हम मनुष्य का बाहरी आवरण देखकर अपनी दृष्टि से यह तो पता नहीं कर सकते कि कौन व्यक्ति कैसा है? परंतु मनुष्य की सोच और उसका व्यवहार एक ऐसा जरिया है जिससे हम उस व्यक्ति के बारे में काफी कुछ जान सकते है।
संसार में दो तरह के लोग होते हैं एक जो कठिन हालातों में भी बड़ी से बड़ी मुश्किल आने पर भी धैर्य रखते हैं और हर मुश्किल का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं। दूसरी तरफ वे लोग होते हैं जो दुखी रहकर हर चीज में कमियां ढूंढते है।
मुझे पूरी उम्मीद है, आपने इन दोनों तरह के लोगों को जीवन में देखा होगा। संक्षेप में कहें तो जीवन में हमें आशावादी या निराशावादी यह दो तरह के लोग ही देखने को मिलते है।
लेकिन अब सवाल है भला यह आशावादी (Optimistic) और निराशावादी (Pessimistic) होते कौन हैं? क्या इनके बीच अंतर होता है? और आपको इन दोनों में से क्या होना चाहिए। आज हम इस लेख में सरल शब्दों में समझने का प्रयास करेंगे तो आइए पहले जानते हैं
आशावादी और निराशावादी के बीच अंतर
इन दोनों के बीच के मुख्य अंतर को समझने के लिए हम यहां पर कुछ बिंदुओं का इस्तेमाल कर रहे हैं।
1. दृष्टिकोण
आशावादी और निराशावादी लोगों के बीच सबसे बड़ा अंतर स्वयं के दृष्टिकोण का रहा है। क्योंकि आशावादी लोग हमेशा सकारात्मक विचारों के साथ सृष्टि को देखते हैं और वैसे ही सकारात्मक कार्य करने के लिए उत्साहित रहते हैं जिनसे उन्हें फायदा हो सके।
परंतु निराशावादी ठीक उलट होते हैं, चाहे परिस्थितियां कितनी भी अच्छी क्यों ना हो उन्हें हमेशा कमियां दिखाई देती है। और ऐसे लोगों को हर पल नकारात्मक विचारों के कारण भय बना रहता है जिससे वे कभी भी अपने कार्यों में सफल नहीं हो पाते और ना ही उन्हें सफलता के विचार व सफलता के मार्ग नजर आते हैं।
इसलिए कहा भी गया है कि जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि यही सबसे बड़ा कारण निराशावादी लोगों के बीच रहा है ।
आशावादी और निराशावादी लोगों का देखने का नजरिया एक दूसरे से बिल्कुल अलग होता है आशावादी लोग हमेशा सफलता की राहों को अपनी नजरों से महसूस कर पाते हैं।
परंतु निराशावादी लोगों का नजरिया हमेशा नकारात्मक रहने के कारण उन्हें कभी भी सफलता के ख्याल नहीं आते और वे अपने कार्यों को आरंभ करने से पहले ही अपने विचारों से असफल हो जाते हैं, उनका मन कभी भी उन कार्यों को प्रारंभ करने के लिए भी नहीं ललचाता ।
2. विचार
कहते हैं इंसान के विचार ही उसके कर्मों को आकार देते हैं इसलिए इंसान के दिमाग में जैसे विचार आते हैं वैसे ही वह कर्म करता है अतः आशावादी और निराशावादी दोनों के बीच आपको विचारों का अंतर देखने को मिलेगा।
आशावादी लोग हमेशा पॉजिटिव सोचते हैं जीवन में कुछ अच्छा करने के विचार हमेशा उनके दिमाग में रहते हैं। अतः वह चाहे कितनी भी परेशानी में क्यों ना हो, उनके अंदर भविष्य में सब कुछ बेहतर होगा इस बात की आशा जगी होती है।
और इसी उम्मीद के बलबूते वे अपने आत्मबल को बढ़ाते हैं और इसी ख्वाहिश के साथ नियंत्रण अपने कार्य क्षेत्र में प्रगति करते हुए आगे बढ़ते हैं।
परंतु जब बात आती है निराशावादी लोगों की तो उनके विचार हमेशा उन्हें निराश करने लायक ही रहते हैं भले ही उन्हें अपने विचारों से निराशा महसूस ना हो परंतु उन्हें उन उनके विचारों से अत्यधिक निराशा होती है जो लोग आशावादी होते हैं।
इसके बजाय यदि निराशावादी लोग भी अपने अच्छे विचारों के बलबूते सफल होने की सोचते तो ये लोग भी अवश्य ही सफल हो पाते ।
परंतु ये लोग अपने विचारों के कारण ही अपने आत्मबल को खत्म कर देते हैं और कभी भी अपनी सफलता के उन कार्यों को शुरू करने से ही इनके मन में असफलता का खौफ उठ जाता है ।
3. प्रयास करना
प्रायः देखा जाता है कि आशावादी लोग हमेशा अपनी कार्यात्मक गतिविधियों में असफल होने के बाद भी सफलता के कगार पर ले आते हैं ।
किसी लक्ष्य पर कार्य करते हुए यदि वह बीच में फेल भी हो जाते हैं तो वह फिर से वापस खड़े होते हैं और अपनी गलतियों को सुधार कर फिर से अपने लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ जाते हैं।
इस कारण इन्हें कभी भी अपनी असफलता महसूस नहीं होती और ये हमेशा अपने हौसलों के दम पर अपनी सफलता को आखिर में हासिल कर ही लेते हैं ।
यदि बात करें निराशावादी लोगों की तो वे लोग पहले तो अपनी कार्यात्मक गतिविधियों से कभी संतुष्ट नहीं रहते और जब वे अपने कार्यों में कभी असफल भी गए तो इनके हौसले और जुनून सब यही बिखर जाते हैं ।
4. मेहनत
आशावादी और निराशावादी लोगों के बीच सबसे ज्यादा फर्क व अंतर यहीं पर रहता है कि वे लोग आखिर अपने जीवन में किस प्रकार मेहनत करते हैं और उनकी मेहनत उनके जीवन में कितने बदलाव लाती है l
तो बात करते हैं यहां पहले आशावादी लोगों की जो लोग अपनी आशा के बलबूते अपनी मेहनत से कभी भी हिम्मत नहीं हारते उन्हें सफलता मिलने के बाद भी मेहनत करने का जुनून रहता है।
इसलिए आशावादी लोग अपने जीवन में अपना लक्ष्य पाने या कामयाब होने के बाद भी रुकना पसंद नहीं करते, वे निरंतर आगे बढ़ते हैं और जीवन में कुछ और नया बेहतर की तलाश में जुट जाते हैं।
परंतु बात करें यदि निराशावादी लोगों की तो वे लोग अपनी छोटी-छोटी बातों ने निराश रहने में ही अपना अधिक वक्त गवा देते हैं और जब बात आती है मेहनत की तो वे लोग कतई भी मेहनत नहीं करना चाहते और बिना मेहनत किए ही उन्हें अपनी मंजिल का सफर हासिल करना होता है ।
ऐसा असंभव है हम बिना मेहनत के किसी भी मंजिल को हासिल नहीं कर सकते ये विचार उनके मन में आते ही नहीं और इसी कारण वे लोग मेहनत करना भी नहीं चाहते।
इन सब विचारों से हमें यही सीख मिलती है कि यदि हम भी अपने जीवन में एक आशावादी व्यक्ति बने तो, जीवन में प्रसन्न होना एवं सफल होना दोनों बहुत आसान हो जाएगा।
चलिए आइए अब हम जानते हैं आशावादी व्यक्ति बनने के लिए हमें क्या करना चाहिए हम एक अच्छे आशावादी व्यक्ति किस प्रकार बन सकते हैं?
आशावादी कैसे बनें?
1. मजबूत इरादों से
यदि हमारी इरादे मजबूत है और हमारे हौसलों में उड़ान है तो कोई भी व्यक्ति हमें हमें हमारी सफल मंजिल तक पहुंचने में रोक लगा सकता है।
भले ही हमारे जीवन में समस्याओं का आना एक परंपरा रही है परंतु उन समस्याओं में जीना और आसानी से उनका हल निकालना ही एक आशावादी व्यक्ति की पहचान होती है आशावादी व्यक्ति लाखों समस्याओं को सहन करके भी अपनी मंजिल तक आखिर पहुंच ही जाता है।
2. सकारात्मक विचार
आशावादी लोगों में पाए जाने वाला दूसरा प्रमुख गुण हैं सकारात्मक विचार, सकारात्मक विचारों वाला व्यक्ति कभी भी अपने जीवन में असफल नहीं हो सकता और ना ही उसे असफलता से कोई गम होता है।
सकारात्मक सोचने वाले व्यक्ति के जीवन में अनेक समस्याएं आती हैं। लेकिन यह सोच कर कि सुख और दुख दोनों जिंदगी का हिस्सा है।
हमें दुख में अधिक नहीं घबराना चाहिए इस सोच के साथ आशावादी लोग निरंतर आगे बढ़ते रहते हैं और न सिर्फ खुद का जीवन बेहतर बनाते हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी आदर्श व्यक्ति बनते हैं।
एक सकारात्मक विचार वाले व्यक्ति को उसके दुखों का एहसास भी नहीं होता और वह निरंतर प्रयास करके अपनी आशाओं के भरोसे अपनी और सफल मंजिल का सफर एक दिन जरूर तय कर लेता है ।
3. नियंत्रण मेहनत
आशावादी व्यक्ति की यही खूबी रहती है कि वह निरंतर अपनी मेहनत के बलबूते अपना एक अच्छा व सम्मानीय जीवन जीता है।
आशावादी लोग सिर्फ किस्मत के भरोसे नहीं बैठे रहते, वह जीवन में परिश्रम की अहमियत को भली-भांति जानते हैं और जीवन में कुछ पाने के लिए मेहनत करते हैं।
4. असफलताओं से कुछ नए अनुभव लेना
एक आशवदी व्यक्ति उन प्रत्येक असफलताओं से कुछ अनुभव और सीख लेता है जो उसके जीवन में उसे कुछ निराशा देते हैं, वह फिर भी हिम्मत नहीं हारता और उन अनुभवों के सहारे अपने जीवन में पुनः प्रयास करता है ।
हमें भी आशावादी व्यक्ति बनने के लिए कभी भी असफलताओं से नहीं घबराना चाहिए बल्कि असफलता को चुनौती समझ कर सावधानी पूर्वक उसका सामना करते हुए अपने जीवन में आगे बढ़ने का विकल्प ढूंढना चाहिए।
5. सफल दृष्टिकोण
आशावादी लोगों की सबसे मुख्य पहचान यही होती है कि वे लोग कभी भी अपने नजरिए से असफलता नहीं देखते और ना ही असफलता महसूस करते हैं
यही मुख्य कारण उन लोगों की सफलताओं का भी रहता है कि वे लोग अपनी दृष्टि हमेशा उन चीजों पर टिकाए रखते हैं, जहां से उन्हें सफलता प्राप्त हो सके।
उनके देखने का नजरिया हमेशा ही सफल व्यक्तियों में से एक रहता है। इसलिए एक आशावादी मनुष्य के भले ही हालात कितने भी खराब हो उसका दृष्टिकोण उसे दुनिया से अलग कर देता है।
इसलिए आपने सफलता की कहीं ऐसी कहानियां देखी होंगी जहां पर किसी गरीब और लाचार व्यक्ति ने अपनी सोच और अपनी मेहनत के दम पर ऐसा कर दिखाया।
जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था तो यही नतीजा होता है एक सफल दृष्टिकोण अपनाने का।
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