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आध्यात्मिकता का वास्तविक अर्थ ~ निःस्वार्थ प्रेम

सामान्य व्यक्ति की तुलना में आध्यात्मिक व्यक्ति शारीरिक एवं मानसिक दोनों रूप से स्वस्थ्य, प्रसन्न और संतुष्ट दिखाई देता है। हालांकि आध्यात्मिक जीवन जीना कदापि आसान नहीं, लोग आध्यात्मिक जीवन जीने के लिए अत्यधिक संघर्षों का सामना महसूस करते हैंl

परंतु उन संघर्षों से निपटने के लिए आत्मविश्वास होना अत्यधिक मायने रखता है। वह व्यक्ति एक आध्यात्मिक जीवन जी सकता है जो खुद पर नियंत्रण हासिल कर अपनी इच्छाओं को काबू में कर सकता है

आध्यात्मिक (Spirituality) जीवन उन सभी चीजों से अलग है जो जीवन एक साधारण व्यक्ति जीता है। इस सांसारिक मोह में फंसते हुए एक साधारण व्यक्ति अपने जीवन में स्वार्थी हो जाता है।

वह अपनी खुशियों के लिए दूसरे का नुकसान करने के लिए भी तैयार हो जाता है।

एक आध्यात्मिक व्यक्ति जो आध्यात्मिक तौर तरीकों से अपना जीवन यापन करता है उसे किसी भी चीज का लालच नहीं रहता और ना ही वह लोगों की बातों से अपने जीवन को परिवर्तित करने की सोचता है ।

उसे लोगों की बातों से मतलब ही नहीं रहता कि लोग उसे क्या कहना चाहते हैं?
सामान्य व्यक्ति की तुलना में वह उन कार्यों से दूर रहता है जिससे क्षण भर की खुशी मिलती है।

इसीलिए आध्यात्मिक जीवन जीना हर किसी के लिए संभव नहीं रहता।

अध्यात्म जीवन से आप क्या समझते हैं?

आध्यात्मिक जीवन मनुष्य को सच्चाई का बोध कराता है, आध्यात्मिक जीवन का भौतिक जीवन से कोई लेन-देन नहीं होता। जीवन मरण, सुख दुख जैसे थपेड़े एक आध्यात्मिक व्यक्ति को जीवन में अपने पथ से विचलित नहीं करते।

एक आध्यात्मिक व्यक्ति मानता है कि जीवन में सुख एवं दुख जैसी अनुभूति आंतरिक रूप से ही पाई जा सकती है।

आध्यात्मिकता हमें नि:स्वार्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है, निस्वार्थ जीवन केवल वही व्यक्ति जी सकता हैं। जिसे अपने जीवन में किसी भी चीज का घमंड व चाह ना हो।

आध्यात्मिक व्यक्ति अपना जीवन उन्हीं चीजों के सहारे यापन करने के लिए तैयार रहते हैं जो उनके पास हो और उन्हें किसी भी अन्य चीज की आवश्यकता नहीं होती।

वे संतोषजनक अपना जीवन व्यतीत करते हैं, वे अपनी खुशियां बहुत ही पदार्थों में नहीं बल्कि ईश्वर में खोजते हैं

आध्यात्मिक विकास का अर्थ तभी समझ आ सकता है जब हम आध्यात्मिक बनने के किए एक विशेष लक्ष्य निर्धारित करें और उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए संघर्ष करें।

जिसके कारण अंत में निर्धारित लक्ष्य हमें प्राप्त हो जाए इस सफर में हमारे द्वारा किया गया संघर्षों का सामना व लोगों का विरोध सहन करना ही एक आध्यात्मिक जीवन की पहचान है।

आध्यात्मिक जीवन जीने के लिए कुछ आवश्यक चीजें

Spirituality in Hindi

१. निस्वार्थ प्रेम

नि:स्वार्थ प्रेम वह स्थिति होती है जब इंसान लाभ या किसी अन्य इच्छा की पूर्ति के बिना किसी से प्रेम करता है।

सामान्य जीवन में देखा जाए तो पारिवारिक सदस्यों और कुछ अपने करीबियों को छोड़कर शायद ही इंसान किसी दूसरे से नि:स्वार्थ प्रेम करता है।

जिस प्रकार एक मां अपने बच्चों से निस्वार्थ प्रेम करती हैं उसी प्रकार उस माँ का इस दुनिया में अन्य लोगों के साथ निस्वार्थ प्रेम करना असंभव होता है।

जब एक माँ के लिए यह बात असंभव होती है तो फिर साधारण व्यक्ति के लिए निस्वार्थ प्रेम करना कितना असंभव होगा यह विचार आप स्वयं अपने मन में कर सकते हैं l

हालांकि आध्यात्मिक लोगों की यह विशेषता होती है कि वह मनुष्य की भांति जानवर, पक्षी तथा अन्य प्राणियों से प्रेम करते है।

जब व्यक्ति निस्वार्थ प्रेम करना प्रारंभ करें तभी वह आध्यात्मिक ज्ञान को आसानी से अपने जीवन में अपना सकता है l

२. आस्था

एक निस्वार्थ आध्यात्मिक जीवन जीने के लिए आस्था का मतलब उन लोगों पर आस्था रखना नहीं है जो किसी धर्म को अपना कर आस्था के बलबूते अपने जीवन को यापन करते हैं ।

बल्कि यहां आस्था का मतलब सिर्फ अपने कर्मों और अपने विश्वास पर आस्था रखना है, जिसके जरिए हम अपने जीवन को आध्यात्मिकता के साथ यापन कर सकें।

अर्थात यहां आज तक से तात्पर्य खुद के कर्मों से ही है और उसी आस्था के बल पर अपने उस मंजिल को हासिल करना जिसे प्राप्त करने के बाद हम आध्यात्मिक ज्ञान व निस्वार्थ जीवन जीने में संभव हो सकेl

३. सार्थकता

हम इंसानों को ईश्वर द्वारा सोचने समझने हेतु बुद्धि दी गई है जिसका इस्तेमाल कर हम जीवन की सच्चाई को समझने हेतु कर सकते हैं और यही सार्थकता होती है।

भौतिक वस्तुओं से परे जब इंसान यह समझने लगता है कि जीवन में आनन्द केवल सुख सुविधाओं का भोग करने से नहीं आता। बल्कि असली आनंद की अनुभूति तब होती है जब इंसान यह जानने लगता है कि हमारा शरीर भौतिकताओं से परे है।

अर्थात जब इंसान की आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है, वहीं से हम आनंद का अनुभव कर पाते हैं।

इस पृथ्वी जन्म में आकर यदि हम केवल खुद की आवश्यकताओं और इच्छाओं की पूर्ति के लिए ही प्रयत्न करें। तो इसे कदापि सार्थक जीवन नहीं कहा जा सकता। एक सार्थक जीवन तो वह है जहां पर मनुष्य उन कर्मों को करें जिससे समाज धर्म और इस संसार का भला हो।

जब मनुष्य अपनी इंद्रियों को अपने वश में करके खुद पर काबू पाना सीख लेता है तो वह अध्यात्म के पद पर चल सकता है।

४. मन की शांति

आध्यात्मिक जीवन जीने के लिए मन की शांति उतनी आवश्यक है जितनी आवश्यक जीवन यापन करने के लिए सांसे होती है क्योंकि शांत मन से ही हम आध्यात्मिकता की ओर बढ़ते हैंl

भले ही मन में आने वाले सभी बुरे विचारों को नहीं रोका जा सकता परंतु कुछ ऐसे विचारों को नियंत्रण करने के लिए हम अपने मन को काबू में करने के लिए आध्यात्मिक क्रियाएं कर सकते है।

उदाहरण के तौर पर योग ध्यान की वही स्थिति है जब मनुष्य एकांत अवस्था में मन में आ रहे सभी विचारों को जल की भांति बहने देता है।

आध्यात्मिक विकास क्या है?

आध्यात्मिक विकास से तात्पर्य अपनी अंतर आत्मा या चेतना के विकास से है। आध्यात्मिकता का मार्ग हमारी आत्मा का परमात्मा से मिलन करवाता है। इस पथ पर चलकर हमें जीवन की सच्चाई को स्वीकार करने की शक्ति मिलती है।

इस कारण हमारा खुद पर विश्वास व अपने कार्यों के प्रति जिज्ञास बढती है, हमारे विचारों का भी विकास होता है। इसी कारण हमारी अन्तरआत्मा भी प्रसन्न रहती है।

आध्यात्मिक विकास वाला व्यक्ति खुद के मन को शांत व खुशहाल महसूस करता है यह कारण है कि वह शांत स्वभाव से अपने कार्यों को करता है ,उसे लोगों की अन्य विरोधी बातों से मतलब नहीं रहता।

आध्यात्मिक विकास जरूरी क्यों है?

आध्यात्मिक विकास की वजह से एक साधारण मनुष्य और एक आध्यात्मिक व्यक्ति के विचारों और कर्मों में विभिन्नता देखने को मिलती है एक आध्यात्मिक व्यक्ति का मन निर्मल शीतल नदी के प्रवाह की तरह होता है ।

ऐसे लोगों के मन में बुरे विचार कभी रुकते ही नहीं, जिस प्रकार नदी का पानी बहता जाता है और स्वच्छ होता है उसी प्रकार आध्यात्मिक व्यक्ति का मन भी बुरे विचारों को अपने दिमाग में रखता ही नहीं और हमेशा अच्छे विचारों के साथ अपना जीवन सफलतापूर्वक बिताता है।

आध्यात्मिक विकास की ओर बढ़ रहा व्यक्ति अपने मस्तिक से सुख शांति महसूस करता है और एक सुखद जीवन की तरफ अपने जीवन को ले जाने में सफल रहता है, जिससे अंततः उसका जीवन सार्थक हो जाता है

इसीलिए अध्यात्म के मार्ग पर चलना कठिन अवश्य है। जिसमें खुद को अनुशासित करने की शक्ति और अपनी इच्छाओं को काबू में करने का दृढ़ संकल्प होना चाहिए लेकिन इससे होने वाले फायदे अनेक हैं अतः संक्षेप में कहें तो आध्यात्मिक विकास जीवन में अत्यंत आवश्यक है।

आध्यात्मिक विकास कैसे करें?

आध्यात्मिक विकास करने के लिए व्यक्ति को स्वयं पर विश्वास, निस्वार्थ प्रेम, मन की शांति तथा सार्थकता होना अत्यंत आवश्यक है।

इन सभी के होते हुए ही व्यक्ति सही निर्देशों का पालन करता है तथा उसे आध्यात्मिकता का ज्ञान प्राप्त होने लगता है।

आध्यात्मिक विकास खुद पर विश्वास करके तथा अपने इरादों को मजबूत करके किया जा सकता है इस कारण हमें अपने प्रत्येक कार्य में सफलता मिलती है , हम आत्मज्ञान की तरफ बढ़ते हैं।

आध्यात्मिक विकास के वक्त नर्क और स्वर्ग ऐसी कोई भी विचारधाराएं अपने मन में नहीं रखनी चाहिए तथा स्वतंत्रतापूर्वक अपने जीवन को प्रत्येक क्षण आगे बढ़ाना चाहिए।

अध्यात्म को समझना

आध्यात्मिकता व्यक्ति के अंदर ईश्वर का समारोह होता है जो व्यक्ति आध्यात्मिक का अर्थ समझ जाता है उस मनुष्य को इच्छा,शक्ति, बुराई तथा समाज के प्रत्येक सुख दुख का अहसास होने लगता है तथा जीवन के बारे में प्रत्येक चीज का ज्ञान उसे आने लगता है।

वह व्यक्ति समाज में महानता प्राप्त कर लेता है, तथा समाज में कुछ महत्वपूर्ण चीजों को हासिल करने के लिए अपनी क्षमता या अक्षमता को पहले ही निर्धारित कर लेता है।

लोगों में आध्यात्मिक विकास का सबसे मुख्य लक्षण यही होता है कि वे पूर्णता खुद की अनुभूतियों व भाग्य में होने वाले प्रत्येक कार्यों को पहले ही महसूस कर लेते हैं।

सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान प्रत्येक मनुष्य के जीवन को सुखमय व आनंद से भरा महसूस कर लेता है उसे अपने दुखों के वक्त ईश्वर भी सहायता करते हुए नजर आते हैं साथ ही उसकी आंतरिक क्षमता का विकास होना प्रारंभ हो जाता है।

इस कारण आंतरिक शक्ति से अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में लोगों को आसानी महसूस होती है तथा उसके सामने कोई भी समस्या, उसे समस्या नहीं लगती उसकी ताकत खुद-ब-खुद अंदर से बढ़ने लगती है।

ऐसे लोग कभी भी किसी अन्य लोगों द्वारा दिए जाने वाले मौकों का इंतजार नहीं करते उन्हें खुद के इरादों पर इतना विश्वास होता है कि वे हमेशा कुछ न कुछ कार्यों के बल पर आगे बढ़ने में प्रत्येक संभव कोशिश करते हैं।

ऐसे लोगों को जीवन में कभी भी कमजोरियां नहीं होती वे आर्थिक व मानसिक रूप से कभी कमजोर नहीं दिखाई पड़ते हैं।

 

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