आपने टी.वी पर मिकी माउस या डोनाल्ड डक जैसे कार्टून जरूर देखे होंगे जो कि आज भी बच्चों के आकर्षण का केंद्र हैं। इन कार्टून का निर्माण वाल्ट डिज्नी द्वारा किया गया था जो एक मशहूर निर्माता-निर्देशक, कार्टूनिस्ट, वॉइस आर्टिस्ट, स्क्रिप्ट राइटर और उद्यमी रह चुके हैं।
आज भी हमारे समाज मे सभी बच्चों & युवाओं को अपनी प्रतिभा को निखारने का मौका नहीं दिया जाता, जिसकी वजह से वह अपने जीवन में वह मुकाम हासिल नहीं कर पाते जिसकी वे हकदार हैं।
इसकी बजाए, उन्होंने एक सामान्य सी नौकरी करने के लिए प्रेरित किया जाता है, लेकिन अपने जुनून को फॉलो करके मनोरंजन की दुनिया में विशेष पहचान बनाने वाले वाल्ट डिज्नी ने लोगों के समक्ष एक मिसाल कायम की।
वाल्ट डिज्नी का मनोरंजन के क्षेत्र में काफी बड़ा योगदान रहा है। आज भी इनकी कंपनी की सालाना कमाई 35 अरब अमरीकी डॉलर के करीब है। वाल्ट डिज़्नी ने अपने भाई के साथ डिज़्नी प्रोडक्शंस की शुरुआत की थी जो आज भी बेहद मशहूर कंपनी है।
आज हम Walt Disney की जीवनी के माध्यम से आपको उनके जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां सांझा कर रहे हैं।
पूरा नाम | Walter Elias ‘Walt’ Disney |
जन्म | 5 दिसंबर 1901 |
जन्म स्थान | शिकागो, अमेरिका |
मृत्यु | 15 दिसंबर 1966 |
पेशा | निर्माता-निर्देशक, कार्टूनिस्ट, वॉइस आर्टिस्ट, स्क्रिप्ट राइटर और उद्यमी |
वाल्ट डिज़्नी का जन्म और प्रारंभिक जीवन
वाल्ट डिज़्नी का जन्म 5 दिसंबर 1901 को इलियास डिज्नी के घर अमेरिका के शिकागो में हुआ। इनकी माँ का नाम फ़्लोरा कॉल डिज्नी था और इनके चार भाई और एक बहेन थी। इनके पिता एक किसान थे और बढ़ई का काम भी करते थे। हालाँकि वाल्ट डिज़्नी के पिता ने काफी पेशे बदले हैं पर फिर भी वह इतने पैसे नहीं कमा पा रहे थे जिस से इनके घर का गुज़ारा चल सके।
बचपन से ही वाल्ट डिज़्नी को कलाकारी में बहुत दिलचस्पी थी। वह ज़मीन और दीवारों पर कलाकृतियां बनाया करते थे। एक बार इन्होंने अपनी बहन के साथ मिलकर अपने घर की एक दिवार को पेंट कर दिया जिस से दिवार काली हो गई और इस वजह से उन्हें अपने पिता से काफी डांट खानी पड़ी।
उनके घर के पास ही एक सैलून था जहां पर जाकर वह पेंटिंग किया करते थे। सैलून का मालिक उस पेंटिंग को फ्रेम करवा के दुकान पर लगवा लेता था और उनके मुफ्त में बाल भी काट देता था। वह वहां इसलिए नहीं जाते थे कि सैलून वाला मुफ्त में बाल काटता था, बल्कि जब पेंटिंग दिखा कर उन्हें जब शाबाशी मिलती थी तो उन्हें दिल से अच्छा लगता था।
वाल्ट डिज़्नी के पिता कठोर स्वभाव के थे। अपने काम का सारा गुस्सा अपनी घरवालों पर निकाल देते थे। इस कारण घर में हालात नाज़ुक रहते थे। इसी वजह से उन्होंने एक बार अपने पिता से लड़ाई करली थी और वह घर छोड़ कर चले गए थे।
वाल्ट डिज़्नी की कार्टून के प्रति दिलचस्पी
एक दिन वाल्ट डिज़्नी अख़बार में पन्ने उल्ट रहे थे और अचानक उनकी नज़र एक कार्टून पर पड़ी जो कि उन्हें आकर्षित लगा। उन्होंने उस कार्टून पर एक पन्ने पर बनाना शुरू कर दिया और कुछ देर में ही उन्होंने बिलकुल वैसा ही कार्टून बना दिया। अपनी इस कला को देख कर वाल्ट डिज़्नी भी हैरान रह गए थे। उस समय वाल्ट डिज़्नी की उम्र केवल चार साल थी।
इसके बाद वाल्ट डिज़्नी के एक पड़ोसी ने उनसे अपने एक घोड़े की पेंटिंग बनवाई जिस के बदले उसने डिज़्नी को कुछ पैसे दे दिए। इससे वाल्ट डिज़्नी को यह समझ आया कि अपनी रुचियों का इस्तेमाल करके भी आमदनी हो सकती है। ऐसे ही वह पड़ोसियों की पेंटिंग बनाने लगे जिस से वह कुछ पैसे कमा लेते थे।
मोशन पिक्चर की दुनिया से परिचय
वाल्ट डिज़्नी को पेपर बाँटने का काम करना पड़ता था और स्कूल भी जाना पड़ता था। इतनी व्यस्तता के बाद भी वह अपनी कला के लिए समय निकाल लेते और अपनी कला को निखारते रहे। कंसास सिटी के विद्यालय में उनकी मुलाकात एक Walter Pfeiffer नाम के व्यक्ति से हुई जो थिएटर परिवार से संबंध रखते थे।
अब वह घर से ज़्यादा Walter Pfeiffer के साथ आर्ट्स क्लास में अपना समय बिताने लगे। कुछ समय बाद डिज़्नी के पिता शिकागो की एक फैक्ट्री के शेयरहोल्डर बन चुके थे और वापिस शिकागो आ गए। यहां आने के बाद वाल्ट डिज़्नी ने McNally High School में पढ़ाई को जारी रखा और साथ ही साथ ‘शिकागो एकाडमी ऑफ़ फाइन आर्ट्स’ में ड्राइंग और पेंटिंग सीखना शुरू किया।
कुछ समय बाद ही वह स्कूल समाचार पत्र में बतौर कार्टूनिस्ट के रूप में काम करने लगे। प्रथम विश्व युद्ध के समय देश भक्ति के ऊपर बने उनके कार्टून समाचार पत्रों में छपने लगे। हालाँकि उनके घर के हालात अब भी तनावपूर्ण ही थे। पिता के गुस्सैल स्वभाव के कारण उनके भाई घर छोड़ कर जा चुके थे।
पहली कंपनी की स्थापना एवं पहले कार्टून पात्र की रचना
वाल्ट डिज़्नी ने रेड क्रॉस सोसाइटी को भी ज्वाइन किया था और उन्हें फ़्रांस में एम्बुलेंस चालक के रूप में कार्य करना पड़ा। फ़्रांस से वापिस लौटने के बाद वह वापिस अपने पिता की फैक्ट्री में काम करने लगे। यहां वह दिन में सहायक का काम करते और रात को वॉचमैन का काम करते थे।
इसके साथ साथ वह रात को ड्राइंग का अभ्यास भी किया करते थे। हालांकि कुछ समय बाद ही वापिस कंसास सिटी में आ गए। यहां पर उन्हें अपने भाई की सिफारिश के बदौलत ‘Pesmen Rubin Art Studio’ में नौकरी मिली जिसमें वह समाचार पत्र, मैगज़ीन तथा फिल्म थियेटर के लिए विज्ञापनों को बनाने का कार्य करते थे।
यहां पर इनकी मुलाकात कार्टूनिस्ट उब इवर्क्स से हुई जिनके साथ मिलकर इन्होने ‘इवर्क्स डिज्नी कमर्शियल आर्टिस्ट कंपनी की शुरुआत की। इसी समय पर ‘Kansas City Film & Company’ के डायरेक्टर ने वाल्ट डिज़्नी को 40 डॉलर प्रति सप्ताह के वेतन पर उन्हें कंपनी में कार्य करने का प्रस्ताव दिया।
वाल्ट डिज़्नी को यह प्रस्ताव काफी आकर्षक लगा जिसके फलस्वरूप वह अपनी कंपनी उब इवर्क्स को सौंपकर ‘Kansas City Film & Company’ में काम करने लगे जहां पर वह कटआउट एनीमेशन पर आधारित कमर्शियल विज्ञापन बनाने लगे। यहां से उन्हें काफी अनुभव प्राप्त हुआ और एनीमेशन की तरफ इनका रुझान और बढ़ा।
कुछ समय पश्चात ही उन्होंने खुद के एनीमेशन बिज़नेस की शुरुआत करने की सोची और वाल्ट डिज़्नी ने अपने विज्ञापन एजेंसी के सहकर्मी फ्रेड गर्मान को नौकरी पर रख लिया। दोनों ने साथ मिलकर एक कार्टून करेक्टर ‘Laugh-O-Grams’ की रचना की जिस का प्रदर्शन कंसास सिटी थिएटर में किया गया और कुछ ही समय में यह पात्र काफी मशहूर हो चूका था।
वाल्ट डिज़्नी स्टूडियो की स्थापना
Laugh-O-Grams के एक क्लाइंट को उनकी फिल्म ऐलिस इन वंडरलैंड काफी पसंद आई। इससे प्रभावित होकर उसने डिज़्नी को उस फिल्म के लिए 1500 डॉलर का प्रस्ताव रखा और साथ ही साथ अन्य फ़िल्में बनाने के लिए भी कहा। परन्तु एक छोटे से गैराज में इतना कार्य संभव नहीं था।
इसके लिए उन्होंने अपने भाई से मदद मांगी और उनके साथ मिलकर 16 अक्टूबर 1923 में वाल्ट डिज़्नी स्टूडियो की स्थापना की। इसमें उन्होंने एक टीम बनाई और कई लोगों को हायर किया। टीम बनाने के बाद उन्होंने एनिमेटेड सीरीज की शुरुआत की और यह एनिमेटेड सीरीज काफी सफल रही।
डिज़्नी लैंड की शुरुआत
डिज़्नी लैंड जैसी जगह बनाना वाल्ट डिज़्नी के बचपन का सपना था। यह प्रोजेक्ट जितना आकर्षित लग रहा था वास्तव में उतना ही मुश्किल था। इसी कारण से कोई भी वाल्ट डिज़्नी का इस प्रोजेक्ट में साथ नहीं दे रहा था। साथ ही बोर्ड ऑफ़ डिरेक्टर्स ने भी कह दिया था की इस प्रोजेक्ट में निवेश करने से उनकी कंपनी दिवालिया हो सकती है।
और तो और उनके भाई ने भी इस बात का विरोध करते हुए वाल्ट डिज़्नी को लोन ना देने की बैंकों को सलाह दे दी थी। अपने सपने को पूरा करने के लिए वाल्ट डिज़्नी ने अपनी कार, जीवन बीमा पालिसी और अपने पाम स्प्रिंग्स स्थित घर भी बेच दिया परंतु फिर भी पुरे पैसे जमा नहीं हो सके।
इसका हल निकालते हुए वाल्ट डिज़्नी ने एबीसी टेलीविज़न नेटवर्क को अपने कार्टून सीरीज़ का प्रसारण अधिकार बेच दिया। जहां लोग वाल्ट डिज़्नी के इस प्रोजेक्ट का मज़ाक उड़ा रहे थे वही उन्होंने लोगों की बोलती तब बंद की जब डिज़्नी लैंड लोगों के आकर्षण का केंद्र बना। आज भी लाखों लोग डिज़्नी लैंड में हर साल सैर करने जाते हैं।
वाल्ट डिज़्नी की मृत्यु
15 दिसंबर 1966 को फेफड़ों के कैंसर के कारण वाल्ट डिज़्नी की मृत्यु हो गई और वह हमेशा के लिए दुनिया से चले गए। अपने जीवन में वाल्ट डिज़्नी ने बहुत सारे उतार चढ़ाव देखे और काफी तकलीफों को भी सहन करना पड़ा पर इसके बावजूद उन्होंने मनोरंजन के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया।
‘Winnie the Pooh and the Blustery Day’ के लिए उन्होंने मरणोपरांत ऑस्कर अवार्ड की प्राप्ति भी की। आज भी वाल्ट डिज़्नी कंपनी अपनी फिल्मों, कार्टून और डिज़्नी लैंड से बच्चों के साथ साथ बड़ों का भी ख्याल रख रही हैं। वाल्ट डिज़्नी को उनके महान कार्यों के लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा।
निष्कर्ष
तो साथियों इस लेख को पढ़ने के Walt Disney की जीवनी कैसी लगी? हमें कॉमेंट में बताना न भूलें, साथ ही जानकारी को शेयर भी अवश्य करें