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Strangest Places – दुनिया की सबसे अद्भुद, आश्चर्यजनक और रहस्यमयी जगहें

Strange Places Around The World in Hindi, Weird Places, Unusual Things And Places You Won’t Believe Existed Hindi
World’s most weird, mysterious and strangest places on earth

दोस्तों, दुनिया भर में धरती पर कुछ ऐसी जगह हैं जो कि अपने आप में रहस्य और प्राकर्तिक अजूबों की तरह हैं इसमें से कुछ रहस्यों के जवाब वैज्ञानिको ने ढूंढ लिए हैं। और कुछ के जवाब अभी तक नहीं मिल सके हैं। हालांकि अंतिम नतीजे पर पहुँचने के लिए अभी research जारी है। इस post में, मैं आपको ऐसी ही कुछ जगह के बारें में बता रहा हूँ जो अपने आप में राज़ से कम नहीं हैं और इनमें से कुछ अनोखी और रहस्मयी जगह तो पर्यटकों के लिए Hot Spot बन चुकी है।

सोक़ोत्रा द्वीप, यमन

सुक़ुत्रा द्वीपसमूह, वनस्पति वैज्ञानिकों के अनुसार यहाँ पाए जाने वाले एक-तिहाई वृक्ष-पौधे और कहीं नहीं मिलते
सुक़ुत्रा द्वीपसमूह, वनस्पति वैज्ञानिकों के अनुसार यहाँ पाए जाने वाले एक-तिहाई वृक्ष-पौधे और कहीं नहीं मिलते

इसे धरती की सबसे अजीबोगरीब जगह कहा जा सकता हैं। यहां पहुंचकर आपको लगेगा मानो किसी दूसरे ग्रह(planet) पर आ गए हों। इसे अक्सर पृथ्वी की सबसे ज़्यादा परग्रही दिखने वाली जगह के रूप में वर्णित किया जाता रहा है। यह यमन में अरब और हिंद महासागर के बीच ये एक छोटा सा द्वीप है। कई सालो तक इसके बारे में लोगों को जानकारी तक नहीं थी। यहां के पेड़-पौधों से लेकर जीव-जंतु और चट्टानें सब कुछ ऐसा है जोकि दुनिया में कहीं और नहीं पाया जाता। पेड़ ऐसे दिखते हैं जैसे उलटे लटके हों। इस द्वीप पर करीब 44 हज़ार लोगों की आबादी भी बसती है। इन लोगों की परंपराएं भी अजीब हैं। बीमारियों और मुसीबतों के लिए ये लोग सिर्फ भूत-प्रेत पर ही विश्वास करते हैं। हालांकि धीरे-धीरे यहां के लोग भी यहां आने वाले tourists की वजह से internet और modern technology से जुड़ रहे हैं। लेकिन इस बात का जवाब किसी के पास नहीं है कि ये जगह धरती की बाकी जगहों से इतनी अलग और अजीब क्यों है।

यहाँ पाए जाने वाले ‘अझ़दहा रक्त वृक्ष’ से निकलने वाला रस (जो ख़ून जैसे लाल रंग का होता है) को जमाकर बनाने वाला ‘लोबान’ (फ़्रैंकिनसेन्स) नामक सुगन्धित पदार्थ यहाँ से बहुत निर्यात होता था इसलिए इस द्वीप का नाम ‘सूक अल-क़तरा’ (अझ़दहा रक्त की बूंदों का बाज़ार) सोकोट्रा द्वीप पड़ा।

बरमूडा ट्राइंगल, अटलांटिक महासागर

Google Map, बरमूडा त्रिकोण, जिसे शैतान के त्रिकोण के रूप में भी जाना जाता है

इसके बारें में तो आप सभी ने सुन ही रखा होगा। यह धरती की सबसे चर्चित रहस्यमयी जगहों में से एक है। उत्तर पश्चिम अटलांटिक महासागर में एक त्रिकोण जैसा, ये इलाका Bermuda Triangle कहलाता है जिसे ‘डेविल्‍स ट्राइंगल’ यानी ‘शैतानी त्रिभुज’ भी कहा जाता है। ये करीब 39,00,000 वर्ग किमी का इलाका है। इस जगह से गुजरने वाले तमाम जहाज और विमान अचानक गायब हो जाते हैं। इन विमानों या जहाजों के कोई निशान भी नहीं मिलते और वो रेडार से अचानक लुप्त हो जाते हैं।
अमेरिकी नेवी का मानना है कि यह बरमूडा ट्राइंगल है ही नहीं,और अमेरिकी geographic नामों में ऐसा कोई भी नाम है ही नहीं। इसके बाद भी इस जगह के बारे में ऐसी कई असाधारण बातों का जिक्र किया जाता है,जिन पर यकीन करना म‍ुश्किल हो जाता है बहरहाल, तमाम शोध और जाँच-पड़ताल के बाद भी इस नतीजे पर नहीं पहुँचा जा सका है कि आखिर गायब हुए जहाजों का पता क्यों नहीं लग पाया। उन्हें आसमान निगल गया या समुद्र लील गया, दुर्घटना की स्थिति में भी मलबा तो मिलता, ये प्रश्न अनुत्तरित हैं।

बरमूडा ट्राइंगल के बारे में सबसे पहले जिक्र क्रिस्टोफर कोलंबस ने किया था। कोलंबस ने 11 अक्टूबर 1492 की अपनी जर्नल्‍स में लिखा है कि उस जगह से कुछ दूरी से गुजरते वक्त उन्होंने क्षितिज पर नाचती अजीबोगरीब सी रोशनी देखी। ऐसा लगता था कि आसमान में आग का एक गोला हैं और वहां पर दिशा बताने वाला कंपास अजीबोगरीब तरीके से व्यवहार करने लगा था। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि यहां पर धरती के अंदर कुछ ऐसा है जिसकी वजह से यहां प्रकृति के सारे नियम फेल हो जाते हैं।

मीर माइंस, साइबेरिया

रूस के साइबेरिया में मीर माइंस ऊपर से जाने वाले हेलीकॉप्टरों को कोई ताकत उन्हें जमीन के अंदर खींचने लगती है

रूस के साइबेरिया में ये कभी दुनिया कि सबसे बड़ी हीरे की खदान (world’s largest diamonds mines) हुआ करता था। कभी यहां से 1 करोड़ कैरेट हीरा हर साल निकाला जाता था। जब यहां हीरे का भंडार खत्म हुआ तो लोगों ने गौर किया कि ये जगह अजीब सी हो चुकी है। आसमान से देखने पर लगता है कि मानो यह धरती की नाभि हो। इसे मानव निर्मित सबसे बड़ा कुआ(hole) कहा जा सकता हैं इसकी गहराई तकरीब 1720 फीट (525 meter) है और चौड़ाई 3900 फीट(1200 meter) के करीब। इसके बाद सुरक्षा कारणों से मीर माइन्स के ऊपर नो फ्लाई ज़ोन बना दिया गया। क्योंकि हेलीकॉप्टर के पायलट्स ने शिकायत की थी कि mir mines के ऊपर जाते ही कोई ताकत उन्हें जमीन के अंदर खींचने लगती है, ऐसा हवा के एक खास तरह के फ्लो की वजह से होता है जोकि नेचुरल हैं इसे Google Map पर आसानी से देखा जा सकता हैं।

रूस के साइबेरिया में मीर माइंस ऊपर से जाने वाले हेलीकॉप्टरों के लिए खतरा है।

नाज्का ड्राइंग्स, पेरू

धरती पर बने विशाल रेखाचित्र, 80 किमी से भी अधिक क्षेत्रफल में फैले भूभाग में सैकडों रेखाचित्रों का संग्रह हैं

दक्षिणी पेरू के रेगिस्तानी इलाकों में आसमान से देखने पर धरती पर दैत्याकार चित्र बने हुए नजर आते हैं या कहें तो लकीरें दिखाई देती हैं। ऐसा लगता है जैसे किसी चित्रकार ने इन्हें धरती पर बनाया है। पहली बार जब इन चित्रों को देखा गया तो एकबारगी तो पूरा विश्व चकित रह गया था। 80 किमी से भी अधिक क्षेत्रफल में फैले भूभाग में सैकडों रेखाचित्रों का संग्रह हैं – नाज्का रेखाएं। इन रेखाओं में पक्षी, बन्दर आदि जीवों के अलावे कई ज्यामितीय रेखाएं भी हैं, जिनमें त्रिभुज, चतुर्भुज आदि सदृश्य संरचनाएं शामिल हैं। Local लोग मानते हैं कि ये रेखाएं यहां हजारों साल पहले रहने वाले नाज़का इंडियंस ने बनाई हैं। इसीलिए इन्हें नाज्का रेखाएं या नाज़का ड्राइंग्स कहते हैं। 1920 के दशक में पहली बार इन्हें हवाई जहाज से देखा गया था। नीचे से देखने पर ये लाइनें आपस में उलझी हुईं बेतरतीब लाइनें मालूम होती थीं। कुछ लोग इन्हें किसी धार्मिक अनुष्ठान की निशानी मानते हैं कहते हैं तत्कालीन सभ्यता यह विश्वास करती थी की आकाश से देवता इन्हें देख सकेंगे। तो कुछ लोग कहते हैं कि हो सकता है किसी एलियन ने इन्हें बनाया होगा। लगभग 96 साल से इनकी रहस्यमयता बरकरार है। ये किस लिए बने तथा इन्हें बनाने वाले कौन थे यह आज तक पता नहीं लग सका। हजारों की संख्या में बने ये चित्र यह तो बताते हैं कि इनका कोई न कोई मकसद तो जरूर रहा होगा।

आसमान से दिखने वाली इन लाइनों को किसने खींचा है और ये चित्र किसने बनाए हैं कोई नहीं जानता।

डोर टु हेल यानी नर्क का दरवाजा, तुर्कमेनिस्तान

‘नरक का दरवाजा’, 50 साल से धधक रही है आग

“डोर टू हेल” या नरक का दरवाजा, जो कि तुर्कमेनिस्तान के दरवेजे गाँव में स्तिथ है, तुर्कमेनिस्तान का 70 परसेंट एरिया डेजर्ट है। दरवेजे एक पर्सियन शब्द है जिसका हिंदी में अर्थ होता है फाटक या दरवाजा। धरती में बना एक गड्ढा और उस गड्ढे में धधकती आग। ये आग अब तकरीबन 50 साल से जल रही है। दुनिया इसे नर्क के दरवाजे के नाम से जानती है। काराकुरम रेगिस्तान में बना ये विशाल गड्ढा दरअसल जमीन के अंदर प्राकृतिक गैस के ब्लास्ट से पैदा हुआ है। दरवेजे गाँव का यह डेजर्ट एरिया प्राकर्तिक संसाधनों (Natural Resources) से परिपूर्ण है। 1971 में पूर्व सोवियत संघ के वैज्ञानिक इस डेजर्ट एरिया में आयल और गैस कि खोज करने के लिए आये उन्होंने दरवेजे गाँव के पास स्तिथ इस जगह को ड्रिलिंग के लिए चुना। लेकिन ड्रिलिंग शरू करने के कुछ देर बाद ही यह जगह ढह (Collapsed) गयी और यहां पर 230 फीट चौडा और 65 फीट गहरा क्रेटर(गड्ढा) बन गया।

इस दुर्घटना में कोई जन-हानि तो नहीं हुई पर इस क्रेटर से बहुत ज्यादा मात्रा में मीथेन गैस निकलने लगी। मीथेन गैस एक ग्रीनहाउस गैस है जिसका की वातावरण और मानव दोनों पर प्रतिकूल असर होता है। इसलिए इस मीथेन गैस को बाहर निकलने से रोकना जरूरी था। इसके दो विकल्प थे या तो इस क्रेटर को बंद किया जाय या फिर इस मीथेन गैस को जला दिया जाए। पहला तरीका बेहद ही खर्चीला और समय लगने वाला था। इसलिए वैज्ञानिकों ने दूसरा तरीका अपनाया और इस क्रेटर में आग लगा दी। उनका सोचना था कि कुछ एक दिन में सारी मीथेन गैस जल जाएंगी और आग स्वत: ही बुझ जाएंगी। पर वैज्ञानिकों का यह अंदाजा गलत निकला और तब से अब तक ये गड्ढा लगातार धधक रहा है इससे आप अंदाजा लगा सकते है कि उस जगह मीथेन का कितना विशाल भण्डार है। हर साल दुनिया भर से हजारों सैलानी इसे देखने जाते हैं।

डोर टु हेल कोई राज तो नहीं हैं, फिर भी वैज्ञानिकों के लिए ये रहस्य जरूर है कि तकरीबन 50 साल से धधक रही ये आग कब बुझेगी।

ब्लड फॉल्स, अंटार्कटिका

लाल रंग का झरना, देखकर लगता है कि खून बह रहा हो।

अंटार्कटिका का taylor glacier(टेलर ग्लेशियर) पर जमी बर्फ में एक जगह ऐसी भी है, जहां से लाल रंग का झरना बहता है। इसे देखकर ऐसा लगता है कि इस झरने से खून(रक्त) बह रहा हो। हालांकि, वैज्ञानिकों ने इस पर कई रिसर्च किए लेकिन कोई निश्चित नतीजा नहीं निकाल पाए। उनका एक अनुमान यह है की इस जगह बर्फ के नीचे शायद लौह तत्व की अधिकता है जो की पानी को लाल रंग का कर देते है। हालांकि यह लाल झरना अभी भी रहस्य बना हुआ है।

मैगनेटिक हिल, मॉन्कटन, न्यू ब्रंसविक

जहां बंद गाड़ी अपने आप चलने लगती है पहाड़ी पर

यह मैगनेटिक हिल(magnetic hill) अपने आप में खास है। इस हिल पर ऐसा मैगनेटिक प्रभाव है कि बिना स्टार्ट किए ही गाड़ी चलने लगती हैं। इस हिल का पता 1930 में चला था। इस जगह के रहस्य के बारे पता लगाने का काम अभी भी जारी है। यह जगह आज एक tourist place बन चूका है।

हमारे भारत के लद्दाख क्षेत्र में भी एक मैगनेटिक हिल है।

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Note: ऊपर दी हुई समस्त जानकारी (दुनिया की सबसे रहस्यमयी और आश्चर्यजनक जगह) मैंने इन्टरनेट और गूगल से सर्च करके काफी विश्लेषण और शोध करके जुटाई हैं फिर भी इसमें गलतियों कि सम्भावना हो सकती हैं यदि आपको ऊपर दिए गए किसी भी वाक्य या FACTS में कोई त्रुटि मिले तो कृपया क्षमा करें और comments के माध्यम से अवगत कराएं।

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