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Self dependent woman डिंपल की कहानी

Self dependent woman meaning

डिंपल, जो अपने काम में बहुत माहिर थी लेकिन कहीं ना कहीं उसके दिल में दुख समाया हुआ था क्योंकि चाहकर भी वह लोगों को खुश नहीं कर पा रही थी खासतौर से अपने सास और ससुर को।

एक कामकाजी बहु जो हमेशा सबसे पहले घर वालों का ध्यान रखती थी और ऑफिस जाने के पहले पूरा काम करती थी साथ ही साथ सास ससुर का खाना बनाना, उनकी दवाइयों का ध्यान रखना, खुद का ध्यान रखना इन सारी समस्याओं के बीच में वो खुद को खुश महसूस करती थी। उसके पति दूसरे शहर में रहकर नौकरी कर रहे थे इस वजह से भी उसे ज्यादा परेशानी हो रही थी।

एक दिन जब अपने ऑफिस से लौटी तब सास का चेहरा तना हुआ लेकर वह कहती हैं- आज तुमने सब्जी बना कर दी थी ना उसमें नमक बहुत कम था और ना ही मिर्ची लग रही थी। तुम्हारे ससुर जी को तो मैंने दूसरी सब्जी बना कर दी हैं। अब से पहले स्वादिष्ट खाना बनाया करो उसके बाद अपनी नौकरी पर जाया करो।

डिंम्पल- मां जी आज मुझे ऑफिस जाने में देर हो रही थी शायद इसीलिए मैं सही तरीके से बना नहीं पाई। मैं कोशिश करूंगी कि आप सब अच्छे से बना दूं।

ससुर- देखो बहू या तो तुम नौकरी करो या तो फिर घर का काम। हम तो यही चाहते हैं कि तुम सिर्फ घर के लिए ही समर्पित रहो। शुरू से हमने कभी नहीं चाहा कि तुम नौकरी करो लेकिन हमारे बेटे की वजह से हमें चुप रहना पड़ा।

डिंपल- लेकिन पिताजी नौकरी करने में आखिर दिक्कत ही क्या हैं? अगर औरतें अपने पैरों पर खड़े रहे तो समाज आगे बढ़ सकता हैं और परिवार का भी सही तरीके से ध्यान रखना मुश्किल नहीं होता हैं।

सास- हां हम तो देख ही रहे हैं किस तरीके से तुम परिवार का ध्यान रख रही हूं? सब्जी भी बिल्कुल भी अच्छी नहीं बनी थी। हमें तो ऐसा लगता हैं कि तुम सिर्फ पैसे के पीछे भाग रही हो और कुछ भी नहीं, अरे कमी ही क्या हैं तुम्हें?

डिंपल के लिए यह रोज-रोज की बात हो गई थी शादी के 3 साल बाद भी उसे यह ताने सुनने पड़ रहे थे। आखिर उसके सास ससूर यह बात समझ क्यों नहीं पा रहे थे कि आज के समय में औरतों को भी आगे बढ़ना बहुत जरूरी हैं लेकिन डिंपल ने कभी भी ज्यादा उनसे बहस नहीं की और चुपचाप अपने कमरे में चली गई।

1 दिन की बात हैं जब डिंपल को ऑफिस से ही अपनी सहेली के बर्थडे में जाना पड़ता हैं और वह भी इसलिए क्योंकि सहेली उससे आने की जिद करती हैं। ऐसे में उसे जाना ही पड़ता हैं लेकिन उससे पहले सुबह ही वह सारे काम निपटा लेती हैं।

बर्थडे पार्टी थोड़ी देर तक चलती हैं और उसे आने में रात के 10:00 बज जाते हैं इस वजह से सास और ससुर बिना खाना खाए उसके आने का इंतजार करते हैं कि अचानक ही डिंपल को देखकर सास खड़ी हो जाती हैं और कहती हैं- आ गई महारानी रात के 10:00 बज रहे हैं शरीफ घर की बहू इतनी देर तक घूमती नहीं हैं।

डिंपल- मैंने तो आपको बताया था मा जी और मैं घूम नहीं रही थी अपनी प्यारी सहेली के जन्मदिन में गई थी उसने भी तो मेरे लिए न जाने कितने जतन किए थे। जब सबसे ज्यादा मुझे उसकी जरूरत थी उस समय वह मेरे साथ खड़ी थी। ऐसे में उसके अच्छे दिन में उसे कैसे भूल सकती थी?

ससुर- हां हां तुम तो उसी की ही बात करो तुम्हारे घरवाले तो तुम्हारे लिए कोई मायने रखते ही नहीं जो तुम दूसरों के बारे में ऐसी बातें करती हो।

डिंपल को कुछ समझ में नहीं आता कि आखिर घर वालों को दिक्कत क्यों हो रही हैं? शादी से पहले भी तो वह नौकरी किया करती थी लेकिन कभी भी उसने ऐसा व्यवहार पहले नहीं देखा था।

ना चाहते हुए भी उसे ऐसी बातें सुननी पड़ती थी जो उसके मन को बिल्कुल भी गवारा नहीं थी बावजूद इसके भी वह उस घर में रहते हुए सब का ख्याल रख रही थी।

1 महीने के बाद जब डिंपल अपने ऑफिस के लिए बाहर जा रही थी उसी समय सास की आवाज सुनाई दी- सुना हैं डिंपल का प्रमोशन हो गया हैं और अब उसकी सैलरी बढ़ जाएगी।

ससुर- अच्छा हैं इससे हमारे बेटे का पैसा बचेगा और हम अपनी बहू का पैसा खर्च करेंगे आखिरी इतनी सैलरी करेगी क्या?

सास- अब यह अपने लिए जेवर बनवाएगी और उसे छुपा कर रखेंगी क्योंकि हमें अपना मानती ही नहीं हैं। सुना हैं इसका भाई भी इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने जाने वाला हैं जाहिर सी बात हैं अपनी सैलरी को अपने भाई को ही देगी क्योंकि अब उसके पापा भी तो रिटायर हो चुके हैं।

यह बात सुनकर तो डिंपल को बहुत बुरा लगा क्योंकि आज तक उसने अपने पैसे को कभी भी भाई या मायके में नहीं बांटा था बल्कि हमेशा उसे अपने भविष्य के लिए बचा कर रखा था। वह जानती थी कि समय कभी भी बदल सकता हैं और ऐसा समय भी आ सकता हैं जब पैसे की जरूरत पड़े लेकिन उसकी इस भावना को कोई नहीं समझ पा रहा था बल्कि उस पर ही तरह तरह के आरोप लगाए जा रहे थे।

गीली आंखें लेते हुए वह ऑफिस में पहुंची जहां उसका मन भी काम में नहीं लग रहा था। उसका पति दूसरे शहर में रहता था इस बात का फायदा सास ससुर ने काफी उठा लिया था लेकिन अब वह चुप नहीं रहने वाली थी फिर भी कोई ना कोई ऐसी स्थिति आ रही थी जिस वजह से उसे चुप रहना पड़ रहा था।

कामकाजी बहू होने का डिंपल को ऐसा सिला मिला था उसने कभी सोचा भी नहीं था। आज तक उसने जो भी किया अपने परिवार को ध्यान में रखकर किया।

चाहे घर से बाहर ही क्यों ना हो फिर भी वह कोशिश करती रही कि कभी सास ससुर को दिक्कत ना हो लेकिन किसी ना किसी बात पर उन्हें परेशानी हो ही जाती थी अब तो डिंपल ने भी सोचना छोड़ दिया था और सब कुछ भगवान के भरोसे ही कर दिया। वह नौकरी नहीं छोड़ना चाहती थी क्योंकि नौकरी छोड़ने से वह खुद को आत्मनिर्भर नहीं बना पाएगी।

एक दिन रात को 2:00 बजे अचानक डिंपल के कानों में रोने की आवाज आई तो उसे लगा शायद उसने सपना देखा होगा लेकिन फिर जोर जोर से चिल्लाने की आवाज सुनाई दी जो उसकी सास की थी-

अरे डिंपल जल्दी बाहर आओ तुम्हारे पिताजी को बहुत तेज सीने में दर्द हो रहा हैं पता नहीं क्या हो गया?

डिंपल दौड़कर बाहर जाती हैं तो देखती हैं ससुर बेसुध होकर गिर पड़े थे। इतनी रात को वह किसे फोन करें यह वह समझ नहीं पा रही थी लेकिन फिर भी जल्दी जल्दी एंबुलेंस बुलाकर उन्हें हॉस्पिटल ले गई। रास्ते पर कभी वह अपने साथ को संभालती तो कभी ससुर को तो कभी खुद को पति को फोन लगा रही थी लेकिन लग नहीं पा रहा था।

ऐसी स्थिति में उसने खुद को संभाला और उसने सारे पैसे जो उसके पास थे साथ में ही अपना एटीएम कार्ड भी रखा हुआ था।

हॉस्पिटल पहुंचने पर पता चला कि ससुर को मेजर अटैक आया हैं और जिस वजह से वह बेसुध हो चुके थे डॉक्टर ने जल्द ही ऑपरेशन की सलाह दी क्योंकि उनके ह्रदय में ब्लॉकेज बहुत ज्यादा हो चुका था और इसीलिए बाईपास सर्जरी करना जरूरी था।

डॉक्टर- हमें जल्द से जल्द इनका ऑपरेशन करना होगा आप काउंटर पर जाकर ₹500000 जमा कर दीजिए वरना उनकी जान को खतरा हो सकता हैं।

यूं तो डिंपल पैसे लेकर आई थी लेकिन इतने ज्यादा नहीं थे फिर भी वह एटीएम की मदद से और अपने दोस्तों की मदद से ₹500000 जमा कर दिए थे और बाद में ऑपरेशन भी शुरू हो गया। लगभग 2 घंटे के ऑपरेशन के बाद डॉक्टर ने बताया कि अब ससुर खतरे से बाहर हैं लेकिन फिर भी उन्हें कम से कम 1 हफ्ते तक हॉस्पिटल में एडमिट रहना पड़ेगा। इस बात से सास घबराते हुए डिंपल की ओर देखती हैं- अब क्या होगा अस्पताल का खर्चा मैं कहां से उठा पाऊंगी?

उसी समय फौरन डिंपल अपने ₹50000 निकालकर सास के हाथों में रख देती हैं और बड़े प्यार से कहती हैं- मेरे होते आपको परेशानी की कोई जरूरत नहीं हैं मैंने अपने पैसों से गहने नहीं बल्कि परिवार की भलाई के लिए जमा किया था।

मैंने तो अपने भाई को इंजीनियरिंग के लिए ही पैसे नहीं दिए क्योंकि मैं जानती थी समय बदलते देर नहीं लगती। आप पैसों को रख लीजिए हो सकेगा तो मैं आपको और भी पैसे लाकर दे दूंगी ताकि कोई भी कमी ना रहे।

अब सास शर्मिंदा होने लगी थी क्योंकि वह कभी डिंपल को ताना मारने से चूकि नहीं थी। अब रोते हुए सास हाथ जोड़ कर डिंपल से कहती हैं- हमने तुम्हें गलत समझा बहू तुम तो हमेशा हमारे भले की बात करती रही लेकिन हमने ही तुम्हें अपना दुश्मन मान लिया, हो सके तो माफ कर देना।

डिंपल- मां जी ऐसा कुछ मत कहिए जिससे मुझे बुरा लगे। मेरे दिल में हमेशा आप लोगों के लिए इज्जत रहेगी लेकिन एक बात सही हैं कि कभी भी आप लोगों ने मेरी कदर नहीं की। अगर आप लोग मुझे प्यार से बात करते हैं, तो मैं जरूर आप लोग से भी वह सब बातें शेयर करती जो मैं करना चाहती थी।

कामकाजी बहू (Self-reliant) होने का यह मतलब तो नहीं कि वह सिर्फ अपने स्वार्थ के बारे मे सोचे। जिंदगी में कभी भी कोई भी मोड़ा सकता हैं। ऐसे में अगर औरत काम के लिए घर से बाहर निकलती हैं, तो हमारे समाज (Society) के लिए बहुत ही अच्छा उदाहरण होगा

लेकिन आज कुछ दकियानूसी लोगों के कारण बहुत महिलाएं घर में रहने के लिए मजबूर हैं। जो करना तो बहुत कुछ चाहती हैं लेकिन सब से डरती हो आगे बढ़ना नहीं चाहती।

थोड़े ही दिनों में ससुर भी घर आ जाते हैं और उन्हें भी इस बात का पता चलता हैं कि डिंपल ने बेटी बहू नहीं बल्कि बेटा बनकर उनकी मदद की हैं साथ ही साथ उन्होंने डिंपल को आशीर्वाद दिया क्योंकि उसकी वजह से ही आज ससुर की जान बच गई हैं।

दोस्तों हम सभी एक जैसे समाज में रहते हैं जहां औरतों को बराबरी का दर्जा देने में कुछ लोगों को ऐतराज होता हैं और वे कभी भी उसे आगे बढ़ने देना नहीं चाहते। कभी कभी घर के भी लोग एक औरत को नीचे गिराना चाहते हैं और ऐसे में सही व्यवहार नहीं करते।

अगर परिवार के लोग ही एक औरत का साथ देंगे तो उसे पीछे मुड़कर कभी नहीं देखना होगा और वह हमेशा सफलता की ओर बढ़ती चली जाएगी। ऐसे में हमेशा एकजुट होकर रहने में ही हमारे समाज की भलाई हैं।

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