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कहीं आप भी किसी बंगाली बाबा के चक्कर में तो नहीं पड़ रहे हैं?

अंधविश्वास नाम है अंधे यकीन का! यानि किसी व्यक्ति ने आपसे कोई बात कही और आपने बिना जांच पड़ताल किए उस पर पूरा या अंधा यकीन कर लिया।

आपने कोई प्रमाण भी नहीं मांगा बल्कि आप सामने वाले व्यक्ति से प्रभावित होकर उसे बेहद सच्चा और सत्यनिष्ठ मान बैठे।

आप उसकी बातों के जाल में उलझकर यह तक नहीं जान पाए कि वह केवल भ्रम फैलाकर अपना उल्लू सीधा करेगा और आने वाले दिनों में आपके लिए आर्थिक, व्यापारिक, पारिवारिक या सामाजिक तबाही और बरबादी के मार्ग प्रशस्त कर देगा। वह बाबा केवल आपकी आस्था के साथ खिलवाड़ के सिवा और कुछ भी नहीं कर पाएगा।

अगर आप आध्यात्मिक और धर्म के थोड़े बहुत जानकार हैं तो आपको इस हकीकत का ज्ञान तो होना ही चाहिए कि ईश्वर सर्वज्ञाता, सर्वशक्तिमान और सर्वोपरि है और यह कि उसकी इजाजत के बिना एक पत्ता भी पेड़ से नीचे नहीं गिर सकता।

फिर आध्यात्मिक होने के बावजूद अगर आप तांत्रिकों और झाड़ फूंक करने वालों के करीब जा रहे हैं तो आपको समझ लेना चाहिए कि आप अपनी आस्था में खुद कमज़ोर हैं या फिर आपको धर्म का थोड़ा या बुनियादी ज्ञान भी नहीं है।

क्योंकि धर्म तो कहता है कि ईश्वर के अलावा कोई किसी के फायदे या नुक्सान का मालिक नहीं है और जो भी लाभ या हानि किसी को पहुंचती है, वह ईश्वर के आदेशों के तहत ही पहुंचा करती है। वह न चाहे तो कोई न तो किसी को फायदा पहुंचा सकता है और न ही किसी का बाल बांका कर सकता है।

बदकिस्मती से हमारे भारतीय समाज में अंधविश्वास का चलन सदियों पुराना है जो आज के इस ज्ञान, विज्ञान और आधुनिक युग में भी कम नहीं हुआ है।

जैसे एक विश्वास यहां सदियों से चला आ रहा है कि अगर बिल्ली रास्ता काट दे तो उसके आगे कभी नहीं गुजरना चाहिए बल्कि रास्ता बदल देने में ही आपकी भलाई है।

हम नहीं जानते कि इस कहावत के पीछे का तर्क क्या है? लेकिन अनुभव तो यही कहते हैं कि जितने भी लोग बिल्ली के रास्ते काटने पर आगे बढ़ जाते हैं उन्हें आजतक उसी दिन या समय किसी नुकसान ने नहीं घेरा।

ऐसी बातों का आप कोई वैज्ञानिक या आध्यात्मिक तर्क भी नहीं दे सकते कि बिल्ली के रास्ते से गुज़र जाने पर आप विनाश के रास्ते पर क्यों चले जायेंगे? किसी बड़ी धार्मिक शख्सियत या धर्मगुरु ने भी शायद बिल्ली के रास्ते काटने के मार्ग से वापस नहीं पलटे होंगे।

फिर जाने हम में से कुछ लोग क्यों अपना रास्ता बदल दिया करते हैं? वास्तव में इस पर ठंडे दिमाग से सोच विचार करने की आवश्यकता है। अगर हम यूं ही अंधविश्वासी बने रहे तो वह दिन दूर नहीं जब कोई ढोंगी बाबा या तांत्रिक हमें बेवकूफ बनाकर हमसे जो चाहे काम करवाता रहेगा और हम आस्था के नाम पर वो सब कुछ करने के लिए तैयार हो जाएंगे जिस काम को करने के बाद किसी इंसान को घोर निन्दा या आलोचनाओं का सामना करना पड़ सकता है।

अंधविश्वास के और क्या है नुकसान?

disadvantages of superstition hindi

अंधविश्वास आपको कर्महीन और केवल भाग्य पर भरोसा करके घर बैठ जाने वाला इन्सान बना सकता है। इस तरह आप परिश्रम का मार्ग छोड़कर अपने अंधविश्वास की वजह से कामचोर भी हो सकते हैं।

मिसाल के तौर पर किसी व्यक्ति की नौकरी नहीं लग रही तो अब उसे यह संदेह होने लगा कि ऐसा लगता है कि किसी ने उस पर काला जादू करवा दिया है। वह इसी सोच में डूबा रहता है और अपने चिंता और संकट के बादल को छांटने के लिए वह तांत्रिक और बाबाओं का रूख करता है।

वह उनके आसपास उठने बैठने लगता है। इस तरह उसने भौतिक संसार से कटकर एक अंधविश्वासी दुनिया में कदम रख दिया जहां उसकी तर्क शक्ति और विवेकशीलता दम तोड़ रही होती है।

अब उसके सारे दिमागी फैसले सिर्फ़ विश्वास पर आधारित हो जाते हैं। वह हर चीज पर अब अंधा यकीन करने लगता है। उसका व्यवहार ही बिल्कुल बदल जाता है जिसका फायदा उठाकर तांत्रिक अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हैं और अपने इस ग्राहक को जिस तरीके से चाहते हैं, जी भर कर लूटते हैं।

तो अन्धविश्वास के दलदल में अगर आपने कदम रख ही दिया है

तो निम्नलिखित बातों पर गौर करके आप इस खौफनाक दलदल से बाहर निकल सकते हैं:

बुद्धि और तर्क शक्ति का करें प्रयोग

जब भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण से किसी ऐसे शख्स से जो झाड़ फूंक या तंत्र मंत्र का सहारा लेकर लोगों का विश्वास जीत रहा है और उनसे मन चाही मांग पूरी कर उन्हें आर्थिक तौर पर नुक्सान पहुंचा रहा है तो आप उसे तर्क शक्ति या बुद्धि के सहारे हरा सकते हैं।

आप उससे हर उस बात का वैज्ञानिक कारण या प्रमाण मांग सकते हैं जिसका वह बाबा या तांत्रिक दावा कर रहा है। कहा जाता है कि जिस शख्स ने आपसे आपके माता पिता का नाम पूछ दिया या फिर आपके बदन का उतारा हुआ वस्त्र सिर्फ इसलिए मांगा कि यह साफ करे कि आप पर कहीं काली शक्तियों का साया तो नहीं है, वह जादूगर हो सकता है।

इसलिए ऐसे लोगों से जितनी हो सके दूरी बनाकर रखना ही हमारे लिए बेहतर सिद्ध होगा। वैज्ञानिक आधार पर भी देखा जाए तो बहुत से ट्रिक के सहारे भी ऐसी फितरत के लोग आम और भोले भाले मासूम लोगों को ठगने का सफल प्रयास करते हैं।

इन मामलों में आपका बुद्धि और तर्क से काम लेना बेहद जरूरी हो जाता है क्योंकि अगर आपके कदम जरा भी लखखड़ा गए तो ये लोग आपका नुकसान करने से कभी बाज नहीं आयेंगे। उनकी हर बात में अपनी तर्क शक्ति का प्रयोग कर रीज़न और लॉजिक जानने की कोशिश करें।

अगर बाबाओं को यह एहसास हो जाए कि आप शिक्षित या बुद्धिमान हैं तो वे आपसे घबरा कर दूरी बनाने का प्रयास करेंगे। उन्हें इस बात का डर सताने लगेगा कि कहीं आप उनके बने बनाए नकली साम्राज्य का भंडाफोड़ न कर दें जिससे उनकी सारी लोकप्रियता और प्रभाव कहीं एक झटके में मिट्टी में ना मिल जायें और मासूम लोगों की जेबों का वजन हल्का करने का उनका प्रयास धरा का धरा न रह जाए।

शिक्षा और ज्ञान बन सकते हैं अंधविश्वास की काट और हथियार

अगर आपके जीवन का ज़्यादातर समय शिक्षा और ज्ञान को अर्जित करने में खर्च हुआ है तो इस बात की प्रबल संभावना है कि कोई बाबा या तांत्रिक कभी आपको अपने जाल में फांसने की कोशिश न कर पाए।

क्योंकि जब आप ज्ञान और अध्ययन की दुनिया में कदम रखते हैं तो उसी दिन से आपकी बुद्धि और विवेक का विकास शुरू हो जाता है और आप अपनी विवेकशीलता और चतुराई से सच और झूठ के फर्क को आसानी के साथ समझ सकते हैं। आप तर्क शक्ति का इस्तेमाल कर उनके जाल में उलझकर बेवकूफ नहीं बनेंगे।

अक्सर देखा जाता है कि समाज के अज्ञानी या कम पढ़े लिखे लोग ढोंगी बाबाओं के भ्रमजाल में बड़ी आसानी से फंस जाते हैं। उन्हें नकली बाबाओं की बातों पर कुछ इस कदर यकीन हो जाता है कि आप जब इन बाबाओं के खिलाफ कोई प्रमाणित बात भी करते हैं तो वे उस पर कोई विश्वास नहीं करते और आपकी बातों को कोई वजन नहीं देते। उनका ये सारा बरताव शिक्षा के अभाव और अज्ञानता की वजह से होता है।

अन्धविश्वास से पड़ते हैं जान के लाले

इस आधुनिक और वैज्ञानिक युग में भी देश में अन्धविश्वास से जुड़ी बहुत सी ऐसी घटनाएं सामने आती हैं जिसे सुन या पढ़कर रूह कांप जाती है और आदमी यह सोचने पर मजबूर हो जाता है कि कैसे किसी बाबा के चक्कर में पड़कर कोई इन्सान इतनी नृशंस और घिनावनी हरकत अंजाम दे सकता है?

अभी कुछ दिनों पहले तेलंगाना में एक व्यक्ति ने किसी तांत्रिक के कहने पर अपनी नन्ही और मासूम बच्ची की बलि दे दी। सिर्फ इसलिए कि लंबे समय से बीमार चल रही उसकी पत्नी ऐसा करने से स्वस्थ हो जाएगी।

इसी तरह समाज के कुछ शिक्षित और सभ्य माने जाने वाले लोग भी इन तांत्रिकों के मायाजाल में उलझे नज़र आते हैं। बीबीसी की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक़ एमबीए की छात्रा फरजाना जिन्हें दिल की बीमारी है, इन दिनों एक दरगाह में पनाह लिए हुए हैं। कारण पूछने पर उन्होंने जवाब दिया कि उनके परिवार या करीबी रिश्तेदार ही उन पर काला जादू करवा रहे हैं जिससे खुद को सुरक्षित रखने के लिए उन्होंने लंबे समय से दरगाह में पनाह ले रखी है।

इसी प्रकार, एमएनसी में कार्यरत दीपिका नामी एक युवती किसी लड़के से प्यार कर बैठीं। उनकी मां को रिश्ता सख्त नापसन्द था। बस फिर क्या था, उन्होंने एक करीबी तांत्रिक का रुख करते हुए तंत्र मंत्र का सहारा लेकर अपनी बेटी का दिल फेरने की कोशिश शुरू कर दी। जब भी वह तांत्रिक के पास जातीं, वह उन्हें पांच हजार रुपए की एवज एक धागा दिया करता ताकि उनकी बेटी का दिल उस लड़के से फिर जाए जो उन्हें जरा भी पसंद नहीं था।

इस सिलसिले में एक प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक पत्ताभिरम का कहना है कि अफसोसनाक बात ये है कि लोग ये बात मानने को तो तैयार हो जाते हैं कि घर को साफ सुथरा रखने से बरकत या लक्ष्मी का आगमन होता है लेकिन उनका ध्यान इस बात पर कम ही जाता है कि साफ सफाई से घर वायरस, बैक्टीरिया और अन्य जहरीले पदार्थ व तत्वों से पाक साफ हो जाते हैं।

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