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संस्कारों से बड़ी कोई वसीयत नहीं होती

Sanskara से बड़ी कोई वसीयत नहीं होती और यह शिक्षा घर-परिवार के आचरण से, व्यवहार और रहन सहन  से और लोक व्यवहार से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाती हैं।

इंसान के जीवन का सबसे पहला ज्ञान उसके संस्कार होते हैं। क्योंकि एक बालक को विद्यालय शिक्षा से पूर्व संस्कारों की शिक्षा दी जाती है जिसकी शुरुआत परिवार से होती है।

संस्कार रूपी इसी शिक्षा की बदौलत एक इंसान जीवन में कितनी तरक्की और सफलता हासिल कर सकता हैं। इसका अनुभव भी बचपन से ही लगाया जा सकता है।

अच्छे संस्कार होने का मतलब एक श्रेष्ठ जीवन से है। ज्यादातर लोग अपने बच्चों को वसीयत के रूप में सिर्फ जमीन जायदाद दे जाते हैं। परंतु उन्हें वसीयत के रूप में अच्छे संस्कार नहीं दे पातेl

जिसके कारण आने वाली पीढ़ी संस्कारों की कमी के कारण, बुजुर्गों द्वारा दी गई जमीन जायदाद का सही उपयोग नहीं कर पाती।

जिससे यह भी पता चलता है कि वसीयत के रूप में संस्कारों से बड़ी कोई भी चीज नहीं हो सकती। अच्छे संस्कार ही हमारे जीवन को संवार सकते हैंl

संस्कार ही हमारे जीवन की पहली सीढ़ी होते हैं, जिन सीढ़ियों पर कदम रख कर भविष्य की सफलता की नींव तैयार करते हैं और अपने जीवन में बड़ी-बड़ी ऊंचाइयों को छू सकते है।

अब प्रश्न उठता है कि आखिर संस्कार होते क्या है?

संस्कार कोई वस्तु नहीं है न ही यह खरीदी जा सकती है और न ही मागी जा सकती है संस्कार केवल ऐसी चीज है जो हमें हमारे परिवार और हमारे बड़े बुजुर्गों द्वारा दिए जाते है।

वे संस्कारों के बदले में हमसे सिर्फ हमारी और अपनी मुस्कान लेते हैं, हमें एक नेक रस्ते में चलने के लिए मजबूर करते हैं।

संस्कारी व्यक्ति के अंदर इमानदारी, दूसरों के प्रति सम्मान, संवेदनशीलता, आत्मविश्वास, विनम्रता, दया, दान और प्रेम भक्ति इत्यादि गुण पाए जाते है।

यह सब एक इंसान में तभी आ सकते हैं जब वह अपना मूल्यवान समय अपने माता पिता, परिवार के साथ बिताता हो और अपना अधिकतर समय अच्छी किताबें पढ़ने में व्यतीत करता हो।

क्योंकि परिवारों के अलावा, किताबें वह माध्यम है जहां से व्यक्ति ज्ञान अर्जित करता है।

 संस्कार का अर्थ

इसलिए कहा जाता है, पुस्तकें मनुष्य की सच्ची मित्र होती हैं, जो उसे सुमार्ग पर चलने और जीवन में श्रेष्ठ व्यक्ति बनने का रास्ता दिखाती है।

विद्यालय मनुष्य के लिए पेशेवर जीवन में तरक्की पाने का एक आधार है, स्कूल में विभिन्न भाषाओं का ज्ञान, और वे सारी क्रियाएं आयोजित की जाती है जिससे बालक के मस्तिष्क का विकास होता है।

पर संस्कार कभी भी विद्यालयों में नहीं सिखाए जाते, हालांकि संस्कारों की परख जरूर स्कूलों में की जाती है।

जैसे किसके पास कैसे संस्कार हैं? कौन सा बच्चा कैसे परिवार से रिश्ता रखता है?

हम भले ही स्कूल से कितनी बड़ी शिक्षा क्यों ना हासिल कर ले परंतु यह संस्कार रूपी शिक्षा हमें हमारे परिवार से ही मिल सकती है।

यह परिवार के ऊपर निर्भर करता है कि वह हमें किस प्रकार के संस्कार देते हैं हम इन संस्कारों की बदौलत अपने जीवन में कितना आगे बढ़ सकते हैं ।

एक संस्कारी व्यक्ति में पाए जाने मुख्य गुण

1. ईमानदारी

एक ईमानदार व्यक्ति न सिर्फ खुद के लिए अपितु अपने परिवार, समाज और देश के लिए भी उपयोगी होता है। अतः बचपन से ही हमें ईमानदारी का गुण सिखाया जाता है हमें अपने परिवार में शिक्षा दी जाती है कि कभी झूठ ना बोलें, चोरी ना करें।

बेईमानी से मन क्षण भर के लिए मन खुश तो होता है लेकिन आत्मा अंदर ही अंदर धिक्कारती है, अतः हमें सीख दी जाती है कि सुखमय जीवन जीने हेतु ईमानदारी होना बेहद जरूरी है।

ध्यान एक ईमानदार व्यक्ति वह नहीं जिसे दुनिया ईमानदार माने परंतु ईमानदार व्यक्ति वह है जो कभी भी स्वयं से झूठ ना बोलता हो।

जी हां यदि आप स्वयं से झूठ बोलते हैं, तो आप ईमानदार नहीं हैं। उदाहरण के लिए यदि आप किसी काम को कल करने के लिए टालते रहते हैं तो आप खुद से झूठ बोल रहे हैं अतः आप ईमानदार नहीं।

2. दूसरों के प्रति सम्मान

सम्मान एक ऐसी चीज है जिसके बल पर व्यक्ति बड़ी बड़ी उपलब्धियां हासिल कर पाता है और इंसान प्रत्येक व्यक्ति के दिल में खास जगह बना पाता है। क्योंकि सम्मान देने से ही सम्मान मिल पाता है

हमें अगर अपने जीवन में सफल होना है तो सफलता की राह में चलते हुए प्रत्येक व्यक्ति का सम्मान करना चाहिए और हमेशा ही लोगों के साथ समान व्यवहार कर सभी को एक समान नजरिए से देखना चाहिए।

खुद से बडे प्रत्येक व्यक्ति का सम्मान करना चाहिए। बड़े बुजुर्गों का सम्मान कर उनके आशीर्वाद से ही हम अपने जीवन में आगे बढ़ पाते हैं और सम्मान की कीमत समझ पाते हैं।

3. संवेदनशीलता

संस्कारों में सबसे बड़ी चीज संवेदनशीलता ही एक मां-बाप द्वारा अपने बच्चे को सिखाई जाती है संवेदनशीलता के कारण ही व्यक्ति अपनी सोचने की क्षमता के साथ-साथ दूसरों की भावनाओं को भी समझ पाता है ।

इसलिए दुनिया में संवेदनशीलता ही सबसे बड़ा संस्कार माना जा सकता है।

हमें एकमात्र मनुष्य की ही भावनाओं को नहीं समझना चाहिए बल्कि उनके साथ साथ पालतू या फिर जंगली जानवरों की भावनाओं को समझ कर जरूरत के हिसाब से उनकी मदद करनी चाहिए। अपने संस्कारों का सही उपयोग करके एक बेहतर जीवन की ओर हम अग्रसर हो सकते है।

4. आत्मविश्वास

आत्मविश्वास के बल पर लोगों ने बड़ी-बड़ी सफलताओं को देखते ही देखते छू लिया ।

क्योंकि विश्वास के बल पर कभी भी इंसान को असफलता महसूस होती ही नहीं अगर वह असफल भी जाता है। तो उसे प्रक्रिया का हिस्सा मानकर उसका विश्वास और अधिक मजबूत होता है।

और वह निरंतर अपने दम पर अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए मेहनत करता है। और एक दिन मंजिल पर पहुंच जाता है ।

यदि किसी को खुद पर विश्वास नहीं होता है तो वह व्यक्ति अपनी मंजिल तक पहुंचते पहुंचते अपना रास्ता ही भटक जाता है और लोगों की छोटी मोटी बातों से अपना लक्ष्य बदलकर गुमराह हो जाता है।

इसलिए हमें सबसे पहले खुद पर विश्वास करना सीखना चाहिए क्योंकि एक विश्वास ही ऐसी चीज है जिसके दम पर हम किसी भी मुकाम तक खुद अपनी योग्यता के अनुसार पहुंच जाते हैं।

5. विनम्रता

विनम्रता एक स्वाभाविक गुण है इससे हमें अपनी सामर्थ्य का पता चलता है और हम उसी के अनुसार कार्य को भले रूप में कर पाते हैं।

विनम्रता का तात्पर्य ईमानदारी से भी है। एक विनम्र व्यक्ति नैतिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए अपनी क्षमता के अनुसार कार्यों को पूर्ण कर पाता है।

यह गुण भी हमें हमारे परिवार द्वारा ही संस्कारों के रूप मिल पाते हैं।

कुछ संस्कार हमारे माता-पिता द्वारा हमें बताए जाते हैं और कुछ संस्कारों का वह स्वयं विश्लेषण करते हैं और हम उन्हें देखकर उन्हें खुद ब खुद सीख जाते हैं।

6. दया

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है अतः उसके लिए दया का गुण होना बेहद आवश्यक माना जाता है। मानव के पास दया नाम की चीज नहीं हो तो वह जानवर से भी बदतर माना जाता है।

इंसान को सभी मनुष्यों और जानवरों के प्रति दया का भाव अपनाना चाहिए किसी को बेवजह नुकसान पहुंचा कर मनुष्य खुश नहीं हो सकता।

एक दया ही ऐसी चीज है जिसके बल पर इंसान एक इंसान की भूमिका निभा पाता है वरना इंसान में दया का भाव नहीं होता तो उसे इंसान कोई मानता ही नहीं ।

7. दान

शास्त्रों में दान को विशेष महत्व दिया गया है इसलिए हमें जरूरतमंदों की सहायता कर दान करने की शिक्षा दी जाती है।

दान न सिर्फ धन का अपितु भोजन, वस्त्र इत्यादि ऐसी किसी भी चीज का हो सकता है जिससे आप किसी के जीवन को बेहतर बनाने में योगदान दे रहे हैं।

यदि मनुष्य के पास दान करने की शक्ति और गुण नहीं है तो जीवन सुखमय नहीं हो पाता। स्वार्थ लालच के चक्कर में पूरी जिंदगी इंसान की खत्म हो जाती है।

और दान करके पाई गई दुआ में असीम शक्ति होती है। इसलिए दान करने का यह गुण संस्कारी व्यक्ति में पाया जाता है।

8. प्रेम भक्ति

ईश्वर एक है अतः मनुष्य को सदैव ईश्वर को किसी ना किसी रूप में जरूर याद करना चाहिए, इसका धर्म संप्रदाय से कोई लेना-देना नहीं। आप भगवान अल्लाह किसी पर भी भरोसा करते हैं आप उन्हें याद अवश्य करें।

हमें सदैव ईश्वर द्वारा दी गई चीजों के प्रति आभार व्यक्त करना चाहिए। ईश्वर हमें हमारी अनेक गलतियों से बचाते हैं। कोई भी साधारण व्यक्ति बिना परमात्मा की प्रेम भक्ति से एक अच्छा जीवन यापन नहीं कर सकता।

कहते हैं प्रार्थना में बेहद शक्ति होती है और ईश्वर को याद करने से मनुष्य को आंतरिक रूप से ऊर्जा मिलती है। उसका आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन में वह बेहतर कर्म करने के लिए प्रेरित होता है।

अतः जिन लोगों में यह सभी गुण पाए जाते हैं उन्हें संस्कारी व्यक्ति कहा जाता है अच्छे संस्कार हमें अपने परिवार के लिए न सिर्फ एक बेहतर व्यक्ति बनाते हैं बल्कि समाज में भी एक श्रेष्ठ व्यक्ति का दर्जा देते हैं।

क्योंकि इन्हीं सब संस्कारों के कारण हम अनुशासन में रहना सीखते हैं और अपनी जीवन कैरियर में तरक्की हासिल कर पाते हैं।

निष्कर्ष

मनुष्य चाहे अपने जीवन के किसी भी क्षेत्र में तरक्की करना चाहे, अच्छे संस्कारों का होना अति आवश्यक है।

क्योंकि हमारी असली धरोहर और विरासत में मिली एक मात्र संपत्ति ही हमारे संस्कार हैं। अगर इंसान को दिए गए संस्कारों में कमी रह जाए तो जीवन को नर्क बनते देर नहीं लगती।

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