं का हल हमें बता देते हैं।
जो लोग अपने अच्छे कार्यों में हमेशा व्यस्त रहते हैं उन्हें कभी वक्त ही नहीं मिलता दुखी होने का। क्योंकि काम करने वाला व्यक्ति कभी दुखी मिल ही नहीं सकता।
दुखी हमेशा वही रहता है जो बिना काम किए अपना जीवन गुजारता है ।
दुखी होने का वक्त ही नहीं मिलता ~ कहानी
अब हम आपको इस लेख में जीवन में व्यस्त रखकर सुखी जीवन जीने का एक छोटा सा उदाहरण देंगे।
इस कहानी में एक इंसान अपने जीवन के महत्व को वह नहीं समझ पाता और बेमतलब में अनजान बनकर दुखों के साथ दोस्ती कर बैठता है।
एक शहर में एक बहुत अमीर व्यापारी रहता था। जिसके पास अपने बचपन से ही मां बाप द्वारा जोड़ी गई कई गुना धन दौलत एकत्र थी।
इसलिए वह व्यापारी अपने आप को बहुत भाग्यशाली समझता और उसने अपने व्यापार को अपने माता पिता की तरह ही कायम रखा।
उसने बहुत सारे लोगों को अपने वहां काम में भी रखा था । व्यापारी को लगता था, जितने भी मैंने अपने काम करने के लिए व्यक्ति रखे हैं, मैं शायद इन सब में सबसे अमीर और सबसे खुशनसीब आदमी हूं ।
वह जीवन के महत्व को नहीं समझता इसलिए कुछ घमंडी भी था। व्यापारी के वहां जितने भी व्यक्ति काम करते थे। वह हर रोज उनकी हाजिरी लगाने के लिए उनके पास जाता, तो हमेशा उन लोगों को मुस्कुराते हुए देखता।
व्यापारी समझ नहीं पाता कि इन सब व्यक्तियों में से सबसे ज्यादा अमीर में हूं तो ये लोग इतना खुश कैसे रहते हैं?
व्यापारी को काम धंधे की खूब चिंता सताती रहती और सोचता कहीं उसका व्यापार ठप ना हो जाए…!
उसके मन में यह भी विचार आते की कहीं वह अपने द्वारा काम में रखे गए व्यक्तियों को ज्यादा पैसे तो नहीं दे रहा। जिस कारण वे हमेशा खुश रहते हैं परंतु ऐसा कुछ भी नहीं था।
वे लोग हमेशा अपने कार्य में व्यस्त रहते थे और काम करते-करते कुछ बात हंसी मजाक के रूम में कर लिया करते।
परंतु व्यापारी उनके खुश रहने का कारण कुछ और ही समझ बैठता इस कारण वह अपने दुखों को और भी बढ़ा लेता।
बहुत समय बीत चुका था व्यापारी हर रोज उन व्यक्तियों को मुस्कुराते हुए देखता और अपनी तुलना उन लोगों से कर बैठता उसे फिर भी यह बात समझ नहीं आती ।
कि उनके इतना खुश रहने का क्या कारण है? उस के मन में हमेशा यही सवाल उठते कहीं उसका व्यापार कम ना हो जाए ?
वह कभी भी यह नहीं समझ पाता कि सिर्फ धन दौलत से आदमी खुश नहीं रह पाता।
लेकिन यह बात भी सही है कि सुकून और खुशी बाजार में बिकती तो व्यापारी उसे सबसे ज्यादा खरीदते! लेकिन ऐसा कुछ भी विकल्प इस संसार में नहीं है।
खुशी और सुकून हमेशा ही अच्छे कार्यों से आती है वह अच्छे कार्य जिससे हम खुश रहते हो, अपने परिवार वालों, अपने दोस्तों तथा अन्य चाहने वालों को खुश रखते हो।
ऐसे ही कार्यों से हमें सुकून प्राप्त होता है लेकिन यह व्यापारी उन लोगों की खुशी को देखकर जलता था और अपना घमंडी व्यवहार प्रकट करता।
व्यापारी ने जो लोग अपने वहां काम में रखे थे। वे लोग हमेशा ही अपने कार्यों में व्यस्त रहते और उन्हें कुछ भी सोचने तक का मौका नहीं मिलता वे लोग सिर्फ उतना ही सोच पाते जितना उन्हें वहां काम करना हो।
शायद यही कारण रहता होगा कि उन लोगों को घर जाकर भी फालतू का टाइम नहीं मिल पाता हो ।
अगर हमें भी दुखों से दूर रहना है तो हमें हमेशा ही अपने कार्यों में व्यस्त रहना चाहिए और हमेशा ऐसे ही कार्य करने चाहिए जिससे हमारे साथ साथ अन्य लोगों को भी कुछ लाभ मिल सके ।
ऐसा करने से हम दुखों के पास जाने से बच सकते हैं। और एक प्रसन्न व आनंद पूर्वक जीवन यापन करने में सफल हो सकते हैं ।
सीख-
हमें यह कहानी संदेश देती है कि अगर हमें जीवन में हमेशा खुश रहना है तो हमें अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए हर कार्य को बड़ी लगन और ईमानदारी से करना चाहिए।
जिससे हम अपने छोटे से जीवन में हमेशा व्यस्त रहेंगे और हमें दुखी होने का वक्त ही नहीं मिल पाएगा ।