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वास्तविक जीवन क्या है?

जीवन का वास्तविक सार क्या है

वास्तविक जीवन क्या है?

कहते हैं सच कड़वा होता है अतः इस सच को स्वीकार करना हर किसी के बस में नहीं होता। फिर चाहे कोई छोटी सी बात हो या हमारी पूरी जिंदगी का ही कोई सच हो लोगों के लिए उस सच को मानना बहुत मुश्किल होता है।

वास्तविक जीवन से तात्पर्य एक ऐसे जीवन से है जहां मनुष्य को जीवन की वास्तविकता का बोध हो जाता है। जैसे उम्र के अनुसार जवानी- बुढ़ापा आना, एक दिन मनुष्य की मृत्यु होना, यह समझना कि जीवन में सुखों दुखों का आना  जाना लगा रहता है।

अर्थात जब इंसान जीवन को उसकी वास्तविकता के रूप में अपनाता है और कल्पना से परे चीजों को उसी तरह देखता है, जैसे वे असल में हैं तो वह एक वास्तविक जीवन जीने के पथ पर अग्रसर हो जाता है।

एक साधारण जीवन तो हर कोई जीता है परंतु वास्तविक जीवन जी नहीं पाता। वास्तविक जीवन जीने के लिए ज्ञान होना जरूरी है और यह ज्ञान हर किसी के पास नहीं होता, ज्ञान के लिए अच्छे संस्कार तथा अच्छा व्यक्तित्व होना बहुत जरूरी है।

वही व्यक्ति वास्तविक जीवन जी सकता है जिसके पास बचपन से ही माता-पिता द्वारा दिए गए अच्छे संस्कार, अच्छी आदतें हो। परंतु जीवन में हर कोई अच्छी आदतें व अच्छे संस्कार नहीं अपना पाता जिसका कारण उसका परिवार व उसके माता-पिता होते हैं।

क्योकि हमारे माता-पिता ही हमारे जीवन को सफलता की ओर ले जाने में अहम भूमिका निभाते हैं।

क्योंकि हम अपने जीवन का अधिकांश समय में अपने माता-पिता एवं जीवन के शुरुवाती वर्ष अपने गुरूओं के साथ बिताते हैं जो हमें शिक्षा देते हैं।

इसीलिए हमें अपने गुरुओं द्वारा कही गई बातों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए तथा माता-पिता के साथ वास्तविक जीवन का अनुभव को लेना चाहिए ।

१. हम वास्तविक जीवन किसके साथ जी सकते हैं?

हम एक वास्तविक जीवन अपने परिवार के साथ रहकर जी सकते हैं, क्योंकि जब हम अपने परिवार के साथ रहते हैं तो हमें उनकी कमियां महसूस होती है तथा दुखों का आभास होता है।

वास्तविक जीवन के लिए हमें सुख दुख समझने की जरूरत होती है। जब हमें सुख और जरूरतों का ज्ञान होता है, तभी हम एक वास्तविक जीवन जी पाते हैं, परिवार के साथ एक वास्तविक जीवन का आनंद ले सकते हैं।

कहे तो प्रत्येक व्यक्ति जीवन ही जीता है परंतु बहुत सारे लोग ऐसे भी होते हैं जो जीवन में अनुभव को नहीं ले पाते सिर्फ अपने जीवन को एक जानवरों की तरह गुजार लेते हैं।

परंतु हमें यह एक जीवन हमारे अच्छे कर्मों, तमन्नाओं के बाद मिला है। इसलिए हमें इसे वास्तविकता के साथ यापन करना चाहिए और इस वास्तविक जीवन को अपनाने के लिए हमें अपने परिवार में प्रत्येक सुख दुख को समझ कर जीना पड़ता है, उन्हें सहन करने की क्षमता रखनी पड़ती है।

२. वास्तविक जीवन के लिए क्या आवश्यक है?

एक वास्तविक जीवन जीने के लिए जीवन में बहुत सारी सुख सुविधाएं का भोग करना जरूरी नहीं है।

परंतु एक वास्तविक जीवन के लिए दोस्त, भाई-बहन ,माता-पिता, शिक्षक व हमारे प्रतिरोधियों का होना अति आवश्यक होता है।

जब हमारे जीवन में उन सभी लोगों का सहयोग होता है तभी हम एक वास्तविक जीवन के अनुभवों को ले पाते हैं और उस जीवन को सही रूप में जीने में सक्षम रहते हैं।

क्योंकि हमारे माता-पिता हमें अच्छे संस्कार देते हैं, शिक्षक हमें अच्छा ज्ञान देते हैं, दोस्त हमें जीवन में धोखे देते हैं तथा हमारे विरोधी हर वक्त हमारी कमियों को हमारे सामने रखते हैं।

जब हम उसे वास्तविक रूप से स्वीकार करते हैं और अपने जीवन में अपनी कमियों को दूर करने की कोशिश करके आगे बढ़ते हैं।

हम अपने जीवन में वास्तविकताओं को तभी समझ पाते हैं। एक वास्तविक जीवन जीने में हमारे लिए इन सब चीजों की इतनी आवश्यकता है कि जितनी एक मछली को पानी की जिस प्रकार मछली बिना पानी के जीवित नहीं रह सकती उसी प्रकार हम इन सब की कमी के बिना एक वास्तविक जीवन नहीं जी सकते।

३. वास्तविक जीवन जीना कितना उचित है?

एक वास्तविक जीवन जीना हर किसी के लिए संभव नहीं होता, क्योंकि बहुत सारे लोगों के विचार उन्हें एक साधारण जीवन जीने के लिए प्रेरित करते है।

अपने जीवन में हमें सिर्फ अपने सुख दुख को ध्यान में रखते हुए उनपर नियंत्रण हासिल करने की क्षमता रखनी चाहिए।

हालांकि बाहरी तौर पर एक साधारण व्यक्ति के जीवन और वास्तविकता के साथ जीने वाले व्यक्ति के जीवन में बहुत अंतर नहीं होता।

वह व्यक्ति जो साधारण जीवन जीता है मरने के बाद राख बनता है और वह व्यक्ति भी जो वास्तविक जीवन जीता है मरने के बाद राख ही बनता है। इस कारण उन दोनों की राहों में कुछ फर्क नहीं रहता।

परंतु इस बात से कदापि इनकार नहीं किया जा सकता है कि एक वास्तविक जीवन जीने से मनुष्य अपने कई सारे दुखों को कम कर सकता है। और एक आनंदमय और शांति पूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर सकता है।

क्योंकि जब मनुष्य को एहसास हो जाता है कि एक दिन हम कुछ भी साथ नहीं ले जाएंगे। जिन सुख-सुविधाओं के पीछे हम पड़े हैं यह बस हमें पल भर की खुशियां देती है ऐसे में मनुष्य उन चीज़ों के पीछे भागना छोड़ देता है।

उसके जीवन में भी सुख दुख आते हैं परंतु वह सुख के समय अधिक खुश नहीं होता। क्योंकि वह जानता है आंनद के यह क्षण पल भर में निकल जाएंगे। वहीं वह दुख के समय वह ज्यादा निराश नहीं होता क्योंकि वह जानता है यह जीवन की हकीकत है।

अतः एक वास्तविक जीवन एक उत्तम जीवन है मनुष्य को इस पथ पर अग्रसर होना चाहिए।

४. एक वास्तविक जीवन जीने के क्या फायदे हैं?

एक वास्तविक जीवन के प्रत्येक लोगों के लिए अलग-अलग फायदे हैं क्योंकि वास्तविक जीवन जीने के बाद लोगों को इस संसार के प्रत्येक सुख- दुखों का अंदाजा व अनुभव मिल जाता है ।

भले ही लोगों को अपने इन अनुभवों का सही उपयोग करने का मौका कम वक्त के कारण ना मिल पाए। परंतु इन सब का ज्ञान होने के कारण वे लोग अपने जीवन के छोटे से समय अंतराल में भी बहुत सारी उपलब्धियां हासिल करने में सक्षम रहते हैं, एक सफल जीवन जीते हैं।

परंतु हर किसी के विचार अलग-अलग होने के कारण इस बात का शत प्रतिशत अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है कि एक वास्तविक जीवन जीने से हमें कितने फायदे हो सकते हैं।

मेरे विचार से एक वास्तविक जीवन जीना ही वास्तविकता है और वास्तविक जीवन के साथ ही लोगों को छोटे से वक्त में बहुत अधिक आनंद का प्रभाव होता है,लोग हर वक्त दुखों को सहने की क्षमता रखते हैं।

इस प्रकार के वास्तविक जीवन जीने से जीवन का वह सब ज्ञान प्राप्त हो जाते हैं जिसकी हमें जरूरत होती है या जिस ज्ञान को प्राप्त करने के लिए ऋषि मुनि वर्षों तक तपस्या करते रहते हैं। हमें सिर्फ वास्तविक जीवन का बोध करने से भी काफी अनुभव मिल जाता है।

५. वास्तविक जीवन कौन-कौन जी सकते हैं?

एक वास्तविक जीवन वह हर कोई व्यक्ति जी सकता है जिसे अपने दुखों को सहन करने की क्षमता हो। क्योंकि वास्तविक जीवन में लोग ज्यादातर अन्य लोगों के -दुख को अपने दुख समझ कर उस व्यक्ति को सांत्वना देते हैं।

जिसके साथ ऐसी दुख भरी दुखद घटनाएं होती हो अगर कोई व्यक्ति खुद अपने दुख को सहन ना कर सके तो उसके साथ एक वास्तविक जीवन जीना नामुमकिन है।

एक वास्तविक जीवन जीने के लिए लोगों को बहुत सारे दुखों को सहन करने की क्षमता रखनी पड़ती है। परंतु जब कोई भी व्यक्ति दुख को सहन करने लग जाता है,तो उसके लिए वास्तविक जीवन जीना छोटी सी बात होती है।

वास्तविक जीवन जीने के लिए लोगों को इस संघर्ष की जरूरत नहीं पड़ती ना ही किसी के विश्वास की जरूरत पड़ती है ।इसके लिए स्वयं का विश्वास लोगों को वास्तविकता दिखाने में सहायता करता है ।

कहे तो वे लोग कभी भी वास्तविक जीवन नहीं जी सकते जो स्वयं के दुखों को ही खुद के लिए बोझ समझते हैं और उन दुखों को दूसरों के ऊपर डाल देते हैं ।

इसी के साथ-साथ एक वास्तविक जीवन जीने के लिए हमें हमेशा वक्त की कीमत भी समझ नहीं पड़ती है,हर वक्त अपने उस मुकाम को हासिल करने के लिए नियंत्रण गतिशील रहना पड़ता है।

६. एक वास्तविक जीवन में क्या दुख झेलने पड़ते हैं ?

वास्तविक जीवन दुखों से भरा पड़ा है इस मार्ग पर चलने पर कई बार इंसान का दिल दुखता है, दिल को ठेस पहुंचती है पर क्योंकि वह दूसरों के सम्मान का प्यासा नहीं होता तो वह जीवन को उसी रूप में देखता है जिस रूप में यह है।

यदि आप भी वास्तविक जीवन जीना चाहते हैं तो दुखों को झेलने की शक्ति आपके अंदर होनी चाहिए। क्योंकि इस मार्ग पर चलने वाले लोग काफी कम होते हैं।

वास्तविक जीवन जीने वाले लोग अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए खुद को अधिक समय नहीं दे पाते हैं? और अपना ज्यादा वक्त सिर्फ अन्य लोगों की खुशियों में देते है।

एक वास्तविक जीवन में लोग खुद के बारे में इतना कम सोचते हैं, कि उन्हें कभी भी अपने जीवन में कमियां महसूस नहीं होती है।

आदमी अपने जीवन से संतुष्ट होते हैं उनके चेहरे पर एक मंद मुस्कान होती है, और यही संदेश दूसरों को देकर इस दुनिया से विदा लेते हैं।

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