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सौ सुनार की और एक लोहार की

Sau sunar ki ek lohar ki kahani

हिन्दी हमारी राष्ट्रीय और मातृभाषा है जो हमारे विचारों को खुबसूरत अंदाज़ से प्रदर्शित करने में बेहतरीन भूमिका निभाती है। इस भाषा में बहुत से ऐसे मुहावरे या लोकोक्तियां सदियों से प्रचलित हैं जिसे हम अपनी बोलचाल की भाषा में कुछ शब्दों का सहारा लेकर अपने दिल की सैकड़ों बातें कह जाते हैं।

इन्हीं लोकोक्तियों में से एक मशहूर और प्रचलित लोकोक्ति “सौ सोनार की, एक लोहार की” भी शामिल है जो जुबान से अदा करने में तो बहुत आसानी से अदा हो जाती है लेकिन इसका भाव और अर्थ सागर सी गहराई लिए हुए है।

इस लोकोक्ति का एक अर्थ यह भी लिया जाता है कि सौ आदमी मिलकर भी जिस काम को अंजाम तक पहुंचाने की क्षमता और सामर्थ्य नहीं रखते, उसे एक अकेला शख्स ही अपने अपार साहस बल, आत्मविश्वास और इरादों की ताकत से अंजाम दे देता है।

लेकिन सोनार वाले गुण को कैसे प्राप्त किया जाता है, हममें से बहुत से लोग इससे अनजान बने रह जाते हैं। आइए जानते हैं कि सागर सी गहरी इस लोकोक्ति का सही आशय क्या है और यह किस भावार्थ में इस्तेमाल की जाती है

एक मशहूर कहानी से जुड़ी है यह लोकोक्ति

पुराने जमाने में एक सुनार और लोहार गहरे मित्र थे जिनकी दोस्ती का चर्चा चारों ओर फैला हुआ था। लोहार जहां शान्त, विवेकशील और सीधे सादे व्यक्तित्व का मालिक था, वहीं लोहार आदमी तो भला था मगर उसका स्वभाव लालची था।

इसी लालच के चलते वह जहां भी रहता अपनी स्वार्थ सिद्धि के बारे में ही सोचता रहता। वह हर रोज लोहार के काम करने की जगह पर आता और उसके द्वारा निर्मित वस्तुओं को अपने घर ले जाने की चाह रखता था। वह प्रतिदिन आता और गरीब लोहार का कोई ना कोई सामान उसकी तारीफ के पुल बांध कर अपने घर लेकर चला जाता।

उसी बीच एक दिन जब वह लोहार के घर पहुंचा तो उसने देखा कि उसने खूबसूरत पतीला बनाया है। उस पर उसकी नियत बिगड़ गई और वह उसे भी अपने साथ ले जाने की फिराक में था।

उसने लोहार से कहा कि वाकई तुमने यह पतीला तो बहुत आकर्षक और सुंदर बनाया है। ऐसा पतीला मैंने आज तक नहीं देखा। वह पतीला बहुत महंगा था जिसे लोहार ने बड़ी मशक्कत और पसीना बहाकर महीनों में तैयार किया था।

उसी पतीले पर उसके दोस्त सुनार की नियत खराब हो रही थी। खैर, सुनार ने उस पतीले को अपने साथ ले जाकर ही दम लिया। लोहार का हृदय कांप उठा और क्योंकि उसे अपने दोस्त के इस लालची स्वभाव से अकसर भारी आर्थिक नुकसान का सामना रहा करता था।

एक दिन उसने एक योजना बनाई। वह अचानक एक रोज़ वह सुनार की दुकान पर पहुंचा और उसके महंगे और खूबसूरत गहनों की तारीफ करने लगा। उसने एक कीमती गहना उठाया और उसे ले जाने लगा। सुनार चाह कर भी उसे रोक नहीं सकता था क्योंकि दोस्ती में शर्मिंदगी और संकोच के चलते वह ऐसा करने से असमर्थ था।

इस तरह वह महंगा गहना लोहार अपने घर ले आया और अपने सारे आर्थिक नुकसान को एक झटके में पूरा कर लिया। इसीलिए कहा जाता है कि सौ सुनार की एक लोहार की।

इस कहानी से हमें जो सबक मिलता है, वह यह है कि जिंदगी में चाहे जो भी व्यक्ति अगर आपको क्षति या नुक्सान पहुंचा रहा है तो एक झटके में ही कोई रणनीति अपनाकर उसे हार का मज़ा चखाया जा सकता है और सामने वाला चाहे आप का गहरा दोस्त ही क्यों न नज़र आ रहा हो, अगर वह आपको किसी तरह से मानसिक कष्ट या आर्थिक नुकसान पहुंचा रहा है तो फिर वह आपका सच्चा दोस्त कभी हो ही नहीं सकता।

अगर आपने ऐसे दोस्त के खिलाफ कोई रणनीति बनाकर कार्रवाई कर दी तो यह भी गलत नहीं है क्योंकि दोस्त तो हमेशा आपके फायदे के बारे में ही सोचते हैं। मतलब ये कि किसी व्यक्ति से आपको यदि कोई तकलीफ़ पहुंच रही है तो वह आपका दोस्त कभी हो ही नहीं सकता बल्कि इसका सीधा अर्थ ये है कि आपके दोस्त ने अपने स्वार्थ को आपके हित और फायदे से ऊपर रखा है, इसलिए ऐसे व्यक्ति को सबक सिखाना कोई गलत बात नहीं है।

शक्तिशाली व्यक्ति का एक मजबूत प्रहार कमजोर के सौ वार पर भारी होता है

इस लोकोक्ति को इस संदर्भ में भी इस्तेमाल किया जाता है कि अगर व्यक्ति के पास आत्मबल व आत्मविश्वास की ताकत और क्षमता मौजूद है तो उसका एक वार ही उसके दुश्मनों को ढेर कर देने के लिए काफी है। उसके दुश्मन ने यदि उस पर सौ हमले किए हैं तो भी उन हमलों का उस पर कोई खास असर नहीं पड़ता और वह एक ही चोट में अपने दुश्मनों को घुटने टेकने पर मजबूर कर देता है।

इसी तरह, अगर हालात के धारे उसके विपरीत हैं तो वह अपने साहस बल का प्रदर्शन करते हुए उन हालात का डटकर मुकाबला करता है और अपने लिए कोई बेहतर और आसान रास्ते निकाल लेता है। याद रहे कि यह प्रहार केवल भौतिक अर्थों में नहीं लिया गया है बल्कि उसका वैचारिक अर्थ भी है।

जैसे, कोई अध्यापिका किसी क्लास में पढ़ा रही है और उसके बार-बार मना करने पर शरारती बच्चे अब भी शोरगुल मचा रहे हैं। अंत में उसने थक हारकर प्रिंसिपल से इन बच्चों की शिकायत कर दी।

फिर क्या था? प्रिंसिपल की क्लास में पहुंचते ही उनके भय और सम्मान के चलते सभी बच्चे अपने आप शांत हो गए और उन्हें बच्चों को शान्त कराने के लिए ज्यादा कुछ करना भी नहीं पड़ा। बच्चों ने केवल उनका चेहरा देखा और डर गए।

इसीलिए कहा जाता है कि सौ सुनार की, एक लोहार की। इसी तरह आप किसी दिन अपने ऑफिस में लेट पहुंचे और इस पर बॉस ने आपको तलब कर लिया। इसके बाद आप अपने बास से दर्जनों हीले बहाने करने लगे लेकिन आपके बॉस पर उसका कोई असर नहीं हुआ।

इसी समय आपकी कंपनी का एक सहयोगी भी लेट आता है और उसे भी बॉस के जरिए तलब किया जाता है। उसने केवल एक ही बात बोली और बॉस पूरी तरह आश्वस्त होकर शांत हो गय। इस तरह आपकी सौ बात भी आपके सहयोगी की एक बात पर भारी न पड़ सकी। शायद इसीलिए कहा जाता है सौ सुनार की एक लोहार की।

इस कहावत का बुद्धि से भी इसका गहरा सम्बन्ध है

किसी बुद्धिमान की एक बात सब पर भारी होती है और बेवकूफ की किसी भी बात पर भी कोई खास ध्यान नहीं देता। इसलिए यह भी कहा जाता है कि किसी बेवकूफ की सबसे बड़ी अलामत यह है कि वह ज्यादा बोलता है और सुनता कम है।

जबकि बुद्धिमान व्यक्ति ज्यादा सुनता है और बोलता कम है। जब बुद्धिमान बोलता है तो उसकी बातों में कुछ ऐसे भाव होते हैं जिससे लोग प्रभावित हो जाते हैं और उसकी बातों से उन्हें जबरदस्त प्रेरणा भी मिलती है।

जो शख्स जितना कम बोलता है, समाज में उसका उतना ही अधिक प्रभाव होता है। जब वह अपनी जुबान खोलता है तो कुछ ऐसी हिकमत और भाव से भरी हुई बातें बोलता है जिसे सुनकर लोगों को हैरानी होती है और इसी वजह से लोग उसकी बातों और विचारों को जानने की जुस्तजू और तलाश में रहते हैं।

जबकि बेवकूफ आदमी बोलता ही रहता है और लोग उसकी बातों पर तवज्जो ना देकर इस इंतज़ार में रहते हैं कि आखिर कब वह अपनी जुबान बंद करेगा?

गहरा है इस कहावत का भाव

इस प्रचलित लोकोक्ति का एक मतलब यह भी लिया जाता है कि किसी चीज को संजाने संवारने और बनाने के लिए बहुत ज्यादा समय की ज़रूरत होती है जबकि किसी वस्तु का चेहरा बिगाड़ने के लिए महज़ एक ही उपाय या वार काफी होता है।

जैसे कोई दीवार है तो उस दीवार के निर्माण में हफ्तों गुजर जाते हैं लेकिन जब उसे गिराने की बात आती है तो मात्र कुछ घंटों में ही वह दीवार धराशाई हो जाती है।

इसके अलावा इसका एक आशय यह भी है कि अगर आपके भीतर धीरज, संयम और आत्मविश्वास के साथ नरमी का बरताव करने की क्षमता मौजूद है तो आप उसी सोनार की तरह कुछ ऐसे अनमोल नतीजे अपनी जिंदगी में पा सकते हैं जो वह थोड़ी मेहनत और ज़्यादा बुद्धि और समय लगाकर सोने के रूप में हासिल करता है।

इस तरह समय के साथ लगातार मेहनत और दिमाग का इस्तेमाल करते हुए आश्चर्यजनक परिणाम भी निकाले जा सकते हैं।

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