Amazing & Interesting Facts About Numbers 0-9 In Hindi , What are some interesting facts about numbers?
दोस्तों, आज अंको के द्वारा हम बहुत बड़ी-बड़ी गणनाएं बड़ी आसानी से कर लेते हैं और हिसाब -किताब रख सकते हैं। ये सब सम्भव हुआ अंको के अविष्कार से, जो कि हमारें ऋषि-मुनियों ने हजारों वर्षो पहले किया था।
उनके बताएं गए सूत्र और गणना के नियम ही आधुनिक आविष्कारों का आधार बनें हैं। उन्होंने हमें दस अंक दिए हैं जो कि इस प्रकार हैं –
१, २, ३, ४, ५, ६, ७, ८, ९, ०
1, 2 ,3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 0
Zero to nine digits (one, two, three, four, five, six, seven, eight, nine, ten, zero)
एक, दो, तीन, चार, पांच, छह, सात, आठ, नौ और शून्य इन्ही अंकों में ही सब कुछ समाया हुआ हैं। इन अंको से ही जीवन के तत्वों को पहचाना जा सकता हैं। ज्योतिष में भी अंको को बहुत महत्व दिया गया हैं और अंको और दिशायों के आधार पर ही वास्तुशास्त्र के तत्वों का भी अध्ययन किया जाता हैं।
0 से 9 में समाया हैं सब कुछ
भारत के दर्शन शास्त्र में संख्याओ का विशिष्ट महत्व माना गया हैं। सांख्य दर्शन के प्रणेता महर्षि कपिल हैं, श्रीधर स्वामी के अनुसार संख्याओं को तत्त्वगणक भी कहते हैं। शून्य का अविष्कार भी भारत में ही हुआ था।
मूल रूप से नौ अंको को आधार मानकर संख्याओं का विकास सम्भव हो पाया हैं, इस व्याख्या के मूल रूप को सक्षिप्त रूप में इस तरह समझ सकते हैं।
1 हैं ब्रह्म
भारतीय दर्शन में “एकोब्रह्म दिव्तीयोंनास्ति” के बारें में बताया गया हैं। उपनिषद, श्रुति के आधार पर परब्रह्म एकात्मक हैं अन्य दूसरा कोई नहीं हैं। इस आधार पर 1 अंक का महत्व स्पष्ट होता हैं।
2 हैं मायामय
शास्त्रों के अंतर्गत अंक -2 को माया का परिचायक माना गया हैं। माया का अर्थ संसार को बताया गया हैं, व्याख्या हैं कि मनुष्य जीव मायारूपी संसार में स्थित होकर उसका उपभोग देह के माध्यम से करता हैं।
3 हमारे गुण
अंक-3 को त्रिगुणात्मक अथार्त सत, रज तथा तम, इन तीन गुणों का प्रतीक माना गया हैं अध्यात्म क्षेत्र में त्रिगुणात्मक को अविद्या या प्रपंच ने नाम से भी जाना जाता हैं मनुष्य में सूक्ष्म भाव से ये तीनों ही गुण विद्यमान होते हैं।
4 हैं पुरुषार्थ
भारतीय दर्शन के अनुसार अंक-4 पुरुषार्थ का धोतक हैं, पुरुषार्थ को चार भागो में बाटा गया हैं – धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष।
5 से स्रष्टि
अंक-5 पंच महाभूत पर आधारित हैं ये पंच तत्त्व – आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी हैं सम्पूर्ण स्रष्टि की रचना का क्रम इन्ही पर आधारित हैं।
6 हैं दर्शन
अंक 6 षड्दर्शन और वेदांक का परिचायक हैं। इनके अंतर्गत सांख्य, योग, मीमांसा, वेदांग, वैशेषिका तथा न्याय के महत्व को समझाया गया हैं।
7 हैं चक्र
अंक-7 सप्त चक्र का प्रतीक हैं जीव में सूक्ष्म देह पर कुण्डलिनी शक्ति सप्त चक्रों (मूलाधार, मणिपुर, अनाहत, विशुधि, आज्ञा, सहस्त्रआर) का भेदन कर जीव को परम तत्त्व की प्राप्ति कराती हैं।
8 हैं योग
अंक-8 का योग अष्टांग को प्रेरित करता हैं मनुष्य जीव की चित शुद्धि और पवित्रता के लिए योग दर्शन आठ प्रकार के साधन (यम, नियम, आसान, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि) प्रेषित करता हैं।
9 हैं पूर्णांक
अंक-9 को पूर्णांक माना गया हैं समस्त संख्याओं में अंक-9 विशिष्ट स्थान पर हैं धर्म, आश्रय से ईश्वर प्राप्ति नवधा भक्ति से ही सम्भव हैं। ये नव भक्तियाँ हैं – श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चन वंदन, दास्य, संख्य व् आत्मवेदन।
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0 यानी अनंत
0 को वेग या परिणाम वरदी करने वाला अंक माना गया हैं परमार्थ विषय में शून्य को अज्ञान माना गया हैं। शून्यवाद के अनुसार जगत का आधार निराकार हैं। शून्य परमात्मा का प्रतीक भी हैं और इस तरह अनंत भी हैं।
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अपरोक्त POST एक पत्रिका में प्रकाशित आचार्य अमित शर्मा के लेख से ली गई हैं और इसका उद्देश्य केवल आपकों अंको के महत्व बारें में बताने के लिए हैं।
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