बीसवीं सदी के सबसे चर्चित लेखकों में गिने जाने वाले शरद चट्टोपाध्याय का जीवन आज भी कई लोगों के लिए एक बंद किताब की तरह है। अपने शानदार लेखन की वजह से एक समय में उन्हें रविंद्र नाथ टैगोर के बाद दूसरा सबसे महान कथाकार के रूप में सम्मानित किया गया।
आज की नई पीढ़ी को शरद चट्टोपाध्याय का जीवन काफी कुछ सिखाता है, कुछ लोग अपने जुनून के खातिर बड़े से बड़ा त्याग करने के लिए तत्पर रहते है। ऐसे ही शरतचंद्र को अपने लेखन से प्यार था जिसके लिए उन्होंने विदेशों में मिली सरकारी नौकरी भी त्याग दी।
आज हम इस विशिष्ट लेखक की जीवनी में उनके जीवन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण घटनाएं आपके साथ सांझा करेंगे।
शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय का व्यक्तिगत परिचय
पूरा नाम | शरतचंद्र चट्टोपाध्याय |
जन्म तारीख | १५ सितंबर १८७६ |
जन्म स्थान | देवानंदपुर गांव(बंगाल) |
धर्म | हिन्दू |
पिता का नाम | मोतीलाल |
नाना का नाम | केदारनाथ गांगुली |
माता का नाम | भुवनमोहिनी |
पत्नि का नाम | हिरण्यमयी देवी |
भाई/बहन | २ भाई १ बहन, प्रभासचंद्र, प्रकाशचंद्र, अनीला देवी |
शिक्षा | प्रारम्भिक शिक्षा(देवानंदपुर),हुगली ब्रांच स्कूल, एंट्रेंस |
काम | कहानी लेखन, उपन्यासकार, हावड़ा कांग्रेस कमेटी के प्रधान |
मृत्यु तारीख | १६ जनवरी १९३८ |
मृत्यु स्थान | कलकत्ता |
उम्र | ६१ वर्ष |
मृत्यु की वजह | लू लगने के बाद बीमार |
उपलब्धिया | कलकत्ता विश्वविद्यालय से जगततारिणी” स्वर्ण पदक, ढाका विशवविद्यालय ने डाक्टर की उपाधि |
सरत चंद्र चट्टोपाध्याय का प्रारंभिक जीवन
साल 1876 में भारत देश के पश्चिम बंगाल राज्य के देवानंद पुर गांव़, जो कि हुगली जिले में पड़ता है़, इसी स्थान पर 15 सितंबर को सरत चंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म हुआ था।
सरतचंद्र अपने माता-पिता की 9वी संतान थे।
शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय शिक्षा
जब सरत चंद्र चट्टोपाध्याय सिर्फ 18 साल के थे, तभी इन्होंने 12वीं की कक्षा को पास कर लिया था। 18 साल की उम्र में ही शरद चंद्र चट्टोपाध्याय ने एक उपन्यास की रचना की थी, जिसका नाम “बासा” था। हालांकि वह इसे प्रकाशित नहीं करवा पाए।
शरद चंद्र चट्टोपाध्याय ने कॉलेज की पढ़ाई भी शुरू की, परंतु लंबे समय तक वह अपनी कॉलेज की पढ़ाई जारी नहीं रख पाए। कॉलेज की पढ़ाई को छोड़ने के बाद शरद म्यांमार देश में क्लर्क की नौकरी करने के लिए चले गए, जहां पर उन्हें महीने में ₹30 की सैलरी प्राप्त होती थी।
आपको यह जानकर भी आश्चर्य होगा कि सरत चंद्र चट्टोपाध्याय अकेले ऐसे इंडियन थे, जिन्होंने जो रचना की थी उनमें से अधिकतर रचनाओं के ऊपर बॉलीवुड में फिल्में बनी थी। इसके साथ ही सरत चंद्र चट्टोपाध्याय के द्वारा रचित उपन्यासों और ग्रंथों पर विभिन्न प्रकार के धारावाहिक/सीरियल भी भारतीय मनोरंजन इंडस्ट्री में बने हैं।
सरत चंद्र चट्टोपाध्याय का धर्म
महान लेखक और उपन्यासकार सरत चंद्र चट्टोपाध्याय हिंदू धर्म के बंगाली ब्राह्मण समुदाय से तालुकात रखते थे। इन्होंने विभिन्न प्रकार की महान रचनाओं को तैयार किया था।
सरत चंद्र चट्टोपाध्याय का परिवार
सरत चंद्र के पिता का नाम मोहनलाल था वहीं, उनकी माता का नाम भुवनमोहिनी था।
सरत चंद्र चट्टोपाध्याय के परिवार में इनके माता-पिता के अलावा दो भाई और एक बहन थी, जिनके नाम प्रकाश चंद्र, प्रभाष चंद्र और अनिला देवी था।
साहित्यिक परिचय
सरत चंद्र चट्टोपाध्याय अपने लेख, उपन्यासों में ऐसी बातें लिखते थे, जिससे सामाजिक असर पड़े। यह अपने उपन्यास और कहानियों के द्वारा सामाजिक कुरीतियों और बुराइयों पर प्रहार करने का काम करते थे। सरत चंद्र चट्टोपाध्याय साहित्य की फील्ड में यथार्थवाद को लेकर उतरे थे, जो कि बांग्ला साहित्य में बेहद नई और विशेष चीज थी।
सरत चंद्र चट्टोपाध्याय की प्रतिभा
सरत चंद्र चट्टोपाध्याय को कहानियां लिखने के अलावा उपन्यास लिखने का भी काफी शौक था, क्योंकि उन्हें लिखने में बहुत ही ज्यादा इंटरेस्ट था। सरत चंद्र चट्टोपाध्याय अक्सर अपने उपन्यास और कहानियों में भारत के मध्यम वर्गीय समाज को प्रस्तुत करने का काम करते थे।
इसके अलावा वह अपनी कहानीयों और उपन्यासों के माध्यम से पुरुष और स्त्री के संबंधों के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारियां लोगों को प्रदान करने का काम करते थे। सरत चंद्र चट्टोपाध्याय ने कुछ ऐसी कहानियों की भी रचना की है, जो कला की नजर से बहुत ही ज्यादा मार्मिक है।
इनके द्वारा लिखी गई कहानियां सरत चंद्र चट्टोपाध्याय के दिल की भावनाओं का पूर्ण रूप से प्रतिनिधित्व करती हैं।
सरत चंद्र चट्टोपाध्याय ने अपनी कहानियों में अपने बचपन और अपने दोस्तों तथा ऐसे लोगों का उल्लेख किया है, जिन्होंने उनकी जिंदगी में कुछ बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जब हम इनके द्वारा रचित कहानियों को पढ़ते हैं तो कहानियों को पढ़कर हमें ऐसा लगता है कि जैसे जो हम पढ़ रहे हैं, वह घटना हमारी जिंदगी में भी घटित हो चुकी है।
सम्पूर्ण साहित्य
नारी के उत्थान से नारी के पतन तक और नारी के पतन से नारी के उत्थान तक की करुण बातों से शरतचंद्र द्वारा रचित संपूर्ण सहित भरा पड़ा है।
शरतचंद्र अपनी कहानियों के माध्यम से सिर्फ स्त्री के पतन की कहानी ही नहीं बताते थे बल्कि वह अपनी कहानी और उपन्यास के द्वारा स्त्री के त्याग, बलिदान, औरत की ममता और औरत के प्यार के बारे में भी बताते थे।
शरद चंद्र की कहानियों को पढ़ने के बाद हमें यह पता चलता है कि औरत नीचता की किस हद तक जा सकती है और वह महानता की किस हद तक जा सकती है।
शरद चंद्र ने औरत की नीचतम और महानतम दोनों रूपों का वर्णन अपनी कहानियों में किया है। जिस प्रकार से अपनी कहानियों के माध्यम से शरद चंद्र ने नारी के दिल की गांठ और गुत्थियों को खोला है, वह बहुत ही काबिले तारीफ है।
सरत चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित कृतियां
इंडिया के महान उपन्यासकार और कहानी लेखक सरत चंद्र चट्टोपाध्याय ने विभिन्न प्रकार के उपन्यास लिखे हैं।
इनके प्रमुख उपन्यासों के बारे में बात की जाए तो इनके प्रमुख उपन्यास पंडित मोशाय, अभागिनी का स्वर्ग, श्रीकांत, अरक्षणीया, निष्कृति, बैकुंठेर बिल, मेज दीदी, दर्पचूर्ण, मामलार फल, अनुपमा का प्रेम, गृहदाह, शेष प्रश्न, दत्ता, देवदास, ब्राह्मण की लड़की, सती, विप्रदास, देना पावना आदि है।
इसके अलावा सरत चंद्र चट्टोपाध्याय ने बंगाल के क्रांतिकारी आंदोलन को लेकर के “पथैर दावी’ नाम के उपन्यास को भी निर्मित किया था। सरत चंद्र ने जितने भी उपन्यास या फिर कहानियां लिखी थी, उनमें से अधिकतर उपन्यास और कहानियों का ट्रांसलेशन भारत की अन्य भाषाओं में भी किया गया है।
इसके अलावा सरत चंद्र चट्टोपाध्याय के द्वारा लिखित कुछ उपन्यासों के आधार पर बॉलीवुड की फिल्में भी क्रिएट की गई है।
सरत चंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास चरित्रहीन को लेकर साल 1974 में बॉलीवुड में एक हिंदी फिल्म बनी थी। इसके बाद इनके उपन्यास देवदास की कहानी के ऊपर बॉलीवुड में देवदास फिल्म को बनाया गया था। देवदास फिल्म कुल तीन बार बन चुकी है़ जिसमें सबसे पहले साल 1936 में, फिर साल 1955 में और उसके बाद आखिर बार 2002 में देवदास फिल्म बनी थी, जिसमें माधुरी दीक्षित, ऐश्वर्या राय और शाहरुख खान ने एक्टिंग की थी।
इसके अलावा चरित्रहीन फिल्म का निर्माण साल 1974 में, परिणीता फिल्म का निर्माण साल 1953 में और बड़ी दीदी तथा मझली बहन जैसी पिक्चर का निर्माण भी सरत चंद्र चट्टोपाध्याय के द्वारा निर्मित उपन्यास और कहानियों पर हो चुके हैं।
सरत चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा निर्मित उपन्यास
- बड़ीदीदी
- शेष प्रश्न
- बिप्रदास
- श्रीकान्त
- बिराजबौ
- परिणीता
- बैकुन्ठेर उइल
- पल्लीसमाज
- चरित्रहीन
- श्रीकान्त
- निष्कृति
- श्रीकान्त 2
- दत्ता
- गृहदाह
- बामुनेर मेये
- देना पाओना
- नबबिधान
- चन्द्रनाथ
- अरक्षणीया
- पन्डितमशाइ
- देवदास
- पथेर दाबी
- श्रीकान्त
- शुभदा
- शेषेर परिचय,1939
सरत चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा निर्मित नाटक
- षोड़शी
- रमा
- बिराज बौ
- बिजया
सरत चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा निर्मित गल्प
- रामेर सुमति
- बिन्दुर छेले
- महेश
- अभागीर स्बर्ग
- अनुराधा
- सती
- परेश
- पथ-निर्देश
- मेजदिदि
- आधाँरे आलो
- दर्पचूर्ण
- काशीनाथ
- छबि
- बिलासी
- मामलार फल
- हरिलक्षी
सरत चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा निर्मित निबंध
- नारीर मूल्य
- साहित्ये आर्ट ओ दुर्नीति
- भारतीय उच्च संगीत
- तरुणेर बिद्रोह
- स्बदेश ओ साहित्य
- स्बराज साधनाय नारी
- शिक्षार बिरोध
- स्मृतिकथा
- गुरु-शिष्य संबाद
- साहित्य ओ नीति
- अभिनन्दन
- भबिष्यत् बंग-साहित्य
सरत चंद्र चट्टोपाध्याय की मृत्यु
साल 1938 में 16 जनवरी को इंडिया के फेमस उपन्यासकार सरत चंद्र चट्टोपाध्याय का निधन हो गया था। सरत चंद्र चट्टोपाध्याय ने अपने जीवित रहते हुए जो भी रचनाएं और कहानियां लिखी थी, आज भी लोग उन्हें बड़े इंटरेस्ट के साथ पढ़ते हैं।
प्रसिद्धि के मामले में शरतचंद्र चट्टोपाध्याय, रविंद्र नाथ टैगोर और बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय से भी आगे हैं।
सरत चंद्र चट्टोपाध्याय के लिए यह भी बड़े गौरव की बात थी कि इन्होंने अपने जीवित रहते हुए जितनी भी रचनाएं, कविता, निबंध की रचना की थी, उनमें से कई रचनाओं और कहानियों पर बॉलीवुड में विभिन्न प्रकार की फिल्में और सीरियल का निर्माण किया गया था।
और आज के टाइम में भी अक्सर बॉलीवुड के डायरेक्टर और प्रोड्यूसर शरतचंद्र के द्वारा रचित रचनाओं में किसी न किसी फिल्म की कहानी ढूढते ही रहते हैं, ताकि वह एक अच्छी फिल्म का निर्माण कर सकें।