दीपा और रूपा बहने हैं, जो साथ में ही स्कूल जाना, कॉलेज जाना, घूमने जाया करती थी। उनके माता-पिता ने भी बहुत अच्छे तरीके से पालन पोषण किया और दोनों की हमेशा मदद की। किसी भी स्थिति के आने पर उन्होंने डरना नहीं, बल्कि दोनों बेटियों को आगे बढ़ना सिखाया था।
दोनों बेटियां वैसे तो बहुत ही होनहार थी लेकिन उनमें से दीपा का रंग सांवला था। सांवली होने की वजह से कई बार उसे दिक्कतों का सामना करना पड़ता और लोगों के तानो का भी सामना करना होता था लेकिन फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी और हमेशा अपने कार्य को सही तरीके से किया।
अब दोनों बहने अपने कॉलेज की पढ़ाई पूरी करके एक अच्छी कंपनी में कार्यरत हैं। रूपा और दीपा दोनों ने ही अपने क्षेत्र में बहुत अच्छा काम किया था और अब वह दिन आ गया था, जब दोनों की शादी की बात चलने लगी हैं। चूंकि दीपा बड़ी थी इसलिए लड़के वाले उसे देखने आने वाले थे।
दीपा की मां- सुना हैं लड़का बहुत अच्छा हैं और एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता हैं जरूर हमारे दीपा को वह पसंद कर लेगा।
दीपा के पापा- बिल्कुल पसंद करेगा। अरे हमारी दीपा करोड़ों में एक हैं उसने हमेशा हमारा नाम गर्व के साथ ऊंचा किया हैं।
दीपा की माँ- यह सब तो ठीक हैं लेकिन तुम यह तो जानते हो ना दीपा का रंग सांवला हैं। सांवली लड़कियों को अच्छे लड़के नहीं मिलते ऐसा मेरा अनुभव कहता हैं।
दीपा ने माँ की बात सुन ली थी लेकिन उसे बुरा नहीं लगा क्योंकि आज तक जो बात लोग कहते आ रहे थे वह दादी ने कह दी थी लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी थी और उसने हंसते हुए कहा था- कोई बात नहीं माँ, मुझ सांवली के लिए भी राजकुमार आ ही जाएगा।
लगभग 10 दिन के बाद गौरव अपने पापा मम्मी के साथ दीपा को देखने आता हैं। वे दीपा की नौकरी, शिक्षा, हाव भाव, व्यवहार को लेकर चिंता मुक्त थे लेकिन फिर भी लड़की को देखने की फॉर्मेलिटी करना चाहते थे।
जैसे ही दीपा वहां आती हैं, तो गौरव का चेहरा उतर जाता हैं और वह अपनी मां की तरफ देखकर “ना” में सिर हिला देता हैं। दीपा गौरव को देखकर समझ चुकी थी कि उसे वह नापसंद हैं लेकिन फिर भी दोनों को बात करने के लिए कहा जाता हैं
जिस पर गौरव कहता हैं- आई एम एक्सट्रीमली सॉरी। मुझे सांवले रंग की लड़कियां बिल्कुल पसंद नहीं हैं। ऐसे में मेरा इनसे बात करना सही नहीं होगा क्योंकि मेरी यहां पर “ना” हैं।
एकदम से ना सुनकर सारे घर वाले एक दूसरे को देखने लगते हैं लेकिन गौरव की मां अचानक कहती हैं- भाई साहब आपने तो बताया ही नहीं कि आपकी लड़की इतनी ज्यादा सांवली हैं। अरे हमारे लड़के का रंग तो गोरा हैं ऐसे में इस लड़की के साथ जोड़ी कैसी जमेगी?
दीपा के पापा- लेकिन बहनजी हमने हमारी बेटी को हर तरीके से काबिल बनाया हैं क्या यह आपके लिए जरूरी नहीं हैं?
गौरव की मां- लेकिन दुनिया वाले तो पहले रंग ही देखेंगे ना काबिलियत तो बाद में पता चलेगी इसलिए हम आपके यहाँ रिश्ता नहीं कर पाएंगे।
उनके जाने के बाद परिवार में सब गुमसुम हो गए लेकिन दीपा ने मुस्कुराते हुए कहा- कोई बात नहीं पापा जो खाना हमने इनके लिए बनाया हैं, क्यों ना हम उसे खाकर मजा करें क्योंकि ऐसा खाना किस्मत वालों को मिलता हैं।
दीपा का मन रखने के लिए सभी घरवाले खाना खा लेते हैं लेकिन एक कसक दिल में हमेशा के लिए बैठ जाती हैं कि उनकी सांवली बेटी के लिए कोई अच्छा हमसफर कैसे मिल पाएगा?
इस बात को 7 साल बीत जाते हैं इस दरम्यान दूसरे लड़कों ने भी आकर वही राय रखी जो कभी गौरव ने रखी थी लेकिन दीपा ने खुद को टूटने नहीं दिया क्योंकि सावला रंग ही उसकी पहचान था। जिंदगी के सफर में उसने जितने भी इंतहा दिए उनमें से यह सबसे कठिन था लेकिन फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी थी।
दीपा की शादी नहीं हो पा रही थी इस वजह से घरवालों ने बहन रूपा की शादी कर दी और आज रूपा बहुत खुश मिजाज जिंदगी जी रही हैं। इधर दीपा ने भी मेहनत करते हुए अपनी कंपनी में अच्छी पोजीशन हासिल कर ली थी और अब उसका सांवला रंग आड़े नहीं आ रहा था।
1 दिन दीपा किसी काम से मार्केट गई हुई थी अचानक उसकी नजर एक शख्स पर पड़ी। वह उसे पहचानने की कोशिश करने लगी लेकिन याद नहीं आ रहा था अचानक उसे याद आ ही गया कि यह वही गौरव हैं, जो कभी उसके घर रिश्ता लेकर आया था।
गौरव की नजर भी दीपा की और पड़ी और वह अपनी वाइफ सुमेधा को कहता हैं- आओ तुम्हें किसी से मिलवाता हूं।
जैसे ही वह दीपा के पास जाता हैं, तो वह उससे कहता हैं- I hope, तुमने मुझे पहचान लिया। आज भी तुम बिल्कुल वैसे ही दिखती हो सांवली। उम्मीद करता हूं अब तुम अपनी लाइफ में खुश होगी और हां इस से मिलो। यह मेरी वाइफ सुमेधा हैं। यह एक मल्टीनेशनल कंपनी में हैं।
सुमेधा- सुनो तो….
सुमेधा गौरव से कुछ कहना चाहती हैं लेकिन वह सुनता ही नहीं और उसी वक्त दीपा कहती हैं- जी हां मैंने आपको पहचान लिया नाइस टू मीट यू और आपकी वाइफ बहुत खूबसूरत हैं। अच्छा लगा सुनकर कि ये एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती हैं।
इतना बोल कर दीपा वहां से निकल ही जाती हैं तभी सुमेधा, गौरव से गुस्सा होते हुए कहती हैं- यह तुम क्या कर रहे थे जानते नहीं वह कौन हैं?
गौरव- हां हां सब जानता हैं यह वही लड़की हैं जिसने कभी मेरे साथ शादी के सपने देखे थे। देखा नहीं अभी तक कुंवारी हैं।
सुमेधा- अरे वही तो मेरी बाॅस हैं। हमारी मल्टीनेशनल कंपनी की सीईओ हैं। आज तुम्हारी वजह से अगर मेरी नौकरी को आंच आई तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।
यह सुनकर तो गौरव के पैरों से जमीन खिसक जाती हैं कि कल तक जिस लड़की को उसने कमत्तर समझ रखा था आज वही लड़की एक मल्टीनेशनल कंपनी के सीईओ बन चुकी हैं। उसे अपनी गलती का पछतावा हो रहा था।
उसने सोचा कि क्यों ना उससे जाकर माफी मांग ली जाए ताकि सुमेधा की नौकरी बची रहे आखिर सुमेधा भी तो घर का आधा खर्चा चलाती हैं।
अब दीपा उस घर में नहीं रहती क्योंकि दीपा को कंपनी की ओर से बहुत ही शानदार घर मिला हुआ हैं, जहां वह अपने मम्मी पापा के साथ रहती हैं। बड़ी मुश्किल से गौरव ने उसके घर का पता लगाया और जैसे ही वह घर के दरवाजे पर पहुंचता हैं अचानक दो गेट कीपर उसे रोकने लगते हैं।
उसी वक्त एक बड़ी सी गाड़ी वहां से गुजरती हैं और वह देखता हैं कि देश की सबसे बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी के मालिक उस गाड़ी से उतर रहे हैं।
गौरव- अरे मुझे अंदर जाने दो, मैं दीपा जी का फ्रेंड हूं।
गेटकीपर- आप अंदर नहीं जा सकते हैं। आज मैडम की इंगेजमेंट हैं वह भी देश के सबसे बड़े मल्टीनैशनल कंपनी के मालिक के साथ। ऐसे में अगर हमने आपको अंदर जाने दिया तो हम अपनी नौकरी से हाथ धो बैठेंगे।
अब तो गौरव को यकीन ही नहीं हो रहा था कि जिस लड़की को उसने सावले रंग की वजह से छोड़ दिया था आज उसी लड़की को इतना अच्छा और काबिल हमसफर मिला हैं। ऐसे में घर की रौनक देखते ही बन रही थी चारों तरफ रोशनी ही रोशनी।
उस दिन तो गौरव अंदर जा नहीं पाया लेकिन 2 दिन बाद फिर से वह उसी घर में दीपा से मिलने आया क्योंकि अब उसे अपनी गलती का पश्चाताप हो रहा था।
दीपा- आप यहां कैसे ?
गौरव- आई एम रियली वेरी सॉरी मैम। मैंने आपके साथ बिल्कुल भी अच्छा व्यवहार नहीं किया।
दीपा- आप इस सांवली लड़की को मैम कहकर कैसे बुला रहे हैं? यह तो आपके शान के खिलाफ होगा।
गौरव शर्मिंदा हो जाता हैं और वह माफी मांगते हुए कहता हैं कि मैंने कभी भी इंसान की कदर नहीं की बल्कि ऊपरी दिखावे पर जोर दिया। मुझे नहीं पता था कि आप इतनी काबिल हैं कि 1 दिन इतनी बड़ी कंपनी की सीईओ बन जाएंगी।
दीपा- क्यों सावली लड़कियां सीईओ नहीं बन सकती क्या? किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व सरल स्वभाव, तेज दिमाग, सोच, इमानदारी उसे आगे बढ़ने के काबिल बनाता हैं ना कि उसका रंग।
सांवला रंग कभी भी किसी भी वजह से शर्मिंदगी का कारण नहीं बन सकता। जो इंसान रंग की बदौलत किसी दूसरे इंसान को पहचानने की बात करता हैं वह निश्चित रूप से इंसानियत को नहीं पहचान सकता।
अच्छा हुआ आपने सालों पहले मुझे शादी के लिए इंकार कर दिया था वरना आज मुझे इतना अच्छा हमसफर कैसे मिल पाता? अब आप जा सकते हैं। इस समय मैं अजनबियों से बात करना पसंद नहीं करती।
गौरव चुपचाप वापस चला जाता हैं और उसे अपनी गलती का एहसास होता हैं। आज जब न्यूज़पेपर में दीपा की फोटो नजर आती हैं, तो वह पहले से कहीं ज्यादा शर्मिंदा होता हैं लेकिन वह समझ चुका हैं कि कभी भी किसी व्यक्ति के सफलता के रास्ते में सावला रंग नहीं आ सकता हैं और अब वह पूरी तरह से अपने परिवार को समय देना चाहता हैं।
उधर दीपा भी कामयाबी की नई सीढ़ियां चढ़ने लगती हैं जिससे माता-पिता खुश होते हैं और दीपा ने जो सपने देखे थे आज उसे पूरा होते देख उसे गर्व का अहसास होता हैं।
दोस्तों, यह गलती हमसे भी कई बार होती हैं जब हम सांवले रंग को सुंदरता का पर्याय ना समझ कर उसे नीचा समझते हैं। ऐसे भी हमेशा याद रखना चाहिए कि किसी भी इंसान की पहचान उसके दिल, सोच, नियत से होती हैं ना कि रंग से।
ऐसे में हमें हर उस इंसान की इज्जत और कदर करना चाहिए जो अपने काम में काबिल हो और आगे बढ़ने के सपने देखता हो।
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