Shrimad Bhagwat Geeta, Hindi Bhagwat Geeta, Gita में बताई गई कुछ महत्वपूर्ण बातें
Some Srimad Bhagavad Geeta Slok Hindi Translation
- फल की कामना छोड़ कर कर्म करना ही मनुष्य का अधिकार हैं अत: कर्म के फल की इच्छा न करो तथा कर्म करने में अरुचि न रखो अथार्थ सदा कर्मशील बने रहो।
- हे अर्जुन! निसंदेह मन बहुत चंचल हैं और बड़ी कठनाई से वश में होता हैं किन्तु सदा अभ्यास और वैराग्य से वह वश में हो जाता हैं।
- हे अर्जुन! जब जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि हुई हैं तब-तब मैं अपने को रचता हूँ अर्थात् अवतरित होता हूँ।
- साधु पुरुषो की रक्षा के लिए और दुष्कर्म करने वाले के नाश के लिए तथा धर्म की स्थापना करने के लिए में युग- युग में प्रकट होता हूँ।
- अहिंसा, सत्य, क्रोध न करना, त्याग, शान्ति, निंदा न करना, दया लोभ का अभाव, मृदुलता लोक और सदाचार के विरुद्ध कार्य न करना, चंचलता का अभाव – ये मनुष्य के गुण हैं।
- तेज, क्षमा, धैर्य, पवित्रता, द्रोह (शत्रु-भाव) का अभाव, अभिमान रहित होना –ये सब दैवीय संपदा प्राप्त व्यक्ति के लक्षण हैं।
- धैर्य, शान्ति, निग्रह नियंत्रण, पवित्रता, करुणा, मधुर वाणी, मित्रो के प्रति सदभाव-ये सातो गुण जिसमे होते हैं, वह सभी प्रकार से श्रीसंपन्न होता हैं।
- सुख चाहने वालो को विधा कहाँ और विधार्थी को सुख कहाँ? सुख चाहने वाले विधा की आशा न रखे और विधार्थी सुख की इच्छा न रखे।
- व्यक्ति को इन गुणों का कभी भी त्याग नहीं करना चाहिए-सत्य, दान, आलस्य का अभाव, निंदा न करना क्षमा और धर्य।
- ये आठ गुण मनुष्य को यश देने वाले हैं –सद्विवेक, कुलीनता, निग्रह, सत्संग पराक्रम कम बोलना यथाशक्ति दान और कृतज्ञता।
- विषयों का चिंतन करने से व्यक्ति विषयों के प्रति आसक्त हो जाता हैं आसक्ति से उन विषयों की कामना तीव्र होती हैं, कामना से क्रोध उत्पन्न होता हैं।
- क्रोध से अविवेक उत्पन्न होता हैं, अविवेक से स्मरण शक्ति भ्रमित हो जाती हैं, स्मरण शक्ति के भ्रमित हो जाने से बुद्धि का नाश हो जाता हैं और बुद्दी के नाश से व्यक्ति का ही विनाश हो जाता हैं।
- मनुष्य पुराने वस्त्रो को त्याग कर जैसे दुसरे नए वस्त्रो को धारण करते हैं वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीरो को त्याग कर नए शरीरो को प्राप्त करती हैं।
- इस आत्मा को शस्त्र नहीं काट सकते, आग नहीं जला सकती, जल गीला नहीं कर सकता और वायु सुखा नहीं सकती, इस संसार में ज्ञान के समान कोई पवित्र वस्तु नहीं हैं उस ज्ञान को योग से सिद्ध और समय से व्यक्ति स्वयं आत्मा में प्राप्त करता हैं।
- श्रदावान और जितेन्द्र्य व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करता हैं, ज्ञान प्राप्त करने पर शीघ्र परम शान्ति मिलती हैं।
- दुखो में उद्वेग रहित, सुखो में इच्छा रहित, राग भय और क्रोध से रहित व्यक्ति स्थित घी (स्थिरबुद्धिवाला) कहलाता हैं।
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दोस्तों, श्रीमदभागवत गीता के बारे में आपने पहले भी काफी सुना होगा। ये ग्रन्थ हमारे जीवन का आधार हैं जो हमें जीना सिखाता हैं हमें बुराई और अच्छाई के बारे में बताता हैं हमारे जीवन का लक्ष्य बताता हैं, हमें कहाँ से आये हैं और क्यों आये हैं और क्या हमें करना चाहिए, श्रीमदभागवत गीता साक्षात् भगवान की वाणी हैं।
मैंने ऊपर श्रीमदभागवत गीता के कुछ श्लोक का Hindi Translation प्रस्तुत किया हैं आशा हैं आपको पसंद आएगा।
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3 Comments
जय श्री कृष्णा
Bahut hi Badhya post is post ke liye Aapko Dhnyabad. Radhe Radhe…
excellent post Mr Mahesh sir , Geeta or baki dharmik books mai kya likha hai or hum wo cheez kyu follow nahi karte !