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भारतीय सिनेमा जगत मे युगपुरूष सत्यजीत रे को एक ऐसे फिल्मकार के तौर पर याद किया जाता है, जिन्होंने अपनी फिल्मों के जरिए भारतीय सिनेमा जगत को अंतराष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पहचान दिलाई और भारत के सिनेमा को दुनिया का बनाया। इनके निर्देशन में बनी हुई फिल्मों और इनके कार्यों का अंदाज़ा केवल इसी बात से लगाया जा सकता हैं कि ऑस्कर अवॉर्ड सिनेमा जगत का सबसे बड़ा अवॉर्ड माना जाता है। इसे पाना फिल्मी दुनिया के लिए सबसे बड़ा सपना होता है सत्यजीत रे कभी ऑस्कर के पीछे नहीं भागे बल्कि ऑस्कर अवॉर्ड खुद उनके घर चलकर आया।
32 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुके सत्यजीत रे की फिल्मों को दुनियाभर में सराहा गया। उनकी फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ और अपू त्रयी को दुनियाभर के फिल्म फेस्टिवल्स में सैकड़ों अवॉर्ड मिले हैं। इसके बावजूद भी रे ने अपनी किसी भी फिल्म को ऑस्कर की दौड़ में शामिल होने नहीं भेजा।
सत्यजीत रे ने कुल 29 फिल्में और 10 डाक्यूमेंट्री बनाई थीं। आज दुनिया में जितने भी फिल्म इंस्टीट्यूट हैं, वहां सत्यजीत रे की फिल्म “पाथेर पांचाली” पढ़ाई जाती है। आदर्श फिल्म मानी जाने वाली पाथेर पांचाली तमाम इंस्टीट्यूट में छात्रों और टीचर्स के बीच इस फिल्म के शॉट, डायलॉग पर चर्चा होती है।
Satyajit Ray के बारे में विश्व सिनेमा के पितामह माने जाने वाले महान् निर्देशक “अकीरा कुरोसावा” ने एक बार कहा था।
“सत्यजित राय के बिना सिनेमा जगत वैसा ही है जैसे सूरज-चाँद के बिना आसमान”
-अकीरो कुरोसावा, जापानी फिल्मकार
अगर कहा जाए कि सत्यजीत रे चलता-फिरता फिल्म संस्थान थे और उनकी फिल्में सिनेमा का सिलेबस हैं तो यह कहीं से भी अतिश्योक्ति नहीं होगी। राय फ़िल्म निर्माण से सम्बन्धित कई काम ख़ुद ही करते थे जैसे कि पटकथा लिखना, अभिनेता ढूंढना, पार्श्व संगीत लिखना, चलचित्रण, कला निर्देशन, संपादन और प्रचार सामग्री की रचना करना। फ़िल्में बनाने के अतिरिक्त वे कहानीकार, प्रकाशक, चित्रकार और फ़िल्म आलोचक भी थे।
Satyajit Ray : “सत्यजीत रे” सक्षिप्त जीवन परिचय
सत्यजित राय का जन्म 2 मई 1921 को कलकत्ता में हुआ था। कला और संगीत के संस्कार उन्हें विरासत में मिले थे, इनके परिवार की कई पीढ़ियां कला के करीब थी। उनके पिता “सुकुमार रे” खुद एक पेंटर और लेखक थे। उनके दादा उपेंद्र किशोर रे भी लेखक, समीक्षक, प्रकाशक और साहित्यकार थे। इस माहौल में सत्यजीत ने भी कला को बेहद करीब से देखा और समझा।
अपने माता-पिता की “इकलौती संतान” सत्यजित राय अपने पिता की मृत्यु के समय केवल तीन वर्ष के थे। उनका पालन-पोषण उनकी माँ ‘सुप्रभा राय’ ने अपने भाई के घर में ममेरे भाई-बहनों, मामा-मामियों वाले एक भरे-पूरे और फैले हुए कुनबे के बीच किया। उनकी मां जो लंबे सधे व्यक्तित्व की स्वामिनी थीं, वो रवीन्द्र संगीत की मंजी हुई गायिका थीं और उनकी आवाज़ काफ़ी दमदार थी। सत्यजित राय की शिक्षा उनकी आठ वर्ष की उम्र में शुरू हुई। कलकत्ता के बालीगंज के सरकारी स्कूल में उन्होंने दाखिला लिया और वहीं से पन्द्रह वर्ष से कुछ कम उम्र में ही हाई स्कूल पास किया। उनकी कॉलेज की पढ़ाई प्रेसीडेंसी कॉलेज में हुई। पहले दो वर्ष उन्होंने साइंस पढ़ी लेकिन तीसरे वर्ष अर्थशास्त्र ले लिया क्योंकि उनके मामा ने कहा था कि यदि वह इकोनॉमिक्स से ग्रेजुएट हो जाते हें तो वह उन्हें कहीं काम दिलवा देंगे।
1939 में सत्यजित राय ने ग्रेजुएशन पूरा किया और तय किया कि वह आगे नहीं पढ़ेंगे। उनकी माँ इस पक्ष में नहीं थीं कि वह 18 साल की छोटी उम्र से कमाने के चक्कर में फँस जाएँ। उन्होंने समझा-बुझाकर सत्यजित को मनाया और उन्होंने शांति निकेतन में चित्रकारी पढ़ना स्वीकार कर लिया लेकिन रचनात्मक आग्रहों के चलते सत्यजित ने उसे पूरा करने के पहले अपनी अलग राह चुन ली।
1943 में सत्यजित राय ने ब्रिटिश एडवरटाइजिंग एजेंसी डी.जे. केमेर में “जूनियर विसुअलायज़र” के पद पर काम किया और उस काम के लिये उन्हें महीने के 80 रुपये मिलते थे। इसी के चलते उन्हें भ्रमण का मौका मिला और भारतीय कला को पहचानने में अजंता, एल्लोरा और एलीफेंटा ने उनकी काफी सहायता की। उन्हें विसुअल डिजाईन काफी पसंद था लेकिन फर्म में ब्रिटिश और भारतीय कर्मचारियों के बीच हमेशा कुछ ना कुछ मतभेद रहता था। राय के अनुसार ब्रिटिश कर्मचारियों को ज्यादा पैसे दिये जाते थे। उसी दौरान राय ने कलकत्ता की एक विज्ञापन कम्पनी के लिए कुछ काम किया था, जिसने राय को 1950 में यूरोप के टूर का पुरस्कार दिलाया। सत्यजित राय यूरोप में छह महीने रहे। फिल्मों का जुनून उन पर छाया हुआ था। उन्होंने लन्दन फिल्म क्लब की सदस्यता ले ली और फिल्में देखने लगे। उन्होंने साढ़े चार महीनों के दौरान नब्बे फिल्में देखी। ‘बाइसिकल थीब्स’ और ‘लूसिनिया स्टोरी एण्ड अर्थ’ ने उन्हें बहुत प्रभावित किया और उन्हें इससे फिल्मों की ताकत का एहसास हुआ ज्यां रिनोर की ‘द रिवर’ देख कर तो वह इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने फिल्मकार बनने का निश्चय कर लिया।
अक्टूबर 1952 में सत्यजित राय ने फिल्म बनाने का निर्णय लिया। उन्होंने ‘पथेर पांचाली’ जिसका अर्थ है रास्ते का गाथागीत उपन्यास को याद किया। विभूतिभूषण बनर्जी का यह उपन्यास उन्हें ठीक लगा और वह आठ लोगों की टोली के साथ फिल्म बनाने में जुट गए। उन आठ लोगों में ज्यादातर नौसिखिये थे और वही सब अभिनय भी करते थे और टेकनीशियन भी थे। पैसे का कोई साधन न होने की वजह से फिल्म अधबीच में रुक गई। तीन साल के ठहराव के बाद पश्चिमी बंगाल सरकार की वित्तीय सहायता से फिल्म पूरी हुई। यह सत्यजित राय का पहला प्रयास था।
वर्ष 1955 मे प्रदर्शित फिल्म पाथेर पांचाली कोलकाता के सिनेमाघर मे लगभग 13 सप्ताह हाउसफुल रही। इस फिल्म ने “सर्वोत्तम मानवीय प्रलेख” पुरस्कार को मिलाकर 11 इंटरनेशनल अवार्ड जीते थे। जिसमें वैंकूवर में बेस्ट फिल्म, रोम में वेटिकन अवॉर्ड, टोक्यो में बेस्ट फॉरेन फिल्म अवॉर्ड और कान फिल्म फेस्टिवल का बेस्ट ह्यूमन डॉक्यूमेंट अवॉर्ड भी शामिल था। “पाथेर पांचाली” बाद एक एक कर सत्यजीत ने फिल्मों की लाइन लगा दी।
एक आदर्श और ऐतिहासिक फिल्म पाथेर पांचाली के बारें में कुछ रोचक बातें
- बांग्ला लेखक विभूतिभूषण बंदोपाध्याय की पत्नी ने सत्यजीत रे को उपन्यास पर फिल्म बनाने की अनुमति दी थी।
- सिग्नेट प्रेस के मालिक डी के गुप्ता ने रे को सुझाव दिया था कि इस उपन्यास पर ग्रेट फिल्म बन सकती है जिसके इलेस्ट्रेशंस रे कर रहे थे।
- पाथेर पांचाली स्क्रिप्ट नहीं लिखी गई थी। रे ने इसके लिए कुछ नोट्स लिए थे और ड्रॉइंग्स की थी।
- अक्टूबर 1952 को फिल्म की शूटिंग कलकत्ता के पास एक गांव बोराल में शुरू हुई।
- निर्माताओं ने इस फिल्म के लिए फाइनेंस करने से मना कर दिया था।
- फिल्म बनाने के लिए रे ने अपनी बीमा पॉलिसी, ग्रोमोफोन रिकॉर्ड्स और पत्नी विजया के जेवर बेच दिए थे।
- बंगाल सरकार ने इस फिल्म के लिए रे को लोन दिया था।
- सिनेमैटोग्राफर सुब्रत मित्रा ने इस फिल्म की सिनेमैटोग्राफी करने के पहले कोई भी मूवी कैमरा ऑपरेट नहीं किया था।
वे अक्सर शहर के भागम-भाग वाले माहौल से बचने के लिए दार्जीलिंग या पुरी जैसी जगहों पर जाकर एकान्त में कथानक पूरे करते थे।
शतरंज के खिलाड़ी पहली हिंदी फिल्म
वर्ष 1977 में सत्यजीत रे के सिने करियर की पहली हिंदी फिल्म शतरंज के खिलाड़ी प्रदर्शित हुई। साल 1978 में बर्लिन फिल्म फेस्टिवल की संचालक समिति ने सत्यजीत रे को विश्व के तीन ऑल टाइम डायरेक्टर में से एक के रूप में सम्मानित किया। सत्यजीत रे को अपने चार दशक लंबे सिने करियर में काफी सम्मान मिले। उन्हें भारत सरकार की ओर से फिल्म निर्माण के क्षेत्र मे विभिन्न विधाओ के लिए 32 बार राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सत्यजीत रे वह दूसरे फिल्म कलाकार थे जिन्हे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा डाक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया।
भारत रत्न और ऑस्कर से सम्मानित
सत्यजित राय को 37 वर्ष की आयु में पद्मश्री से सम्मानित हुए। 1965 तथा 1976 में उन्होंने पद्मभूषण की उपाधि पाई तथा 1992 में वह भारत रत्न सम्मान से अलंकृत हुए। साल 1985 में सत्यजीत रे को हिंदी फिल्म उद्योग के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनके चमकदार करियर मे एक गौरवपूर्ण नया अध्याय तब जुड़ गया जब 1992 मे उनके उल्लेखनीय करियर को देखते हुए ‘लाइफटाईम अचीवमेंट’ के लिए ऑस्कर सम्मान से सम्मानित किया गया और यह पुरस्कार उन्हें अपने घर पर प्राप्त हुआ। तेरह बार फिल्मों के लिए भारत के राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हुए । उनके कुल तिरासी फिल्म पुरस्कारों में अड़तालीस विदेशी फिल्म मर्मज्ञों द्वारा दिए गए।
अपनी निर्मित फिल्मों से अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाने वाले महान फिल्मकार सत्यजीत रे ने 23 अप्रैल 1992 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
महान फिल्मकार सत्यजित राय के कुछ प्रेरणादायक विचार
English Quotes: The director is the only person who knows what the film is about.
Quote in Hindi: डायरेक्टर एकमात्र व्यक्ति होता है जो यह जानता है कि फिल्म कैसी है।
– Satyajit Ray
English Quotes: Ever since Two Daughters I’ve been composing my own music.
Quote in Hindi: जब से मेरी दो बेटियां हैं, तब से मैं स्वयं अपना संगीत बना रहा हूं।
– Satyajit Ray
English Quotes: At the age when Bengali youth almost inevitably writes poetry, I was listening to European classical music.
Quote in Hindi: जिस उम्र में बंगाली युवा अनिवार्य रूप से कविता लिख रहे थे, तब मैं यूरोपीय शास्त्रीय संगीत सुन रहा था।
– Satyajit Ray
English Quotes: Cinema’s characteristic forte is its ability to capture and communicate the intimacies of the human mind.
Quote in Hindi: सिनेमा की विशिष्ट विशेषता मानव “मन की अंतर्दृष्टि” को पकड़ने और संवाद करने की क्षमता है।
– Satyajit Ray
English Quotes: I don’t understand these national awards, because half of those who sit in judgment over Indian films do not… possess the competence to evaluate a film correctly.
Quote in Hindi: मैं इन राष्ट्रीय पुरस्कारों को समझ नहीं पा रहा हूं क्योंकि भारतीय फिल्मों पर निर्णय लेने वाले लोगों में से आधे लोग भी ऐसे नहीं हैं जो फिल्म को सही ढंग से मूल्यांकन करने की क्षमता रखते हो।
– Satyajit Ray
English Quotes: I mix Indian instruments with Western instruments all the time.
Quote in Hindi: मैं हर समय पश्चिमी वाद्य यंत्रों के साथ भारतीय वाद्य यंत्रों का मिश्रण करता हूं।
– Satyajit Ray
English Quotes: It was only after Pather Panchali had some success at home that I decided to do a second part. But I didn’t want to do the same kind of film again, so I made a musical.
Quote in Hindi: पाथेर पांचाली को जब कुछ सफलता मिली जब मैंने इसका दूसरा भाग करने का फैसला किया, लेकिन मैं फिर से इसी तरह की फिल्म नहीं करना चाहता था, इसलिए मैंने एक संगीत बनाया।
– Satyajit Ray
English Quotes: In fact, this is most important – you need a happy ending. However, if you can create tragic situations and jerk a few tears before the happy ending, it will work much better.
Quote in Hindi: वास्तव में, यह सबसे महत्वपूर्ण है- आपको एक फिल्म में सैदव सुखद अंत की आवश्यकता होती हैं, अगर आप फिल्म में दुखद परिस्थितियों को बना देते हैं और खुश अंत से कुछ पहले आँसू झटका देते हैं, तो यह बहुत बेहतर काम करेगा।
– Satyajit Ray
English Quotes: Most of the top actors and actresses may be working in ten or twelve films at the same time, so they will give one director two hours and maybe shoot in Bombay in the morning and Madras in the evening. It happens.
Quote in Hindi: लगभग सभी शीर्ष अभिनेताओं और अभिनेत्री में से अधिकांश एक ही समय में दस या बारह फिल्मों में काम कर रहे होते हैं, इसलिए वे एक निर्देशक को दो घंटे दे देंगे और शायद शाम को बम्बई और सुबह में मद्रास में शूट करें, यह सब फिल्म बनाते समय हो जाता है।
– Satyajit Ray
English Quotes: There’s always some room for improvisation.
Quote in Hindi: फिल्मो में सुधार के लिए गुंजाईश हमेशा होती हैं।
– Satyajit Ray
English Quotes: The only solutions that are ever worth anything are the solutions that people find themselves.
Quote in Hindi: जब आप खुद को ढूंढते हैं तब समाधान निकल आता है।
– Satyajit Ray
English Quotes: When I’m shooting on location, you get ideas on the spot – new angles. You make no major changes but important modifications, that you can’t do on a set. I do that because you have to be economical.
Quote in Hindi: जब मैं शूटिंग कर रहा होता हूं, तो मौके पर मुझे कई विचार आते रहते है- नए तरीके। हालांकि आप बड़े बदलाव नहीं करते सकते, लेकिन महत्वपूर्ण बदलाव जरुर कर सकते हैं, लेकिन यह सब सेट पर नहीं कर सकते। मैं ऐसा करता हूं क्योंकि आपको आर्थिक होना भी जरुरी है।
– Satyajit Ray
English Quotes: There is a ban on Indian films in Pakistan, so that’s half of our market gone.
Quote in Hindi: पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों पर प्रतिबंध है, इसलिए हमारे फिल्मो का आधा बाजार चला गया हैं।
– Satyajit Ray
English Quotes: I was interested in both Western and Indian classical music.
Quote in Hindi: मुझे पश्चिमी और भारतीय शास्त्रीय संगीत दोनों में रुचि थी।
– Satyajit Ray
English Quotes: I’ve made seventeen or eighteen films now, only two of which have been original screenplays, all the others have been based on short stories or novels, and I find the long short story ideal for adaptation.
Quote in Hindi: मैंने अब सत्रह या अठारह फिल्में बनाई हैं, जिनमें से केवल दो मूल पटकथाएं हैं, अन्य सभी लघु कथाएँ या उपन्यासों पर आधारित हैं, और मैं लंबी किन्तु छोटी कहानी अपनाता हूँ।
– Satyajit Ray
English Quotes: Well the Bombay film wasn’t always like how it is now. It did have a local industry. There were realistic films made in local scenes. But it gradually changed over the years.
Quote in Hindi: वैसे बॉम्बे फिल्म हमेशा ऐसा नहीं था जैस कि यह अब है। इसके पास एक स्थानीय उद्योग था स्थानीय दृश्यों पर यथार्थवादी फिल्में बनाई गई थीं लेकिन यह धीरे-धीरे यह सब बदल गया है।
– Satyajit Ray
English Quotes: My films play only in Bengal, and my audience is the educated middle class in the cities and small towns. They also play in Bombay, Madras and Delhi where there is a Bengali population.
Quote in Hindi: मेरी फिल्में केवल बंगाल में ही चलती हैं और मेरे दर्शक छोटे शहरों में स्थित शिक्षित मध्यम वर्ग है। मेरी फिल्में बॉम्बे, मद्रास और दिल्ली में भी चलती हैं क्योकि वहां भी बंगाली आबादी है।
– Satyajit Ray
English Quotes: Dominus Omnium Magister. It means God is the master of all things.
Quote in Hindi: डोमिनस ओमोनियम मैजिस्टर इसका मतलब है कि भगवान सभी चीजों का मालिक है।
– Satyajit Ray
English Quotes: I wouldn’t mind taking a rest for three or four months, but I have to keep on making films for the sake of my crew, who just wait for the next film because they’re not on a fixed salary.
Quote in Hindi: मैं अगले तीन या चार महीने तक आराम नहीं करूँगा, बल्कि अपनी टीम के लिए फिल्म बनाता रहूँगा, जो सिर्फ अगली फिल्म का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि वे निश्चित वेतन पर नहीं हैं और मुझे उनका भी धयान रखना हैं।
– Satyajit Ray
English Quotes: Particularly in the final stages I always find that I’m rushed. It’s dangerous when you’re rushed in the editing stage, most of my early films are flawed in the cutting.
Quote in Hindi: विशेष रूप से फिल्मों के अंतिम चरण में मुझे हमेशा लगता है कि मैं हडबडा रहा हूं। जब आप अंतिम चरण में पहुंचे रहे हो तो यह खतरनाक है, मेरे पहले की कुछ फिल्में केवल इसी कारण दोषपूर्ण रही हैं।
– Satyajit Ray
English Quotes: I had developed this habit of writing scenarios as a hobby. I would find out which stories had been sold to be made into films and I would write my own treatment and then compare it.
Quote in Hindi: मैंने परिदृश्यों को लिखने की इस आदत को शौक के रूप में विकसित किया था। मैं यह सब देखना चाहता हूँ कि मेरी कौनसी कहानी जोकि बिक चुकी हैं उन पर फिल्म बनी और कौनसी पर नहीं, इस तुलना से मुझे पता चलेगा कि मैं कहाँ गलती कर रहा हूँ और फिर उसमें सुधार करूँ।
– Satyajit Ray
English Quotes: What is attempted in these film is of course a synthesis. But it can be seen by someone who has his feet in both cultures. Someone who will bring to bear on the film’s involvement and detachment in equal measure.
Quote in Hindi: जो भी फिल्मो में किया जाता हैं वह सब निश्चित रूप से संश्लेषण है। लेकिन यह किसी व्यक्ति द्वारा देखा जा सकता है जो दोनों संस्कृतियों से परिचित हैं वह सभी फिल्मो में इसको सहभागिता और समानता के साथ लाएगा।
– Satyajit Ray
English Quotes: Bicycle Thief is a triumphant discovery of the fundamentals of cinema, and De Sica has openly acknowledged his debt to Chaplin.
Quote in Hindi: “बाइसिकल थीब्स” सिनेमा के मूल सिद्धांतों की एक शानदार खोज है और डी सिका ने स्पष्ट रूप से चैपलिन के माध्यम से अपना सब कुछ उतार दिया हैं।
– Satyajit Ray
फिल्मों और लेखन के माध्यम से देश की सच्ची और बेबाक मार्मिक तस्वीर प्रस्तुत करने वाले सत्यजित राय एक विश्व विख्यात भारतीय थे। इनका भारतीय सिनेमा में योगदान बांग्ला फिल्मों के माध्यम से था और उनकी फिल्मों ने जितने पुरस्कार भारत में जीते उनसे कहीं अधिक उन्हें विदेशों से मिले। विश्व में फ़िल्मी दुनिया का कोई भी व्यक्ति महानता,लोकप्रियता और कला के उस उच्च शिखर पर नही पहुच सका जहा सत्यजित रे ने पहुच कर दिखाया।
भारत के फ़िल्म इतिहास में अपना एक ख़ास मुकाम रखने वाले सत्यजित रे की तस्वीर को संयुक्त राष्ट्र ने अपने मुख्यालय में प्रदर्शित करने का फैसला किया।
जाने-माने फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल का मानना है कि भारतीय सिनेमा को हमेशा ‘सत्यजीत रे के पहले और बाद’ के रूप में जाना जायेगा और ‘पाथेर पंचाली‘ के निर्देशक के फिल्म निर्माण की तकनीक का अनुकरण कोई फिल्म निर्देशक नहीं कर पाया है।
अभिनेत्री-फिल्मकार अपर्णा सेन के मुताबिक, सत्यजीत रे का अपनी फिल्मों में मौत के दृश्यों को दिखाने के मामले में कोई जवाब नहीं था।
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