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विज्ञान का जनक गैलीलियो गैलिली का जीवन परिचय

Father of modern science Galileo Galilei in Hindi

इटली के महान आविष्कारक गैलीलियो गैलीली एक महान वैज्ञानिक थे, जिनका जन्म साल 1564 में इटली के पीसा शहर में हुआ था। चर्च की मान्यताओं के विरुद्ध एक रिसर्च करके उसे सिद्ध करने पर चर्च की तरफ से गैलीलियो गैलीली को सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने के लिए कहां गया था, जिसका पालन गैलीलियो ने किया भी था, परंतु इसके बावजूद भी उन्हें चर्च की तरफ से आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

इसके बाद तकरीबन 350 साल के बाद चर्च ने अपनी भूल को स्वीकार किया।

गैलीलियो गैलीली का व्यक्तिगत परिचय

पूरा नाम गैलीलियो गैलीली
जन्मदिन 15 फरवरी
जन्म साल 1564
देश इटली
पिता विन्सौन्जो गैलिली
मृत्यु दिन 8 जनवरी
मृत्यु साल 1642
पेशा खगोल विज्ञानी, दार्शनिक, गणितज्ञ, भौतिक विज्ञानी, आविष्कारक,

बहुश्रुत, विश्वविद्यालय शिक्षक, वैज्ञानिक, अभियन्ता

धर्म कैथोलिक

गैलीलियो का प्रारंभिक जीवन

दुनिया के महान विचारक गैलीलियो का जन्म वर्ष 1564 में 15 फरवरी के दिन इटली देश के पीसा शहर में हुआ था‌। विचारक गैलीलियो का जन्म जिस खानदान में हुआ था, वह खानदान संगीत प्रेमी था।

एक बार गैलीलियो ने किसी चीज पर रिसर्च की, जिसमें कुछ ऐसी बातें सामने आईं, जिसके कारण यूरोप का चर्च इन से काफी ज्यादा नाराज हो गया और इन्हें ईश्वर को झूठा साबित करने के लिए और बाइबल के सिद्धांतों को झूठा साबित करने के कारण जिंदगी भर जेल में रहने का आदेश दिया गया।

हालांकि बाद में चर्च को इस पर काफी ज्यादा पछतावा हुवा, परंतु तब तक गैलीलियो इस दुनिया को छोड़ चुके थे।

गैलीलियो और उनके पिता

गैलीलियो के पिताजी का नाम विन्सौन्जो गैलिली था, जो कि अपने टाइम के बहुत ही फेमस संगीतकार विशेषज्ञ माने जाते थे। गैलीलियो के पिता ल्यूट नाम का एक संगीत यंत्र बजाते थे और आगे चलकर के यही यंत्र बैंजो और गिटार के रूप में पूरी दुनिया में फेमस हो गया।

जब गैलीलियो के पिताजी संगीत रचना कर रहे थे, तब उन्होंने यह चीज नोटिस की कि तनी हुई डोरी के तनाव और उससे जो स्वर निकलता है, उन दोनों का आपस में संबंध है। अपने पिता की इस बात को जब गैलीलियो ने सुना, तो उन्होंने तनी हुई डोरी और स्वर के संबंधों के ऊपर रिसर्च की और उनके ऊपर वैज्ञानिक स्टडी की।

रोम और यूनान सभ्यता पतन की ओर अग्रसर

जितना आधुनिक यूरोप वर्तमान के समय में है, उतना यह पहले नहीं था। एक टाइम ऐसा भी था जब रोम और यूनान की सभ्यता धीरे-धीरे खत्म होती जा रही थी, जिसके कारण पूरे महाद्वीप में अज्ञानता का अंधेरा छा गया था।

इसके बाद समय बदला और साइंस और टेक्नोलॉजी का जमाना आया, जिसके कारण यूरोप को एक नई दिशा मिली और वह अज्ञानता के अंधेरे से निकलकर के जानकारियों के उजाले में आ गया। इसमें जिस वैज्ञानिक का नाम सबसे प्रमुख तौर पर आता है, उसका नाम गैलीलियो गैलिली ही है‌।

वह व्यक्ति गैलीलियो गैलीली ही था, जिन्होंने फिजिक्स में गति के समीकरण को स्थापित करने का काम किया था। इसके अलावा गैलीलियो के द्वारा दिया गया जड़त्व का नियम पूरी दुनिया भर में फेमस है।

गैलीलियो गैलीली और पीसा की मीनार की रिसर्च

वस्तुओं के द्रव्यमान पर रिसर्च करने के लिए एक बार गैलीलियो गैलीली पीसा की मीनार पर गए और वहां पर उन्होंने कुछ रिसर्च की, जिसके बाद उन्होंने यह जानकारी लोगों को दी की,

जब कोई वस्तु ऊंचाई पर से गिरती है तो उस वस्तु के नीचे गिरने की गति उसके द्रव्यमान पर बिल्कुल भी निर्भर नहीं करती है।

उन्होंने पहली बार यह सिद्ध किया कि चाहे कोई भी चीज हल्की हो या कोई भारी चीज हो, अगर वह ऊपर से नीचे गिरती है, तो वह एक समान स्पीड से ही नीचे आती है।

सिर्फ खगोल विज्ञानी ही नहीं थे गैलीलियो गैलीली

बता दें गैलीलियो से जुड़ा एक मजेदार तथ्य यह भी है कि खगोल विज्ञानी होने के साथ-साथ इनके अंदर कुछ विशेष गुण भी मौजूद थीं। वे खगोल विज्ञानी होने के साथ-साथ एक बहुत ही अच्छे गणित के जानकार, एक बहुत ही अच्छे दार्शनिक और भौतिकवादी भी थे।

यूरोप में साइंटिफिक क्रांति लाने में गैलिलीयो का योगदान काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। गैलीलियो को अन्य कई नाम से भी लोग बुलाते हैं, जिसके अंतर्गत मुख्य तौर पर उन्हें आधुनिक खगोल विज्ञान का जनक और आधुनिक भौतिकी का फादर भी कहा जाता है।

खगोल विज्ञान की स्टडी करने के अलावा गैलीलियो ने दर्शन शास्त्र की भी काफी गहराई से स्टडी की थी। इसके अलावा वह बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति के इंसान भी थे।

गैलीलियो गैलीली का कैरियर

महान खगोल विज्ञानी गैलीलियो की कला में गहरी रुचि थी। इसलिए उन्होंने Art में अपनी शिक्षा भी हासिल की थी। 1588 में अकेडीमिया डेल्ले आर्टी डेल डिसेग्नो फ्लोरेन्स में गैलीलियो ने टीचर के तौर पर विद्यार्थियों को पढ़ाने का काम शुरू कर दिया।

इसके बाद वर्ष 1589 में गैलीलियो गणित के प्रोफेसर के तौर पर पीसा में पढ़ाने लगे। बाद में साल 1592 में गैलीलियो ने पौडा यूनिवर्सिटी में यांत्रिकी, ज्यामिति और खगोल शास्त्र पढ़ाना शुरू कर दिया। वर्ष 1592 से लेकर वर्ष 1610 तक गैलीलियो गैलीली ने यह कार्य किया।

गैलीलियो गैलीली द्वारा टेलीस्कोप बनाना

होलेंड के एक वैज्ञानिक साल 1609 में टेलिस्कोप पर रिसर्च कर रहे थे और जब गैलीलियो को इसके बारे में पता चला तो उन्हें टेलिस्कोप के बारे में गहरी रुचि उत्पन्न हुई, उसके बाद गैलीलियो ने खुद का एक बहुत ही अच्छा टेलिस्कोप का निर्माण करने का डिसीजन लिया।

आखिरकार दिन रात मेहनत करके गैलीलियो ने टेलिस्कोप का निर्माण कर दिया। टेलिस्कोप का निर्माण करने के बाद गैलीलियो ने इसका इस्तेमाल करके रात में आकाश और वायुमंडल का निरीक्षण करना शुरू कर दिया।अपने टेलिस्कोप का इस्तेमाल करके गैलीलियो ने काफी लंबे समय तक बृहस्पति ग्रह के बारे में जानकारी ली और बृहस्पति ग्रह की चारों चंद्रमा को खोज कर के बाहर निकाला, जिन्हें बाद में गैलीलियन चंद्रमा कहां गया। उन चारों चंद्रमा के नाम लो, गनीमेड, कैलीस्टो और युरोपा है।

बृहस्पति ग्रह के ऊपर रिसर्च करने के अलावा गैलीलियो ने कुछ अन्य रिसर्च भी की, जिसमें उन्होंने यह बात सामने लाई कि, चंद्रमा की सतह पृथ्वी की तरह ही उबड़ खाबड़ है अथवा चंद्रमा की सतह पूरी तरह से समतल नहीं है।उसमें कई दरार और गड्ढे भी हैं। इसके अलावा गैलीलियो गैलीली ने सूर्य पर पडने वाले काले धब्बे, शुक्र ग्रह की कला और शनि ग्रह के छल्लो का भी बारीकी से अध्ययन किया।

गैलीलियो गैलीली की विज्ञान में रुचि

चर्च में प्रार्थना हेतु एक दिन जब गैलीलियो गैलीली गए, तो प्रेयर करने के दरमियान ही उनकी नजर चर्च के छत पर लगे हुए एक लैंप पर पड़ी, जो हवा के कारण इधर उधर झूल रहा था। उन्होंने जब उस लैंप पर ध्यान दिया, तो उन्होंने यह पाया कि हर डोलन पूरा करने में लैंप को एक बराबर टाइम ही लग रहा है।

भले ही हर बार डोलन की लंबाई अलग अलग होती हो। इसके बाद लैंप से जुड़े गैलीलियो ने कई प्रयोग करने आरंभ कर दिए, जिसके लिए उन्होंने पेंडलुम का सहारा लिया, पेंडलुम का इस्तेमाल करके रिसर्च करने पर उन्होंने यह पाया कि अगर हम पेंडलुम को लटका कर के उसे इधर-उधर झूलाते हैं, तो भी समान समय ही लगता है।

अपनी इस रिसर्च को ले करके जब गैलीलियो एक प्रोफेसर के पास पहुंचे, और उन्हें इस रिसर्च के बारे में बताने गए, तो प्रोफेसर ने गैलीलियो की बात को सुनते ही उनके ऊपर काफी ज्यादा गुस्सा कर दिया, क्योंकि गैलीलियो की बात प्रोफेसर की समझ में ही नहीं आई।

प्रोफेसर के अनुसार गैलीलियो ने जो स्टडी की है, वह साइंस की विचारधारा से बिल्कुल उल्टी है। साइंस की विचारधारा यह कहती है कि जो बड़ा डोलन होता है, उसे अधिक टाइम लगता है और जो छोटा डोलन होता है, उसे कम टाइम लगता है।

जिस प्रकार आप आज के साइंस को देख रहे हैं, वैसा पहले के टाइम पर नहीं होता था। पहले के टाइम पर साइंस का मतलब होता था जो पुराने दर्शनिक कहे गए हैं वही सही है और इसी लिए प्रोफेसर, गैलीलियो की बात पर और उनकी रिसर्च पर काफी ज्यादा क्रोधित हुए थे। परंतु गैलीलियो ने इस बात को अपने दिल से नहीं लगाया और उन्होंने लगातार अपनी वैज्ञानिक रिसर्च जारी रखी।

चर्च का दंड

गैलीलियो ने रिसर्च करके यह बात सिद्ध की कि हमारी पृथ्वी और अन्य जितने भी ग्रह हैं, वह सभी मिलकर के सूरज की परिक्रमा करते हैं, परंतु यह बात ईसाई धर्म की मान्यताओं के विरुद्ध थी, जिसके कारण गैलीलियो को चर्च की तरफ से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने का आदेश दिया गया और गैलीलियो ने यह किया भी, परंतु इसके बाद भी उन्हें आजीवन कारावास की सजा गैलीलियो दी गई।

चर्च की भूल स्वीकार

गैलीलियो को आजीवन कारावास की सजा सुनाने के बाद तकरीबन 350 साल के बाद वेटिकन सिटी में स्थित ईसाई धर्म के सर्वोच्च संस्थान ने इस बात को स्वीकार किया कि उन्होंने उस टाइम गैलीलियो को गलत सजा सुना दी थी।

गैलीलियो की मृत्यु

गैलीलियो की मृत्यु साल 1642 में 8 जनवरी को हो गई थी। इस प्रकार एक महान रिसर्चर ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

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